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प्रियाधरम्
७४४
प्रेक्षणीय
"किमस्मदीय-बाहुभ्यां प्रियाया गलमालभे' (वीरो० ८/२९) | प्रीतिकर्मन् (नपुं०) मैत्रीपूर्ण व्यवहार, कृपापूर्ण कार्य। शोभना। (जयो० १/४५)
प्रीतित (वि०) प्रीतिपूर्वक, मैत्रीपूर्वक। (भक्ति० १३) प्रेमपूर्णा। (जयो० १/९३)
प्रीतिदः (पुं०) विदूषक, मसखरा, जोकर। ०कृपा, सेवा, अनुग्रह।
सूर्य (जयो० १८/४०) प्रियाधरम् (नपुं०) प्रियतमा के अधर। प्रियाया अधरमिनौष्ठमिव प्रीतिदत्त (वि०) स्नेह कारक। (जयो० १२/१३५)
प्रीतिदानं (नपुं०) प्रेमोपहार, हर्षपूर्वक उपहार, रुचिकरभाव प्रियातिथि (वि०) अतिथि सत्कार करने वाला।
उत्पादक। प्रियापायः (पुं०) किसी वस्तु का अभाव।
प्रीतिधनं (नपुं०) प्रेमस्थान। प्रियाप्रिय (वि०) रुचिकर-अरुचिकर।
प्रीतिधारणा (स्त्री०) प्रीतिसत्ता, प्रेमस्थान। (जयो०वृ० ६/७३) प्रियाम्बुः (पुं०) आम्रवृक्ष।
प्रीतिपात्रं (नपुं०) प्रियपात्र, स्नेही व्यक्ति। प्रियाश्रितः (पुं०) पति का आधार। (जयो० १७/८२) प्रीतिपूर्व (अव्य०) स्नेहपूर्वक, कृपा के साथ। प्रियाह (वि०) प्रेम/कृपाशीलता वाला।
प्रीतिमनस् (वि०) मन में आनंदित। प्रियोक्तिः (स्त्री०) मैत्रीपूर्ण कथन।
प्रीतियुज् (वि०) स्नेही, प्रिय, प्यारा। प्रियोदितं (नपुं०) मैत्री युक्त व्यवहार।
प्रीतिवचस् (नपुं०) कृपापूर्ण वाणी, आनंद प्रदान करने वाली प्रियोन्मुख (वि०) सन्मुख। 'प्रिस्योन्मुखः प्रियसंमुखः'। वाणी। प्रेमपूर्ण वचन। (जयो० ६/११९)
प्रीतिवर्धन् (वि०) प्रेम बढ़ाने वाला। प्रियोपपत्तिः (स्त्री०) आनन्द प्रद, सुखद घटना।
प्रीतिसत्ता (स्त्री०) प्रीतिधारणा, प्रेमस्थान। (धव० ६/७३) प्रियोपभोगः (पुं०) प्रेयसी के साथ मिलन, प्रेयसी का आलिंगन। प्रीतिवादः (पुं०) मित्रवत् विचार। प्री (सक०) संतुष्ट करना, प्रसन्न करना।
प्रीत्यनुष्ठानं (नपुं०) अतिशय आदर युक्त कार्य। प्रीण (वि०) [प्री+क्त] प्रसन्न, संतुष्ट, तृप्त।
प्रीत्यभाव (वि०) प्रीति का अभाव, अनादर (जयो०वृ० ६/१९) ०पुराना, पुरातन, प्राचीन।
प्रीत्यम्बुक्षु (स्त्री०) रति। (सुद० ४/४७) ०पहला, सर्वप्रथम, प्रारंभिका।
प्रीत्याभिवाद्य (वि०) स्नेह सम्प्रार्थ्य। प्रीणनं (नपुं०) [प्रीण+ल्युट] प्रसन्न करना, संतुष्ट करना। I (अक०) कूदना, चलना-फिरना। प्रीत (भू०क०कृ०) [प्री+क्त] प्रेम स्नेह, हर्ष, खुशी। पुष् (सक०) जलाना, भस्म करना। ०संतुष्ट, तृप्त।
०भरना। आनन्दित, आह्वलादित।
पुष्ट (भू०क०कृ०) [पृष्+क्त] जलाया हुआ, खाया पीया हुआ। ०प्रसन्न। (जयो० २/५६)
पुष्वः (पुं०) [पृष्+क्वन्] वर्षा ऋतु। प्रीततमः (वि०) हृदयेश्वर। (जयो० १६/४०) प्राणाप्रिय, * पति। दिनकर, ०जल बिन्दु। प्रीतपूर्णः (पुं०) प्राणप्रिय। (जयो० १६/३१)
प्रेक्षक (वि०) [प्राईक्ष् ण्वुल] दर्शक, दृष्टा। प्रीतमनस् (वि०) मन से प्रसन्न।
प्रेक्षणं (नपुं०) [प्र+ईश्+ल्युट] ०देखना, अवलोकन करना। प्रीति (स्त्री०) [प्रो+क्तिन्] हर्ष, आनंद खुशी। (दयो० १०७) अनुचिन्तन करना, ध्यान करना। प्रसाद - (जयो० २/९३)
दृश्य, दृष्टि, दर्शन। तृप्ति - (सुद०८३)
अक्षि, आंख। ०पसंद, चाह, इच्छा। (सुद० ४/१६)
प्रेक्षणकं (नपुं०) [प्रेक्षण+कन्] ०दर्शन, दिखावा। प्रेम, स्नेह, आदर।
प्रेक्षणकारिणी (वि०) प्रेक्षिणीतुला। (जयो० १७/२९) मित्रता, सुहृदयता।
प्रेक्षणिका (स्त्री०) दृश्य देखने वाली, दर्शनीय स्थल प्रिय स्त्री। प्रीतिकर (वि०) प्रीतियुक्त, प्रेम उत्पन्न करने वाला, | प्रेक्षणीय (वि०) [प्र+ईश्+अनीयर] दर्शनीय, अवलोकनीय। ०रुचिकर।
(जयो० ६/११२) प्रीतिकरी (वि०) प्यारी, प्रिया, स्नेही। (समु० ६/११)
मननीय, चिन्तनीय, विचारणीय।
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