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विजितः
९७०
विज्ञानिक
विजितः (पुं०) [वि+ज+क्तिन्] विजय, जीत, फतह। विजित्य (सं०कृ०) जीतकर। (सुद० २/४८) विजिनः (पुं०) चटनी। विजिह्य (वि०) कुटिल, वक्र, मुड़ा हुआ। विजुलः (पुं०) [विज्+उलच्] शाल्मलि तरु, सेमलवृक्ष। विजृम्भ (अक०) जम्भाई लेना, उबासी लेना। (वीरो० ६/१२) विजृम्भणं (नपुं०) [वि+जृम्भ+ल्युट्] जम्भाई लेना, मुंह
खोलना, आलस्य चिह्न। (जयो०वृ० ६/३९) खिलाना, मुकुलित होना, उन्मुक्त होना। दिखलाना, प्रदर्शन करना, खोलना, फैलाना। मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, रंगरेलियां मनाना।
अरुचिधारिणी। (जयोवृ०६/३९) विजृम्भित (भू०क०कृ०) [वि+जृम्भ+क्त] ०जंभाई ली।
विकसित फैलाया।
प्रदर्शित, दिखाया गया। विजृम्भितं (नपुं०) मनोरंजन क्रीड़ा, खेल प्रदर्शन * अभिलाषा,
वाञ्छा, चाह।
०कृत्य कार्य, कर्म, आचरण। विजेतुं (वि०+जि+तुमुन्) जीतने के लिए। (वीरो० २२/३३) विज्जनं (नपुं०) एक प्रकार की चटनी।
तीर, बाण। विज्जुलं (नपुं०) दालचीनी। विज्ञ (वि.) [विज्ञा+क] प्रज्ञ, विज्ञान।
जानकार, समझने वाला, सोचने वाला, समझदार। (दयो० १/९) निपुण, चतुर, प्रवीण, जानकार लोग। (सुद० १०७) ज्ञानी, मनीषी, विचारज्ञ। विज्ञो न सम्पत्तिषु हर्षमेति
(सुद० १११) विज्ञः (पुं०) बुद्धिमान् पुरुष। 'धर्मात्मतां विज्ञ उपेति' (सम्य०७०) विज्ञतुक (पुं०) विज्ञ का पुत्र। (वीरो० १७/३५) विज्ञप्त (भू०क०कृ०) [विज्ञप्+क्त] कथित, प्रार्थित, निरूपित। विज्ञा (वि०) चतुरा, विज्ञाय विज्ञा रुचिवेदने ताः। (वीरो०५/३४) विज्ञप्तिः (स्त्री०) [विज्ञप्+क्तिन्] प्रार्थना, अनुरोध, समाचार।
तर्कसंगत पदार्थ का ज्ञान। ०सादर उक्ति, घोषणा।
विज्ञभाषित (वि०) विद्वान् द्वारा कथित-विज्ञेन विदुषो भाषितं ___ कथितमिदम्' (जयो० ४/२५) विज्ञवर (वि०) श्रेष्ठज्ञानी। (वीरो० १२/४४) विज्ञात (भू०क०कृ०) [वि+ज्ञा+क्त] विदित, ज्ञात, जानकारी।
कलित। (जयो०वृ०८/९२) ज्ञान किया गया, अनुभूत।
विख्यात, प्रसिद्ध, विश्रुत। विज्ञानं (नपुं०) [वि+ज्ञा+ल्युट्] ०ज्ञान, अनुभूति, अनुभव,
(दयो० १०) प्रतीति, जानकारी, आत्म-ज्ञान। (दयो० ५९) परमात्म प्रतीति, वस्तु तत्त्व ज्ञान। (सम्य० १०६) ०भेद विज्ञान, वस्तुज्ञान, परमात्मज्ञान, विशुद्धात्म, प्रतीति (सम्य० १०७) ०अनध्वसाय, संदेह और विपरीत्ता से रहित ज्ञान।
स्व-पर-विषयक प्रतिभास। विशेषस्य ज्ञात्याद्याकारस्य ज्ञानमवबोधनं निश्चयो यस्य तद्विज्ञानम्' (जैन०ल० १००) ०व्यवसाय, प्रयोजन, नियोजन।
विवेचन, निरूपण, प्रतिपादन। विज्ञानगत (वि०) भेद विज्ञान को प्राप्त।
कैवल्यविशिष्ट ज्ञान (वीरो० ५/३३) विज्ञानगति (स्त्री०) ज्ञान की अवस्था। परमात्म ज्ञान की
स्थिति। विज्ञानज्योति (स्त्री०) भेद विज्ञान की प्रतीति। विज्ञानतत्त्वं (नपुं०) परमात्म तत्त्व, विशेष ज्ञान तत्त्व, सम्यग्ज्ञान
की विशेषता। विज्ञानधामं (नपुं०) परमज्ञान का स्थान। विज्ञानभातृकः (पुं०) बुद्ध। विज्ञानवादः (पुं०) बौद्ध सिद्धांत की एक शाखा। विज्ञानविद्या (स्त्री०) आध्यात्मविद्या (दयो०१०) विज्ञानविधायिन (वि०) अध्यात्म विधा युक्त। कथमस्तु ।
जडप्रसङ्गताऽखिविज्ञानविधायिना सता। (वीरो० ७) विज्ञानसंतुलित (वि०) भेद विज्ञान की एक रूपता वाली दृष्टि।
वीरस्तु धर्ममिति यं परितोऽनपायं, विज्ञानतस्तुलितमाह जगद्धिताय। तस्यानुयायिधृतविस्मरणादि दोषा,
द्याऽभूद्दशा क्रमगतोच्यत इत्यहो सा।। (वीरो० २२/१) । विज्ञानार्थ (वि०) विशेष ज्ञान के लिए। (जयो०वृ० २/४९) विज्ञानिक (वि०) [विज्ञान+ठन्] विद्वान्, ज्ञायक, जानकर।
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