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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मादकनः ८३५ मानग्रन्थिः मादकनः (पुं०) जलकुक्कुट। मादन (वि०) नशे में चूर रहने वाला। मादनं (नपुं०) [मद्+णिच्+ल्युट्] ०नशा करना। आनन्द देना। उल्लास देना। लौंग। मादनः (पुं०) कामदेव। ०धातरा। मादनीयं (नपुं०) [मद्+णिच्+अनीयर] नशीला पदार्थ। मादृक्ष (वि०) मेरी तरह, मेरे सदृश, मुझसे मिलता जुलता। मादृशः (वि०) मेरी तरह, मेरे सदृश, मुझसे मिलता जुलता। (वीरो० १०/२) (जयो० १/१०७) (जयो० ५/१०६) मादृशोऽपि (अव्य०) मेरे जैसा भी। (जयो० ११/३८) माधता (वि०) मदमाती, उन्मत्तता। (सुद० ११९) माधव (वि०) शहद से निर्मित, मधु से बना हुआ, बासंती। माधवः (पुं०) माधव, कृष्ण। माधवकः (पुं०) [माधव+वुञ्] मधुनिर्मित पेय। माधविकः (स्त्री०) [माधवी कन्+टाप्] माधवी लता। माधवी (स्त्री०) बासंती लता, मधु निर्मित।, तुलसी। ०कुट्टिनी दूती। माधवी प्रकृतिपूर्णः (पुं०) वसंतोत्सव। 'माधवी मधुसम्बन्धिनी वासन्ती या प्रकृतिः शोभा तया पूर्णमिव। (जयो० ४/३७) माधवीय (वि०) माधव सम्बन्धी। माधवीलता (स्त्री०) वासंती लता, वसंतऋतु सम्बंधी लता। माधवीवनं (नपुं०) वसंतऋतु से सम्बंधित उद्यान। माधवी उपवन। वासंती उपवन। माधुकर (वि०) मधुकर से सम्बन्धित। माधुकरीवृत्तिः (स्त्री०) श्रमण की भिक्षाचर्या, जिसमें साधु भ्रमर की तरह आहार को ग्रहण करता है। माधुरं (नपुं०) [मधुर+अण्] मल्लिका लता का पुष्प। माधुरी (स्त्री०) [माधुर+ङीप्] मिठास, माधुर्य। आकर्षण, सौंदर्य। माधुर्यं (नपुं०) [मधुर्+ष्यञ्] मिठास, मीठापन। (दयो० ६१) (वीरो० २/१३) आकर्षण, सुंदरता, लुभावना। ०रमणीय। माधुर्यभावः (पुं०) रमणीयभाव, उत्कृष्ट भाव। माधुर्ययुत (वि०) मधुरता युक्त। (जयो०वृ० २१/८०) माधुर्यस्थानं (नपुं०) सरस स्थान। (जयोवृ० ६/४६) माध्य (वि०) [मध्य+अण] केन्द्री, मध्यवर्ती। माध्यम (वि०) [मध्यम्+अण्] मध्यवर्ती अंश, केन्द्रीय, बीचों बीच का। माध्यमक (वि०) मध्यवर्ती, केन्द्रीय। माध्यस्थं (नपुं०) निष्पक्ष, तटस्थ, माध्यस्थभाव, समभाव। (समु० १/२५) उदासीनता, उपेक्षा माध्यस्थ्यं विपदीव सम्पदि वहेत्तुल्यत्वयुक् चेतसा (मुनि० १६) 'गुणी वर्गमुदीक्ष्याऽगान्माध्यस्थ्यम्' च विरोधिषु (सुद० ४/३५) ०पक्षपात न करना। अरागद्वेषवृत्ति। हर्षोमर्षोज्झिता वृत्तिर्माध्यस्थ्यं निर्गुणात्मनि (जैन०ल० ९०५) माध्यस्थ्यभावः (पुं०) समभाव, निपक्षभाव, राग-द्वेषादि से रहित भाव। (मुनि० १६) माध्यस्थ्यभावना (स्त्री०) राग-द्वेष आदि से युक्त पक्षपात के __ अभाव की भावना। माध्याह्निक (वि०) दोपहर से सम्बंध रखने वाला। माध्व (वि.) [मध्वु+अण] मधुर, मीठा, सरस। माध्वः (पुं०) मध्वाचार्य का अनुयायी। माध्वीकं (नपुं०) [मधुना मधूकपुष्पेण निर्वृत्तं ईकक्] शराब, महुए से बनाई गई शराब। मान् (सक०) आदर होना, सम्मान देना। मानः (पुं०) [मन्+घञ्] आदर, सम्मान, प्रतिष्ठा। (जयो० ५/३९) (जयो० १/५७) उचित विचार। (जयो० २/७२) गर्व, अहंकार, घमण्ड, अहं, मानकषाय। 'मानं यस्य तेन अवर्ग-वर्ग सहितेनेत्यर्थः (जयो०वृ० ११/७८) गर्व परिणाम, नम्रता पूर्वक व्यवहार न करना। ०शिष्ट वचन न ग्रहण करना। मानं (नपुं०) माप, मापदण्ड, आयाम। संगणनाप्रस्थादिमानम् (जैन०ल० ९०५) प्रमाण, प्रदर्शन के साधन। मानकलहः (पुं०) अहंकार युक्त कलह। मानक्रिया (स्त्री०) अभिमान क्रिया। मानक्षतिः (स्त्री०) अपमान, अप्रतिष्ठा, मानहानि। मानग्रन्थिः (स्त्री०) अपमान, प्रतिष्ठा हानि। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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