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विमुग्ध
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वियोगिनी
* उदासीन। * खिन्न मन वाला, व्याकुल। * विरोधी, डराने वाले का विरोधी। भीरुभ्यो विमखो भूत्वा, सर्वेभ्योऽप्यभयप्रदः। (समु०९/६) * रहित, शून्य, विहीन। * जगत् के प्रति लगाव नहीं रखने वाला। जगतां विमुखेनापि सतां मार्गे सपक्षता। (जयो० २२/३२)
* शत्र, प्रतिपक्षी। विमुग्ध (वि०) [वि+मुह+क्त] आसक्त, विषयभावनागत,
मूछित, मोहासक्त। * अत्यधिक मोह को प्राप्त।
* व्याकुल, निराश। विमुच (वि०) ग्रहण करने वाला, छोड़ने वाला नहीं। विमुद्र (वि०) [विगता मुद्रा यस्य] मुद्रा रहित, चिह्न रहित,
पहचान शून्य।
* खुला हुआ, मुकुलित। विमुद्रित (भू०क०कृ०) [वि+मुद्र+क्त] निमीलित। (जयो०१०
१५/४९)
* मुद्रा रहित हुआ, चिह्न वियुक्त। विमूढ (भू०क०कृ०) [वि+मुह्+क्त] * मुग्ध, आसक्त हुआ।
* व्याकुल, घबड़ाया हुआ।
* बैचेन, उदासीन, विमुग्ध। विमूढमन (वि०) [विमूढो मनो यस्य] * जडान्त करण,
जड़शील। (जयो० २/१४२)
* मूढ बुद्धि माला। विमृष्ट (भू०क०कृ०) [वि+मृ+क्त] * साफ किया गया,
पोंछा गया। * मद्रित किया गया, प्रक्षालिता प्रमार्जित. प्रशोधित।
* चिन्तन किया गया, सोचा गया। विमोक्षः (पुं०) [वि+मोक्ष+घञ्] * मुक्ति, छुटकारा,
बन्धनविहीन। विमोक्षणं (नपुं०) [वि+मोक्ष ल्युट्] * मुक्त करना, छोड़ना।
* मुंचन, परित्यक्तन। विमोचनं (नपुं०) [वि+मुच्+ल्युट्] * खोलना, छोड़ना, त्यागना।
* छुटकारा, मुक्ति। विमोचिन (भू०क००) [वि+मुच्+क्त] * फेंके गए, छोड़े
गए, त्यागे गए। * परित्यक्त-'धनिना विमोचित माढ्यपरित्यक्तं पदादि'।
(जयो०७० २/२८) विमोह (वि०) मुग्ध किया हुआ, आसक्त किया हुआ।
विमोह्र (नपुं०) [वि+मुह+णिच्+ ल्युट्] * रिझाना, * प्रलोभन
देना। * मोहित करना, अपनी ओर आकर्षित करना। * आसक्त करना।
* आकृष्ट करना, प्रभावित करना। विमोहित (वि०) आकर्षित। (समु० ७/१८) विमोहिनी (स्त्री०) स्नेहकर्मी। (जयो० १२/५२) विम्बटः (पुं०) [विब्+अट्+अच्] राई का पौधा। वियत् (नपुं०) [वियच्छति न विरमति-वि+यम् क्विप्] अन्तरक्षि,
आकाश, गगन, नभ। (जयो० १८/२२) वियत्गंगा (स्त्री०) आकाश गंगा, स्वर्ग गंगा। वियत्गामिन् (पुं०) आकशगामी, विद्याधर। वियत्चारिन् (पुं०) पक्षी, गृद्ध पक्षी। वियत्भूतिः (स्त्री०) अंधकार, तम, अंधेरा। वियत्मणिः (पुं०) सूर्य, दिनकर। वियतिः (पुं०) पक्षी, गमन। (जयो० १३/२४) वियमः (पुं०) [वि+यम् अप्] प्रतिबन्ध, रोक, विराम, गतिरोध।
नियंत्रण, बन्धन। वियात (वि०) [विरुद्ध निन्दा यातः] धृष्ट, निर्लज्ज, ढीठ। वियुक्त (भू०क०कृ०) [वि+युज्+क्त] * पृथक्, अलग। ___* विच्छिन्न, परित्यक्त।
* जुदा हुआ, वंचित। वियुक्तिः (स्त्री०) परित्याग। (हित० ४२;) वियुज् (अक०) बिछुड़ना, अलग होना। (जयो० १२/१०)
*दुःख, कष्ट, पीड़ा, वेदना, व्याधि। वियुत (भू०क०कृ०) [वि+यु+क्त] * पृथक, भिन्न-भिन्न। ___* वञ्चित, शून्य, विरहिता वियोगः (पुं०) [वि+युज+घञ्] * विछोह, विच्छेद, जुदाई।
* सम्बन्ध विच्छेद। (समु०८/६)
* अभाव, हानि, क्षति। वियोगज (वि०) वियोग को प्राप्त होने वाला। (मुनि० ८) वियोगिन् (वि.) [वियोग+इनि] वियुक्त।
* चक्रवाक् पक्षी। वियोगिचित्तं (नपुं०) वैराग्यशील। (जयो० १७/९) (जयो०
वियोगिनी (स्त्री०) [वियोगिन् ङीष] वियुक्त स्त्री, विरहिणी,
पतिवियोग युक्त। छाया वृक्षत्वं विदधाति तावद्वियोगिनीयं। (वीरो० १२/५) * एक छन्द का नाम।
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