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महत्तत्व
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महादर्शः
उन्नत अवस्था, ऊंचाई, उन्नयन। गहनता, प्रचण्डता। महान्। (सुद० ४/३०) महत्त्वपूर्ण-'प्रणयनं प्रापणमेव महत्त्वं भवेत्' | (जयो०२३/८४) ०अतिशय विशाल। एक ऋद्धि विशेष, जिसके प्रभाव से जीव अपने शरीर
को अतिशय विशाल कर सकता है। महत्तत्वं (नपुं०) सांख्य के पच्चीस तत्त्वों में दूसरा तत्त्व।
प्रधान तत्त्व। महद्धनं (नपुं०) विशालधन, अधिक धन सम्पत्ति। (समु०३/५) महदन्तरं (नपुं०) बड़ा अंतर। (दयो० ३२) महदाश्रित (वि०) महत्त्वपूर्ण आधार। (सुद० २/३) महदी (स्त्री०) मेंहदी। (जयो० १५/७५) महद (वि०) महानतम्, अत्यधिक। सौंदर्यमने किमुपैसि भद्रे
घृणास्पद तावदिदं महद्रे।। (सुद० १२०)
मह्यं मेरे लिए (जयो० २०/२६) महनीय (वि०) आदरणीय (जयो० ४/३३) पूजनीय।
(जयो० ४/९) प्रतिष्ठित, पूज्य। परमादरणीय (दयो०३९) महर्घ्य (वि०) पूजनीय (सुद० ९१) सम्माननीय। महर्ष (वि०) हर्ष युक्त, आनन्द सहित। महर्षिनन्दनः (वि०) पूजनीय। (सुद० ९१) महर्षि (पुं०) ऋषि, मुनि। (जयो० १/७९) महल्लकः (पुं०) निर्बल, दुबला, कमजोर, जीर्ण, पुराना। महस् (नपुं०) [मह+असुन्] ०उत्सव, त्योहार।
उपहार, आहूति। ०प्रकाश, आभा। महस्करः (पुं०) [मस्स्+कर] सूर्य, दिनकर। (दयो० १८) महस्वत् (वि०) [महस्+मतुप] भव्य, उज्ज्वल, आभावान्। महा (स्त्री०) [मह+घ+टाप्] गाय। महा (वि०) ०महान्, उत्तम, विशिष्ट। (सम्य० ९९)
उन्नत, विशाल, भयानक। * विशेष, युक्तिसंगत। विस्तृत, फैला हुआ, विस्तीर्ण। विपुल, असंख्य।
प्रचण्ड, गहन, प्रगाढ़। महाकच्छः (पुं०) समुद्र, स्थान। (समु० २/११) महाकविः (पुं०) कवि शिरोमणि। अनेक अर्थों के सूचक
रचना वाले कवि शब्दार्थ-वैचित्र्योपेतं महाकाव्यम्।
महाकाव्यं (नपुं०) बृहत्काव्य। महाकोशः (पुं०) विश्वकोश। महाङ्गसंग्रहः (पुं०) उष्ट्र समूह। महाङ्गानामुष्ट्राणां संग्रहः
उष्ट्रसहितः। (जयो० २१/५) महागजः (पुं०) उन्नत हस्ति। महागंगा (स्त्री०) अनेक नदियों के प्रवाह वाली गंगा नदी। महागण: (पुं०) गणधर। महागरः (पुं०) महाविष। (जयो० १५/१७) महागुणः (पुं०) विशाल गुण।।
गुणस्थान, बारह गुणास्थान। महान्तो गुणस्थानानि। (जयो०
१/९८) महागणपति (पुं०) गणेश। गणधर। महाघोषः (पुं०) उच्च उद्घोष। महाचम् (स्त्री०) विशाल सेना। उत्तम चतुरंगिनी सेना। महाछायः (पुं०) वटवृक्ष। महाजनः (पुं०) प्रतिष्ठित व्यक्ति, सज्जन, पूज्य पुरुष।
(जयो० २४/८) सौदागर, व्यापारी।
साधारण जन समूह। महातपस् (पुं०) कठोर तप, तेजस्वी, शूरवीर योद्धा।
०अग्नि। महादण्डः (पुं०) विशाल बाहु। महादंती (स्त्री०) उन्नत हाथी। महादानं (नपुं०) सकलदत्ति कारक। (जयो० १/१०८) महाधनु (वि०) विशाल बाहु। महात्मन् (पुं०) महान् आत्मा, दिगम्बर मुनि।
समान-सुख-दुःख-सन् पाणिपात्रो दिगम्बरः। निःसङ्गो निष्पहः शान्तो ज्ञान-ध्यानपरायणः।। (दयो० २०) ०साधक, साधनाशील, तपस्वी (सुद० १०९) ०भगवत् (वीरो० ८/१८) महापुरुषेण प्रमोदिना उत्कृष्टः (जयो० २५/७९)
महापुरुष (दयो० १२२-१२३) अनन्तज्ञानवीर्ययुक्तत्वान्महानात्मा यस्य स महात्मा। (जैन०ल० ८९३) महादेवः (पुं०) रुद्र, ऋषभदेव। (जयो० ७/५३)
०शिव, शंकर। (जयो० १/१५) ०पशुपति। (सुद० ११२)
उमा-धव (जयो० १/७६) महादर्शः (पुं०) अमावस्या तिथि।
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