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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विमुग्ध ९९१ वियोगिनी * उदासीन। * खिन्न मन वाला, व्याकुल। * विरोधी, डराने वाले का विरोधी। भीरुभ्यो विमखो भूत्वा, सर्वेभ्योऽप्यभयप्रदः। (समु०९/६) * रहित, शून्य, विहीन। * जगत् के प्रति लगाव नहीं रखने वाला। जगतां विमुखेनापि सतां मार्गे सपक्षता। (जयो० २२/३२) * शत्र, प्रतिपक्षी। विमुग्ध (वि०) [वि+मुह+क्त] आसक्त, विषयभावनागत, मूछित, मोहासक्त। * अत्यधिक मोह को प्राप्त। * व्याकुल, निराश। विमुच (वि०) ग्रहण करने वाला, छोड़ने वाला नहीं। विमुद्र (वि०) [विगता मुद्रा यस्य] मुद्रा रहित, चिह्न रहित, पहचान शून्य। * खुला हुआ, मुकुलित। विमुद्रित (भू०क०कृ०) [वि+मुद्र+क्त] निमीलित। (जयो०१० १५/४९) * मुद्रा रहित हुआ, चिह्न वियुक्त। विमूढ (भू०क०कृ०) [वि+मुह्+क्त] * मुग्ध, आसक्त हुआ। * व्याकुल, घबड़ाया हुआ। * बैचेन, उदासीन, विमुग्ध। विमूढमन (वि०) [विमूढो मनो यस्य] * जडान्त करण, जड़शील। (जयो० २/१४२) * मूढ बुद्धि माला। विमृष्ट (भू०क०कृ०) [वि+मृ+क्त] * साफ किया गया, पोंछा गया। * मद्रित किया गया, प्रक्षालिता प्रमार्जित. प्रशोधित। * चिन्तन किया गया, सोचा गया। विमोक्षः (पुं०) [वि+मोक्ष+घञ्] * मुक्ति, छुटकारा, बन्धनविहीन। विमोक्षणं (नपुं०) [वि+मोक्ष ल्युट्] * मुक्त करना, छोड़ना। * मुंचन, परित्यक्तन। विमोचनं (नपुं०) [वि+मुच्+ल्युट्] * खोलना, छोड़ना, त्यागना। * छुटकारा, मुक्ति। विमोचिन (भू०क००) [वि+मुच्+क्त] * फेंके गए, छोड़े गए, त्यागे गए। * परित्यक्त-'धनिना विमोचित माढ्यपरित्यक्तं पदादि'। (जयो०७० २/२८) विमोह (वि०) मुग्ध किया हुआ, आसक्त किया हुआ। विमोह्र (नपुं०) [वि+मुह+णिच्+ ल्युट्] * रिझाना, * प्रलोभन देना। * मोहित करना, अपनी ओर आकर्षित करना। * आसक्त करना। * आकृष्ट करना, प्रभावित करना। विमोहित (वि०) आकर्षित। (समु० ७/१८) विमोहिनी (स्त्री०) स्नेहकर्मी। (जयो० १२/५२) विम्बटः (पुं०) [विब्+अट्+अच्] राई का पौधा। वियत् (नपुं०) [वियच्छति न विरमति-वि+यम् क्विप्] अन्तरक्षि, आकाश, गगन, नभ। (जयो० १८/२२) वियत्गंगा (स्त्री०) आकाश गंगा, स्वर्ग गंगा। वियत्गामिन् (पुं०) आकशगामी, विद्याधर। वियत्चारिन् (पुं०) पक्षी, गृद्ध पक्षी। वियत्भूतिः (स्त्री०) अंधकार, तम, अंधेरा। वियत्मणिः (पुं०) सूर्य, दिनकर। वियतिः (पुं०) पक्षी, गमन। (जयो० १३/२४) वियमः (पुं०) [वि+यम् अप्] प्रतिबन्ध, रोक, विराम, गतिरोध। नियंत्रण, बन्धन। वियात (वि०) [विरुद्ध निन्दा यातः] धृष्ट, निर्लज्ज, ढीठ। वियुक्त (भू०क०कृ०) [वि+युज्+क्त] * पृथक्, अलग। ___* विच्छिन्न, परित्यक्त। * जुदा हुआ, वंचित। वियुक्तिः (स्त्री०) परित्याग। (हित० ४२;) वियुज् (अक०) बिछुड़ना, अलग होना। (जयो० १२/१०) *दुःख, कष्ट, पीड़ा, वेदना, व्याधि। वियुत (भू०क०कृ०) [वि+यु+क्त] * पृथक, भिन्न-भिन्न। ___* वञ्चित, शून्य, विरहिता वियोगः (पुं०) [वि+युज+घञ्] * विछोह, विच्छेद, जुदाई। * सम्बन्ध विच्छेद। (समु०८/६) * अभाव, हानि, क्षति। वियोगज (वि०) वियोग को प्राप्त होने वाला। (मुनि० ८) वियोगिन् (वि.) [वियोग+इनि] वियुक्त। * चक्रवाक् पक्षी। वियोगिचित्तं (नपुं०) वैराग्यशील। (जयो० १७/९) (जयो० वियोगिनी (स्त्री०) [वियोगिन् ङीष] वियुक्त स्त्री, विरहिणी, पतिवियोग युक्त। छाया वृक्षत्वं विदधाति तावद्वियोगिनीयं। (वीरो० १२/५) * एक छन्द का नाम। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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