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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मौर्यस्थलं ८६४ म्लेच्छित पश्चादनेकनरपालतया विभिन्न, विश्वासवाञ्जनगणः समभूत्तु खिन्नः।। (वीरो० २२/१२) मौर्यस्थलं (नपुं०) मौर्य नायक स्थान। (वीरो० २२/७) (वीरो १४/७) मौरिः (स्त्री०) मौलि, मुकुट। (जयो० १२/९) मौर्वी (स्त्री०) मौलिक, मूलभूत। प्राचीन, पुराना। गुजरात का प्रसिद्ध स्थान, जहां चीनी मिट्टी की टाइल्स एवं अन्य सेनेटरी समान का उत्पादन होता है। मौलिः (स्त्री०) मुकुट, शिरोमणि। (जयो० ६/५२) ताज, किरीट, मौर। (जयो०१२/९) प्रधान। शिरमोर। किसी वस्तु का अग्रभाग। ० चोटी, शिखा, केशविन्यास। मौलि (वि०) प्रमुख, मुख्य, प्रधान। मौलि (स्त्री०) भूमि, पृथिवी। मौलिमणिः (स्त्री०) मुकुटमणि। मौलिमालः (पुं०) शिरोभूषण। (वीरो० ३/१) मौलिरत्नं (नपुं०) मुकुट रत्न। मौलिशोणमणिः (स्त्री०) शिरोमुकुटमणि। (जयो० ७/५७) मौल्यं (नपुं०) [मूल्य+अण] कीमत। मौष्टा (स्त्री०) मुट्ठी मुक्केबाजी। मौष्टिकः (पुं०) [मुष्टि ठक्] ठग, धूर्त। मौसल (वि०) मूसल के सदृश। मौहूर्तिकः (पुं०) ज्योतिर्विद, ज्योतिषी। (जयो० १०/२) उत्तमोच्च सकलग्रहनिष्ठे समये मोहूर्तिकोपदिष्टे। (वीरो० ६/३८) म्ना (सक०) याद करना, स्मरण करना, दुहराना। ०सोचना, विचारना, बोलना। उल्लेख करना, निर्धारित करना। ०अध्ययन करना, सीखना। म्नात (भू०क०कृ०) [म्ना+क्त] स्मरण किया गया, दुहराया गया। म्रक्षु (सक०) रगड़ना, साफ करना, प्रमार्जन करना। ०संचय करना, इकट्ठा करना। मिलाना, मिश्रण करना। ०लेप करना, मालिश करना। प्रक्षः (पुं०) [म्रक्ष्+घञ्] पाखण्ड, कपटाचार। म्रक्षणं (नपुं०) [मृक्ष ल्युट्] मृदुलतम् (जयो० १७/१२२) लेप करना, सामना। संचय करना, तेल लगाना। ०चुपड़ना। ०तेल, मल्हम। प्रक्षित (वि०) चिकने, दूषित। मद् (सक०) पीसना, चूर्ण करना, रौंदना, कुचलना। प्रदिमन् (पुं०) [मृदोर्भावः इमनिच्]०मादेक। मिष्ठान्न। (जयो० ११/९६) मृदता, कोमलता, दुर्बलता। प्रदिमलक्षणं (नपुं०) मार्दव रूप। (जयो० ११/९६) प्रदीयसी (वि०) अति कोमलता, अधिक मृदुता। (जयो० १३/५७) म्रञ्च (अक०) जाना। म्लक्ष (सक०) काटना, विभक्त करना, खण्ड खण्ड करना। म्लात (भू०क०कृ०) [म्लै+क्त] मुझाया हुआ, कुम्हलाया हुआ। म्लान (भू०क०कृ०) [म्लैक्त+क्त] मुझाया हुआ, कुम्हलाया हुआ। मलिन। (जयो० ४/११) गन्दा । ०क्षीणकाय, कृश। म्लानमनस् (वि०) उत्सहहीन, क्षीणतायुक्त, हताश। म्लानिः (स्त्री०) [म्लै+क्तिन्] मुझाया, कुम्हलाना। ०हास, क्लान्त, थका। खिन्न, उदासीन, क्षैथिल्य। म्लायत् (वि०) [म्लै+शतृ] कुम्हलाया हुआ। म्लायन्तिमलिनी भवन्ति। (जयो० ६/५३) म्लायिन् (वि०) [म्लै+स्नु] मुाया हुआ। ०पतला, कृश होने वाला। म्लिष्ट (वि०) [म्लेच्छ+ क्त] असम्भ, अस्पष्ट, असंस्कृत। म्लिष्ट (नपुं०) असंस्कृत भाषण। म्लेच्छ (अक०) अस्पष्ट बोलना, असम्भ कहना। म्लेच्छः (पुं०) [म्लेच्छ+घञ्] अव्यक्त भाषी। अनार्य, असम्भ। (हित० २७, जयो०वृ० २/१३०) निम्न, जाति बहिष्कृत। पापी, दुष्ट। म्लेच्छखण्डः (नपुं०) अनार्यदेश। (जयो० ३/५) म्लेच्छजातिः (स्त्री०) असम्भजाति। अनार्य क्षेत्रगत उत्पत्ति। म्लेच्छदेशः (पुं०) अनार्यदेश, असम्भदेश। म्लेच्छभाषा (स्त्री०) असम्भ व्यवहार, निम्न कथन। म्लेच्छित (भू०क०कृ०) असम्भव्यवहारित। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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