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वैद्यकः
१०२७
वैमुख्यं
(जयो०६/१०) चिकित्सक, निदानक, भैषजज्ञा (जयो०वृ० ६/७५) (मुनि० ३१)
विद्वान् पुरुष, बुद्धिमान व्यक्ति। वैद्यकः (पुं०) [वैद्य+कन्] चिकित्सक, वैद्य। वैद्यकं (नपुं०) चिकित्सा पद्धति, औषध विज्ञान। वैद्युत (वि०) [विद्युत+अण्] बिजली से उत्पन्न। वैद्युतवह्निः (स्त्री०) बिजली की अग्नि। वैधुताग्निः (स्त्री०) बिजली से उत्पन्न आग। वैद्यतानलः (पुं०) बिजली से प्राप्त होने वाली ऊर्जा। वैद्योपक्रमः (पुं०) प्राणाचार्य उपक्रम।
रोगी। (जयो०६/१०) वैधः (पुं०) नीति, व्यवहार, लोकाचार। (जयो० ५/४७) वैधयं (नपुं०) [विधर्म+ष्यञ्] भिन्नता, असमानता।
वैपरीत्य। अवैधता। अनौचित्य। ०अन्याया
०पाखण्ड। वैधवेयः (पुं०) [विधवा+ ढक्] विधवा का पुत्र। वैधव्य (वि०) [विधवा+ष्यञ्] विधवापन, पति विहीनता
युक्त। वैधुर्यं (नपुं०) [विधुर+ष्यञ्] विक्षोभ, सिहरन, कंपकंपी।
०व्याकुलता, आकुलता।
शोकावस्था। वैधेय (वि०) [विधि+ढक्] ०मूर्ख, मूढ, जड़, बुद्ध।
नियमानुकूल, विहित।
प्रतिपादित, कथित। वैधेयः (पुं०) मूढ। वैनतेयः (पुं०) [विनता+ढक्] गरुड़ पक्षी। (जयो०वृ० १/४४) वैनयिक (वि०) [विनय ठक्] शिष्टता, "विनयेन चरन्तीति
वैनयिका" सौजन्य, सदाचरण। विनय को स्वीकार करने
वाले। वैनयिकः (पुं०) सामरिक रथ, युद्ध रथ। वैनयिकवादः (पुं०) विनय को स्वीकार करने वाले मिथ्यादृष्टि। वैनायक (वि०) [विनायक+अण] गणधर सम्बंधी, गणेश
सम्बंधी। वैनायिकः (पुं०) [विनायं खण्डनमधिकृत्य कृतो ग्रन्थः
विनाय+ठक्] बौद्धमत का एक दार्शनिक सम्प्रदाय।
वैनाशिकः (पुं०) [विनाश+ठक्] दास। ०मकड़ी।
ज्योतिष। ०बौद्धसिद्धांत। वैपरीत्य (वि०) विपरीतता, विरोधिता। (दयो० १२२)
* निर्लोमता (जयो०वृ० ११/१८)
असंगति। (सम्य०६)
विपरीत वृत्ति। वैफुल्यं (नपुं०) [विपुल ष्यञ्] विस्तार, विशालता।
पुष्कलता, ०बहुलता, ०अधिकता। वैपुल्यं (नपुं०) [विफल+ष्यञ्] निष्फलपना, निरर्थकता,
विफलता। (समु० ६/६) वैबोधिकः (पुं०) [विबोध+ठक] चौकीदार, पहरेदार, जागति
एवं सजगता उत्पन्न करने वाला गश्ती। वैभवं (नपुं०) [विभु+अण्] बड़प्पन, यश, महिमा।
सम्य० ४१) 'दूरारूढचरित्रवैभवबलां चञ्चच्चिदर्चिर्मयीम्' (सम्य० ४१) वैभाविकी (स्त्री०) वैभाविकी शक्ति, जीव द्रव्य और पुद्गल
द्रव्य इन दोनों में एक वैभाविकी शक्ति होती है। दूसरे से मिलने पर उसके प्रभाव को स्वीकार करना और अपना प्रभाव उस पर दिखाना। (सम्य० २३) एकोन्यतः सम्मिलतीति, यावद्वैभाविकी शक्तिरुदेति तावत्। तयोरथैकाकिताऽन्वये तु, शक्तिः पुनः सा खलु मौनमेतुः।।
(सम्य० २९) वैभ्राज्यं (नपुं०) [विभ्राज+अण] स्वर्गीय उपवन, स्वर्गीय
आराम। रमणीय बगीचा। वैमत्यं (नपुं०) [विमत+ष्यञ्] ०मतभेद।
विचारभेद। ०अनबन।
अरुचि। वैमनस्य (नपुं०) [विमनस्+ष्यञ्] ०शोक, उदासी, मानसिक
वेदना, बैचेनी। वैमात्रः (पुं०) सौतेली मां का बेटा। वैमानिक (वि०) [विमान+ठक] विमान में आसीन। वैमानिकः (पुं०) विमानवासी देव। 'विमानेषु भवा वैमानिकाः' वैमुख्यं (नपुं०) [विमुख+ष्यञ] विमुखता। मुंह मोड़ना,
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