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मृत्युगत
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मृदुशीतहस्तं
मृत्युगत (वि०) मरण को प्राप्त हुआ।
मृदुलगति (स्त्री०) मन्दगति, धीमी चाल। मृत्युतूर्य (नपुं०) मृत्यु के समय बजाया जाने वाला वाद्य। मृदुलगेहं (नपुं०) सुंदर घर। उत्तम आवास। मृत्युञ्जयः (पुं०) शिव, शंकर। ऋषभ, ०एक तीर्थ स्थान, | मृदुलचन्द्र (पुं०) शीतल चन्द्र, सौम्य चन्द्र। गुजरात में स्थित पालीताना।
मृदुलछाया (स्त्री०) शीतल छाया। मृत्युनाशकः (पुं०) पारा।
मृदुलज्योतिः (स्त्री०) सरल शिखा, दीप। मृत्युपा (पुं०) शिव, महादेव।
मृदुलड्डुकुच (वि०) सुंदर कुच वाली। मृत्युपाशः (पुं०) यमराज का फंदा।
घृतयुक्त लड्डुओं वाले व्यञ्जन। (जयो० १२/२२३) मृत्युपुष्पः (पुं०) ईख, गन्ना।
मृदुलतरा (वि०) मधुरा। (जयो०वृ० ६/३०) मीठापन। मृत्युप्रतिबद्ध (वि०) मरणशील।
मृदुलता (वि०) कोमलता, सरसता। (सुद० १२४) मृत्युफला (स्त्री०) केला।
भद्रता। (जयो० १८/५२) मृत्युबीजः (पुं०) बांस, वेणु।
मृदुलता (वि०) म्रक्षण, चिकना। (जयो० १७/१२२) मृत्युमुखं (नपुं०) मरणकरण। (जयो० ८/६२)
मृदुलपरिणामः (पुं०) कोमलभाव, रमणीय भाव, उत्कृष्टभाव। मृत्युराज् (पुं०) यमराज।
(सुद०८२) मृत्युलोकः (पुं०) यमलोक, भूलोक, मर्त्यलोक।
मृदुलपादः (पुं०) सुकुमार चरण। मृत्युसूतिः (स्त्री०) केकड़ी।
मृदुलमतिः (स्त्री०) विस्तृत मति, यथेष्ट विचारवाली बुद्धि। मृत्त्व (वि०) मृत्तिकपन, प्रातिपदिकत्व संज्ञा। मृदभियेत्त्वम्। (जयो० १२/११८) (वीरो० ३/३)
मृदुलव्यञ्जनं (नपुं०) शाकादि मधुर पकवान। मृत्सा, मृत्स्ना (स्त्री०) मिट्टी, मृत्तिका। (जयो० २४/५९) मृदुसम्भाषण (जयो० १२/११८) मृदुलमतिकोमलं मृद् (सक०) निचोड़ना, दबाना।
यद्वव्यञ्जनं मदनमंदिरमङ्गम्। (जयो० १२/११८) कुचलना, रौंदना।
मृदुला (स्त्री०) कोमला, कोमलांगी स्त्री। (जयो० ६/८२) नष्ट करना, पीसना।
मृदुलाञ्जनं (नपुं०) पवित्र अंजन। (जयो० १२/१०३) ० मसलना, घिसना।
मृदुलाणी (स्त्री०) यथेष्ठ सीमा, उचित सीमा। मृदुला, आणिः मृद् (स्त्री०) [मृद्+क्विप्] मिट्टी, पिंडोर।
सीमा ययोस्तौ मृदुलाणी सुकौमलौ। (जयो० १२/१०६) मृदङ्गः (पुं०) [मृद्+अंगच्+किच्च] वाद्य विशेष, ढोल। (वीरो० मृदुलेशा (स्त्री०) सुकोमल हृदया स्त्री। (जयो० १/३८) ४/९) मुरज। (जयो० १२/७९)
मुदुलोदरिणी (स्त्री०) सुकुमारता से युक्त उदर वाली, क्षीण मृदङ्गवचस् (नपुं०) मुरज गूंज। (समु० ७८)
उदरा। (सुद० १२२) 'बलिरत्नत्रयमृदुलोदरणी' मृद्कः (पुं०) मिटटी का लौंदा।
मृदुलोपेत (वि०) विनीतक, नम्रभाव को प्राप्त हुआ। (जयो०१० मृद्करः (पुं०) कुम्हार।
१/१००) मृद्कांस्यं (नपुं०) मिट्टी का बर्तन।
मृदुवल्लभराट् (पुं०) अत्यन्त प्रिय राजा। मृदूनां कोमलप्रकृतीनां मृद्गः (पुं०) मछली।
वल्लभः प्रिय इति मृदुवल्लभः। (जयो० १८/८१) मृद्पचः (पुं०) कुम्हार।
मृदुवाक् (नपुं०) मधुरवचन। (वीरो० १८/३५) मृद्पात्रं (नपुं०) मिट्टी का बर्तन।
मृदुवादित्रः (पुं०) ०कोमलवाद्य, ०मधुर स्वर वाले मृदङ्ग, मृपिण्डः (पुं०) मिट्टी का लौंदा।
मुरजादि वाद्य। (जयो० २२/६१) मृबुद्धिः (स्त्री०) आलसी, बुद्ध।
मृदुवेशा (स्त्री०) प्रसन्नवेशवती। (जयो० १२/८) मृद् लोष्टः (पुं०) मिट्टी का ढेला।
मृदुशः (पुं०) कोमल, शीतल। (जयो० २२/३) मृदशकटिका (स्त्री०) मिट्टी की गाड़ी।
मृदुशशिशिरः (पुं०) शीतल शिशिर ऋतु। मृद्वंतरा (वि०) मिट्टी के भीतर। (सम्य० १०७)
चन्द्र शिर (जयोवृ० २२/३) मृदित (भूलक०कृ०) [मृद्+क्त] ० भींचा हुआ, निचोड़ा हुआ। | मृदुशीतहस्तं (नपुं०) शीतल एवं कोमलता युक्त हस्त। कुचला हुआ, पीसा गया।
(जयो०१/७५)
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