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विचित्रध्यानं
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विज
विचित्रध्यानं (नपुं०) शुभाशुभ रहित ध्यान। विशुद्ध ध्यान, विच्छर्दित (वि०) [वि+छुद्+क्त] उगला हुआ, वमित। शुक्ल ध्यान।
विच्छाय (वि०) [विगताछाया यस्य] निष्प्रभ, धुंधला, छाया विचित्रभावः (पुं०) आश्चर्य युक्त भाव, चमत्कारपूर्ण भाव।
रहित। (सुद० १/२५)
विच्छायः (पुं०) रत्न, मणि, मुक्ता। विचित्रमाला (स्त्री०) रमणीय हार, मनोहारी।
विच्छित्तिः (स्त्री०) [वि+छिद्+क्तिन्] काटना, विच्छेद करना, विचित्ररत्न (नपुं०) नाना प्रकार के रत्न।
भेदन करना। • विभाजन, गणितीय विभाग। विचित्रराशि (स्त्री०) विविध राशियां।
०लोप, विराम, अभाव। विचित्रयोग (वि०) नाना प्रकार योग वाला।
०अन्तर्धान, अनुपस्थिति। विचित्रवस्तुगेहं (नपुं०) अजायबघर। (जयो० १८/४९) विच्छिन्न (भूक०कृ०) [वि+छिद्+क्त] छिपा हुआ, विचित्रवर्गः (पुं०) विचित्र आकार। (वीरो० ४/२०)
आच्छादित हुआ। विच्छिन्न आत्मभुविरागनगो विचित्रसंयोगः (पुं०) सुनिश्चित योग।
विनेतुरन्तर्मुहूर्तत इयान् पुनरभ्युदेतु।। (सम्य० १४७) विचिन्वत्कः (पुं०) [वि+चि+शतृ+कन्] ०खोज, अन्वेषण,
विभक्त, वियुक्त, विभाग युक्त। अनुसंधान।
समाप्त किया गया, नष्ट किया गया। ०बहादुर, जाबाज।
गुप्त, रहस्यमय। विचीर्ण (वि०) [विगता चेतना यस्य] निर्जीव, चेतना | विच्छिन्नता (वि०) विकलता। (जयो० २३/६०) रहित, शून्यगत, मृतक।
विच्चरित (भू०क०कृ०) [विच्छूर+क्त] ०ढका गया, छिपाया प्राणविहीन।
गया। विचेतस् (वि०) [विगतं चेतो यस्य] अज्ञानी, मूढ़। मूर्ख।
जड़ा गया, पोता गया, लीपा गया। ०संज्ञारहित, चेतनाशून्य।
फैलाया गया। ०व्याकुल, उदास।
विच्छेदः (पुं०) [वि+छिद्+घञ्] ०काटना, छेदना, भेदना। विचेष्टित (भू०क००) [वि+चेष्ट्र+क्त] ०महान्, चेष्टायुक्त।
०तोड़ना, विभाग करना। (जयो० १२/१४२)
विराम, रोक, हस्तक्षेप। चेष्टा करने वाला, उद्यमशील।
प्रतिषेध, हटाना। संघर्ष किया गया।
परिच्छेद, अनुभाग, अंश, भाग, हिस्सा। परीक्षण किया गया. गवेषणा की गई।
०अंतराल, अवकाश। ०दुष्कृता
विच्छेदरहित (वि०) अखण्ड अनपायिनी। (जयो०७० २/३८) विचेष्टितं (नपुं०) कर्म, कार्य, काम।
व्यनपायी। (जयो० १३/२७) प्रयत्न, प्रयास, उद्यम। ..
विच्युत (भू०क०कृ०) [वि+च्यु+क्त] ०अधः पतित, नीचे उद्योग, साहसिककार्य।
गिरा हुआ। संवेदना, षड़यन्त्र, प्रबन्ध।
विस्थापित, व्यतिक्रान्त, परित्यक्त। विच्छ (सक०) जाना, पहुंचना।
विच्युतिः (स्त्री०) [वि+च्यु+क्तिन] ०अधःपतन, स्खलन, विच्छन्दः (पुं०) [विशिष्टः छन्दोऽभिप्रायो यस्मिन] ०अनेक
वियोग। खण्ड वाला प्रसाद, उच्च प्रासाद।
बिछोह, क्षय, छति, हानि, विनाश। विच्छर्दकः (पुं०) [वि+छ्द्+ण्वुल्] प्रासाद, महल, उच्चभवन
विचलन, असफलता। राजभवन।
विज् (सक०) विभक्त करना, वियुक्त करना, भेद करना, विच्छर्दनं (नपुं०) [वि+छ्द्+ल्युट्] वमन, कै करना।
अन्तर पहचानना। उगलना।
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