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मन्त्रकृत्
मन्त्रकृत् (पुं०) सूत्र रचनाकार । मन्त्रगण्डकः (पुं०) ज्ञान, विवेक । मन्त्रगुप्ति (स्त्री०) रहस्यपूर्ण मंत्रणा, गुप्त मंत्रणा । मन्त्रगूढः (पुं०) गुप्तचर, अभिकर्ता । मन्त्रजिह्वः (पुं०) अग्नि । मन्त्रज्ञः (पुं०) परामर्श कर्ता ।
मन्त्रज्ञानं (नपुं०) सूत्रज्ञान, मन्त्र की जानकारी । मन्त्रण (नपुं०) मन्त्रणा करना। (जयो० ४/२३) मन्त्रदः (पुं०) सूत्रज्ञ, आचार्य, गुरु । मन्त्रपिण्डः (पुं०) मन्त्रजाप पूर्वक आहार । मन्त्रपूतं (वि०) मन्त्र से पवित्र किया गया । मन्त्रप्रभाव: (पुं०) मन्त्र का प्रभाव। (सुद० ६४ ) मन्त्रभिदः (पुं०) संसिद्धिकरण । (जयो० १७/३८) मन्त्रभेदः (पुं० ) सत्याणुव्रत का अतिचार
०दूसरे के अभिप्राय को प्रकट करना । ० गुप्त रहस्य खोलना, भेद प्रकट करना। मन्त्रमूर्ति (स्त्री०) सिद्धयन्त्र ।
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मन्त्रमूलं (नपुं०) जादू।
मन्त्रयन्त्रं (नपुं०) मन्त्रित यन्त्र सिद्ध यन्त्र, परमेष्ठिसूचक यन्त्र । मन्त्र प्रयोग |
मन्त्रयोगः (पुं०) मन्त्रित यन्त्र सिद्ध यन्त्र, परमेष्ठिसूचक यन्त्रः मन्त्रयोगः (पुं०) मन्त्र प्रयोग मन्त्र शक्ति, ०गुप्त संयोग । मन्द्रवर्ज (अव्य०) बिना मंत्र उच्चरित
मन्त्रवादिन् (पुं०) मन्त्र जानने वाला, मन्त्रवेत्ता । मन्त्र विद्या ( स्त्री०) मन्त्रशास्त्र, मन्त्रविज्ञान। मन्त्रशक्तिः (स्त्री०) मन्त्र बल । (जयो० २ / १२१ )
मन्त्र संस्कारः (पुं०) मन्त्र जाप की क्रिया, मन्त्र का अनुष्ठान । मन्त्रसाधकः (पुं०) जादूगर, बाजीगर । ०सिद्धि प्रवृत्त |
मन्त्रसाधनं (नपुं०) मंत्र आराधना |
मन्त्रस्मरणं (नपुं०) मंत्र का जपना, मंत्रोच्चारण, मन्त्रध्यान। (सुद० ४/२६)
मन्त्रित (भू०क० कृ० ) [ मन्त्र+क्त] झाड़े हुए ( भक्ति० २४ ) ० अभिमन्त्रित, मन्त्र पढ़ा गया। (जयो० ) ० निश्चित निर्धारण।
मन्त्रिन् (पुं० ) [ मन्त्र + णिनि ] ०मन्त्री, सचिव। (जयो० ३/१४)
० राज्याधिष्ठायक। (समु० ३ / ४० )
०पञ्चाङ्गमन्त्रकुशल |
०गारुडिन्, मन्त्र उतारने वाला (वीरो० ३ / १० )
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मन्थरः
० जादूगर । (जयो०वृ० ३/१४)
० मन्त्रवादी - मन्त्री, मंत्रणा प्रवीण। यत्र सभायां मन्त्रिणो मन्त्रवादिन् इव सचिवास्ते विषादस्य विनाशिनः। (जयो०वृ० ३/१४)
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मन्त्रिसदनं (नपुं०) सभासदन, सांसद भवन, मन्त्रिनिवास । मन्त्रोक्तपदं (नपुं०) अव्यक्त पद (जयो० ६/८) (समु०३ / ४३) ० सिद्धिसाधक सूत्र |
मन्त्रोक्तिपदं (नपुं०) मंत्रोच्चारण स्थान । (जयो० १६ / ४६ ) मन्त्रोत्थित (वि०) मंत्रवेत्ता, मंत्रवादी (समु० ४ / १३) मन्बोत्पादनदोष (पुं०) मंत्र सिद्धि की आशा दिलाना मंत्रदोष है। मंत्रोपजीवनं (नपुं०) मंत्र से जीविकोपार्जन करना। मंथ / मथ् ( सक०) मथना, बिलोना।
० हिलाना, घुमाना । ०पीसना, कुचलना।
० अत्याचार करना, नष्ट करना। ।
० विदीर्ण करना, विघात करना । ० कष्ट देना, प्रहार करना ।
मन्थः (पुं०) [मन्थ् करणे घञ्] ०बिलोना, हिलाना, मथना ० क्षुब्ध करना, दहि बिलोडन । (जयो० २५/६०) ० सूर्य |
मन्यकर्मन् (नपुं०) मथना, बिलोना (जयो०वृ० २१/५५) मन्यगिरि: (पुं०) मंदराचल
मन्थगुणः (पुं० ) ० मथानी की रस्सी । ०दहि, मन्थल प्रयोग | (जयो० २५/६३)
मन्थजं (नपुं०) मक्खन, दधि बिलोने से निकलता हुआ मक्खन । मन्थदण्डः (पुं०) रई की डंडा ।
मन्थनं (नपुं०) दधि विलोडन, मथना, बिलोना। (जय०२१/५४) मन्थनरज्जू (स्त्री०) मथानी की रस्सी । मन्थो मन्थानदण्डे स्यादिति मन्थकलिना इति विश्वलोचन। (जयो०वृ० २१/५७) मन्धनातिशय: (पुं०) मन्थकर्म, मथना, बिलौना । मन्यपर्वत (पुं०) मन्दराचल
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मंथर (वि०) मंथर गति वाला, शिथिल, मंद, ० बिलम्बदारी | ० सुस्त | ०जड़, मूर्ख, मूढ
० निम्न, गहरा, नीच। ० विस्तृत, विशाल ।
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मन्थर: (पुं०) भण्डार, कोष ० सिर के बाल ।