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विलोम
९९८
विवर्तः
विलोम (वि०) [विगतं लोमं यत्र] * विपर्यय। (जयो०२२/५८)
* प्रतिकूल, विपरीत, प्रतिलोम। * हर्ष रहित, लोम रहित-विलोमेनैव सर्वाञ्जनांनुल्लंघ्य विलोम प्रक्रिया' (जयो०वृ० १२/११८)
* विरुद्ध, पिछड़ा हुआ। विलोमः (पुं०) विपरीत क्रम, प्रतिलोम।
* कुत्ता, सर्प, वरुण। विलोम (नपुं०) रहट, पानी निकालने का यन्त्र। विलोमगामिन् (वि०) विपरीत पाठ वाला। (जयो० २८/२१)
* विपरीत चलने वाला। विलोमज (वि०) लोमाभाव, हर्ष का अभाव। (वीरो० २/४८)
* निर्लोमता। (जयो० ११/१८) * विपर्यय। (जयो० २२/५८) वैपरीत्य। (जयो० २/२३)
* विपरीतता। (जयो० २४/९१) विलोमविधिः (स्त्री०) प्रतिकूल कर्म। विलोल (वि०) [विशेषेण लोल:] * चञ्चल, चपल। (जयो०
१७/१३०) * ढोलायमान, चलायमान, थरथर करने वाला।
* ढीला, विपर्यस्त, बिखरा हुआ। विलोलनं (नपुं०) चञ्चल, परिचालन। (जयो० ५/८५) विलोहितः (पुं०) रुद्र। विल्बः (पुं०) बिल्बफल। ___ * श्रीफल। (जयो० १२४३) विल्वफल (नपुं०) बेल का फल। (जयो०वृ० १४/९) विवक्षा (स्त्री०) [वच+सन्+अ+टाप्] * अभिलाषा, कामना,
चाह, इच्छा।
* अर्थ, आशय, प्रयोजन। विवक्षित (वि०) [विवक्षा+इतच] * अभिप्रेत, कहे जाने योग्य।
* अर्थ युक्त, प्रयोजनभूत। * अभिप्राय युक्त, उद्देश्यपूर्ण।
* आशय युक्त। विवक्षितं (नपुं०) आशय, अभिप्राय, प्रयोजन। विवक्षु (वि०) [वच्+सन्+3] बोलने की इच्छा वाला। विवत्सा (स्त्री०) [विगताः वत्सो यस्याः] बिना बछड़े वाली
गाय, वत्स विहीन गाय। विवद् (सक०) निवेदन करना, बोलना, कहना। (मुनि० ३) विविधः (पुं०) [विवधो विगतो वा वध, हननं गतिर्वा यत्र]।
*जूआ-बैलों के कांधे पर रखा जाने वाला जूआ।
* मार्ग। * बोझ।
* भार। विवधिक (वि०) [विवध+ठन] बोझ ढोने वाला, भारवाहक।
* फेरी वाला। विवरं (नपुं०) [वि+व+अच्] * छिद्र, रन्ध्र, सुराग, बिल।
(सुद० १/३७) * दरार, खोखलापन। (जयो० १३/४३) * एकान्त स्थान। * विच्छेद। * दोष, त्रुटि।
* घाव। विवरणं (नपुं०) * प्रदर्शन, * अभिव्यंजन * स्पष्ट। * व्याख्यान
करण। (जयो० ५/९५) * गणना, * निरूपण। विवरनालिका (स्त्री०) बंसरी, बंसी, मुरली। विवरप्रयोगः (पुं०) छेद-छिद्र। (समु० ६/७) विवर्जनं (नपुं०) [वि+र+ल्युट] छोडना, निकाल देना,
परित्याग करना। विवर्जित (भू०क०कृ०) [वि+रज+क्त] * परित्यक्त, विसर्जित।
(सम्य० ९३) * छोड़ा गया। * प्रदत्त, दिया गया।
* परिहृत, वञ्चित। विवर्ण (वि०) [विगतः वर्णो यस्य] * निष्प्रभ, पाण्डु, फीका,
भदरंगा। * वर्ण रहित।
* अज्ञानी, मूढ, निरक्षर। विवर्णः (पुं०) जाति बहिष्कृत। विवर्णता (वि०) कान्तिहीनता। (वीरो० १९/२२) विवर्णिका (स्त्री०) व्याख्या, भाष्य। विवर्णिता (स्त्री०) व्याख्या, भाष्य। (जयो०१० ३/७७) विवर्तः (पुं०) [वि+वृत्+घञ्] * आवर्त, परावर्तन, परिभ्रमण,
घूमना। * चक्कर लगाना, आगे पीछे होना। * अवस्थन, अनेक प्रकार का। (जयो० १३/४१) * बदलना, सुधारना। * पर्याय। (जयो० २१/१३)
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