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व्यवधा
१०३५
व्यवहारः
विभेदक. भिन्न भिन्न करना। वैषम्य, विपरीतता।
ग्रन्थ का परिच्छेद, अनुभाग। व्यवधा (स्त्री०) [वि+अव+धा+अङ्+टाप्] ०परदा, व्यवधान,
रोक, आवरण। व्यवधानं (नपुं०) रोक, आवरण, परदा। (जयो० १७/२५)
अवरोध, हस्तःक्षेप, वियोग। छिपाना, अन्तर्धान, व्यशन।
अवकाश, अन्तराल। व्यवधायक (वि०) [वि+अव+धा+ण्वुल्] ०आवरण, रोक, ढकना।
अवरोध, अन्तर्धान। व्यवधिः (स्त्री०) [वि+अव+धा+कि] ०आवरण, हस्तक्षेप,
गतिरोध। व्यवसाय: (पुं०) [वि+अव+सो+घञ्] प्रयत्न, व्यापार, चेष्टा।
उद्योग, वाणिज्य, व्यवहार। अवाय, अनुष्ठेय के अनुष्ठान में उत्साह रखना। ०कृत्य, कर्म, क्रिया। (जयो०वृ० ३/१७)
नौकरी, धन्धा, प्रवृत्ति। व्यवसायगत (वि०) प्रयत्नशील। व्यवसायघोषः (पुं०) वाणिज्य संघ। व्यवसायचेष्टा (स्त्री०) उद्योग की चेष्टा। (समु० १/३१) व्यवसायजन्य (वि०) व्यवहार युक्त। व्यवसायहीन (वि०) प्रयत्न रहित, उद्योग से विमुख।
(समु० १/३३) व्यवसायिन् (वि०) [व्यवसाय+इनि] उद्योगी, परिश्रमी,
ऊर्जाशील। ०चेष्टायुक्त, प्रयत्नशील।
०दृढ़ संकल्पी, धैर्यगत। व्यवसित (भू०क०कृ०) [वि+अव+सो+क्त] संकल्पित,
धैर्ययुक्त, प्रयत्नशील, उद्यमवान्। निश्चित, निर्धारित, आयोजित।
प्रयास किया गया। व्यवस्था (स्त्री०) [वि+अव-स्था+अ+टाप] स्थिरता,
निश्चितता। दृढ़ता, धैर्यता। विभाग, विभाजन। (वीरो० १८/१३) ०क्रम स्थापन।
नियम पद्धति। (सम्य० १२५) ०सहमति, स्वीकृति। ०अवस्था, दशा। वीक्ष्येदृशीमङ्गतामवस्थां तेषां महात्मा कृतवान् व्यवस्थाम्। (वीरो० १८/१३) विभज्य तान् क्षत्रिय-वैश्य-शूद्रभेदेन मेधा-सरितां समुद्रः।। (वीरो०
१८/१३) व्यवस्थापनं (नपुं०) [वि+अव+स्था ल्युट्] ०क्रमबन्धन,
समाधान, निर्धारण। नियम, विधान, निश्चय। स्थिरता। दृढ़ता, धैर्य।
वियोग। व्यवस्थापक (वि०) [वि+अवस्था णिच्+ण्वुल]०व्यवस्था
करने वाला, प्रबन्धक।
संयमक। व्यवस्थापनं (नपुं०) [वि+अव+स्था+णिच् ल्युट] निर्धारण, निश्चयकरण। (जयो०० २/२)
स्थिर करना, दृढ़ करना, नियमित करना। व्यवस्थापित (भू०क०कृ०) [वि+अव स्था+णिच्+क्त]
०क्रमबद्ध, निश्चित।
अवस्थित, दृढ़ता युक्त। व्यवस्थित (भू०क०कृ०) [वि+अव स्था+क्त] निश्चित,
अवस्थित, स्थिर। निर्धारित, नियमित। अवलम्बित, आधारित।
वियुक्त, क्रम युक्त किया गया। व्यवस्थिति (स्त्री०) स्थिरता। (जयो० २/२) व्यवहूर्त (पुं०) [वि+अव+ह-तृच] ०प्रबन्धकर्ता, व्यवस्थापक।
न्यायधीश।
नियमन कर्ता, निर्धारण करने वाला व्यक्ति। व्यवह (अक०) घूमना, चलना, परिभ्रमण करना। (समु०२/२०) ___ व्यवहारन-संचरन् (जयो०१० २/१८) व्यवहारः (पुं०) [वि+अव+ह+घञ्] ०वृत्ति, प्रवृत्ति।
व्यवसाय। (जयो०वृ० १३/९) . आचरण, क्रिया, कर्म। (सम्य० १२६) 'विधिपूर्वकमवहरणं व्यवहारः' (जैन०ल० १०३९)
रीति, पद्धति, नियम। ०प्रचलन, प्रथा, प्रशासन।
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