________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शकलिन्
१०४५
शक्य
शकलिन् (वि०) [शकल+इनि] मछली।
शकृतद्वारं (नपुं०) मलद्वार, गुदा। शकारः (पुं०) एक आदिवासी जाति।
शकृतपिण्डः (पुं०) गोबर का गोला। शूद्रक द्वारा रचित मृच्छकटिकम। नाटक का पात्र। । शक्करः (पुं०) बैल, सांड। शकुनः (पुं०) [शकृ+उनन्] पक्षी, गिद्ध. चील, बाज। शक्करी (स्त्री०) [शक्कर+ङीष्] नदी। शकुनं (नपुं०) सगुन, शुभ-अशुभ संकेत, चिह्न. शंका युक्त _____०करधनी, कंदौरा, मेखला। कारण। (समु० ३/१६)
शक्त (भू०क०कृ०) [शक्+क्त] ०सक्षम, योग्य, सामर्थ। शकुनज्ञ (वि०) सगुन जानने वाला, शकुन विशेषज्ञ।
* दृढ़, ताकतवर, समृद्धशाली। शकुनज्ञानं (नपु०) भवितव्यता का बोध, भविष्य ज्ञान, दृश्यगत सार्थक, अभिव्यञ्जक। वस्तु से भविष्य का आंकलन।
चतुर, प्रवीण, कुशल। शकुनशास्त्रं (नपुं०) शुभाशुभ शकुन का विवेचन करने वाला शक्तिः (स्त्री०) [शक्+क्तिन्] बल, वीर्य। शास्त्र। (वीरो० १५/६)
पराक्रम, योग्यता, धैर्य। (जयो० १/४०) शकुनिः (पुं०) धृतराष्ट्र की पत्नि गान्धारी का भ्राता। दुर्योधन ऊर्जा, ताकत, कार्यशीलता। का मामा।
एकोन्यतः सम्मिलतीति याव? शकुनिः (स्त्री०) पक्षी।
भाविकी शक्तिरूदैति तावत्। शकुनिप्रण (स्त्री०) पक्षियों की प्याऊ।
तयोरथैकाकिताऽन्वये तु, शकुनिवादः (पुं०) पक्षी कलरव, खग गुंजन।
शक्तिः पुनः सा खलु मौनमेतु।। (सम्य० २३/१३) शकुनिशास्त्र (नपुं०) पक्षी शास्त्र। (वीरो० १५/६)
शस्त्र विशेष, बी, भाला, कुंतल, त्रिशूल। (जयो० शकुनि समूहः (पुं०) पक्षी समूह, खगकुल। (जयो०७० ८/१५) १/८७)
शब्दसंकेत, अभिधा शक्ति। शकुनी (स्त्री०) गैरेया, एक पक्षी विशेष।
शक्ति नामक पुत्री। (जयो०वृ० १/४०) शकुन्तः (पुं०) पक्षी। नीलकण्ठ।
रचना कला, काव्यप्रतिभा। शकुन्तकः (पुं०) [शकुन्त+कन्+घञ्] पक्षी।
शक्तिकुण्ठनं (नपुं०) शक्ति को क्षीण करना। शकुन्तगणः (पुं०) पक्षी समूह। (जयो० १८/३) सूक्तिं प्रकुर्वति शक्तिग्रह (वि०) शक्तिधारी, भाला युक्त। शकुन्तगणेऽर्हतीव' (जयो० ७८/३)
शक्तिग्राहक (वि०) शब्द शक्ति को स्थापित करने वाला। शकुन्तला (स्त्री०) दुष्यंत भार्या। [शकुन्तैः लायते-ला घञर्थे शक्तिघातः (पुं०) शक्तिघात। (दयो० ९३) क+टाप्]
शक्तित्रयं (नपुं०) राज्यशक्ति के तीन घटक। शकुन्तिः (स्त्री०) [शक्+उन्नि] पक्षी।
शक्तिधर (वि०) शक्तिशाली, बलिष्ठ। शकुन्तिका (स्त्री०) [शक्+उन्ति कन्+टाप्] पक्षी, ट्डिडी, शक्तिपाणिः (पुं०) बीधारी। झींगुर।
शक्तिभृत् (पुं०) शक्तिधारक व्यक्ति। शकुलः (पुं०) [शक्र उलच्] मछली विशेष।
शक्तिपूजकः (पुं०) शाक्त। शकुलादनी (स्त्री०) एक जड़ी-बूटी, कटकी, कुटकी। शक्तिपूजा (स्त्री०) शक्ति अर्चना। शकुलार्भकः (पुं०) मत्स्यडिम्भ, मछली का बच्चा। (जयो० शक्तिवैकल्यं (नपुं०) शक्ति की क्षीणता, बल की कमी। ६/६७)
शक्तिशालिता (वि०) शक्ति युक्त। (जयो०वृ० १/४४) शकृत् (नपुं०) [शक्ऋ तन्] गोमय, गोबर। (जयो० २।८७) शक्तिहीन (वि०) बलहीन। (जयो० २२/७३) ०मल, विष्ठा।
शक्नुसारः (पुं०) स्ववश, अपनी शक्ति के अनुसार। (जयो०० शकृत्करिन् (पुं०) वत्स, बछड़ा।
२/८४) शकृत्करी (पुं०) वत्स, बछड़ा। शकृत्करिस्तु वत्सः स्यात् । शक्न (वि०) [शक्+न] मिष्ठभाषी, प्रियवादी, हितवादी। इत्यमरकोषे (जयो० २५/६८)
शक्य (सं०कृ०) [शक्+यत्] संभव, क्रियात्मक, किये जाने
For Private and Personal Use Only