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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विभूषा ९८९ विमर्दः (सुद० ८४) * अलंकार, * सौंदर्य साधन। विभ्रान्त (भू०क०कृ०) [वि+भ्रम्+क्त] * विक्षुब्ध, व्याकुल, * आभूषण, आभरण। * प्रसाधन। परेशान। विभूषा (स्त्री०) [वि+भूष+अ+टाप] * अलंकार, सजावट। * भ्रम युक्त, आशंकाशील। ___ * प्रकाश, कान्ति, सौंदर्य, गरिमा। * शोभा। * अव्यवस्थित, हड़बड़ाया हुआ। विभूषित (भू०क०कृ०) अलंकृत, सुशोभित। (जयो० १/३८) * चक्कर में पड़ा हुआ। विभृ (सक०) धारण करना। (जयो० २/११५) (वीरो० ९/२८) * उन्मत्त, मदहोश। विभूत (भूक०कृ०) [वि+भृ+क्त] * आश्रय दिया गया, I विभ्रान्तिः (स्त्री०) [वि+भ्रम क्तिन] * चक्कर, फेरा, आशंका, सहारा दिया गया। संदेह। * संधारित, संपोषित, संरक्षित। * उतावली, हड़बड़ी। विभ्रंशः (पुं०) [वि+भ्रंश+घञ] * क्षति, हानि, नाश। * त्रुटि, भूल। * गिरना, टूटना। | विमत (भू०क०कृ०) [वि+मन्+क्त] * असहमत, असम्मत। * चट्टान। * विषम, असंगत। विभ्रंशित (भू०क०कृ०) [वि+भ्रंश+क्त] * वंचित, ठगा . * अनाहत, अपमानित, उपेक्षित। गया, बहकाया गया। विमति (वि०) [विरुद्धा विगता वा मतिर्यस्य] * मुर्ख, मढ, * फुसलाया गया। अज्ञानी। विभ्रमः (पुं०) [वि+भ्रम्+घञ्] * भ्रमण, घूमना, टहलना। विमतिः (स्त्री०) असम्मति, असहमति। चलभाव। (जयो० ३/८२) * अरुचि, जड़ता, मूर्खता। * भ्रम होना, भ्रान्ति होना, संदेह, आशंका। (वीरो० विमतिन् (वि०) अन्यधर्मावलम्बि। (जयो० २/७२) असहमति २०/१५) वाला। * विक्षेप, किलिकिञ्चित। * आवर्त। (जयो० ७/२०) विमत्युपार्जित (वि०) कुबुद्धि के वश। (सुद० ११०) विमत्सरं (नपुं०) [विगतः मत्सरो यस्य] ईर्ष्या रहित, द्वेष * अंगचेष्टित। (जयो०५/२९) रहित। * अनासक्ति, मनोदोष। (जयो० ३/३) * उन्मनीभाव (जयो० ६/३५) विमद (वि०) [विगता मदो यस्य] * मद रहित, * मोह * जातसन्देह। (जयो० ६/३५) विमुक्त, उन्मत्तता रहित। * त्रुटि, भूल, गलती। (सम्य० ११५) * हर्षशून्य, ईर्ष्यालु। * अव्यवस्था। विमध्या (वि.) [विकारो मध्ये यस्याः सा] पतली कमल * नेत्रविकार। (जयो० १६/२०) वाली स्त्री। * कामकेलि, आमोद-प्रमोद। विमनस् (वि०) [विरुद्धं मनो यस्य] (जयो० २२/४४) * विलास। (जयो० ३/११३) * क्रीडाभाव। * उदास, खिन्न, विषण्ण, अवसन्न। विभ्रमपुंस् (पुं०) भ्रान्ति युक्त पुरुष। (जयो० १६/५४) * अनमना, उदासीन, परेशान, व्याकुल। विभ्रमा (स्त्री०) [वि+भ्रम्+अच्+टाप्] बुढ़ापा, वृद्धापन। * अप्रसन्न, हर्ष विगत। विभ्रष्ट (भू०क०कृ०) [वि+भ्रंश्+क्त] * पतित, गिरा हुआ। | विमन्यु (वि०) [विगता मन्यूर्यस्य] * क्रोध रहित, शोक * क्षीण, लुप्त। विहीन। * ओझल, अन्तर्हित। * क्षमाशील, मृदुस्वाभावी। * अलग हुआ। विमयः (पुं०) [वि+मी+अच्] विनिमय, लेन-देन, आदान-प्रदान। विभ्राज् (वि०) [वि+भ्राज्+क्विप्] * कान्तिमान्, देदीप्यमान्। विमर्दः (पुं०) [वि+मृद्+घञ्] कुचलना, कूटना, मर्दन करना, (जयो० १८/५४) * सौंदर्य से परिपूर्ण। मसलना। * चमकीला, प्रभायुक्त। * रगड़ना, घिसना, संमर्दन करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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