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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जलकण्टकः ४०९ जलपूरः १. पूजन के समय चढ़ाने वाला प्रासुक जल। (सुद० ५/२१) जीवन, वन, गो, पय, विष, अमृत, शिव, भुवन, तोय। पयः कीलालममृत जीवनं भुवनं वनम् तोयं जीवनमब्विषम्' इति धनञ्जय इत्यमरः (जयो० वृ० १४/७९) 'अनामिपाशनीभूयाद्वस्त्रपूतं पिवेज्जलम्' (सुद० ४/४३) जलकण्टकः (पु०) मगरमच्छ। जलकपि (पुं०) सूंस, सुंसुमार। जलकपोतः (पुं०) जल कबूतर। जलकरङ्कः (पुं०) १. श्री फल, नारिकेल, नारियल, २. बादल, मेघ, ३. कमल। ४. तरङ्ग। जलकल्कः (पुं०) पङ्क, कीचड़। जलकाकः (पुं०) जलकौआ। जलकान्तः (पुं०) वायु, पवन। जलकान्तारः (पुं०) वरुणदेव। जलकिराटः (पुं०) मगरमच्छ, घड़ियाल। जलक्रीड़ा (स्त्री०) जलकेलि। (जयो० वृ० २०६८९) जलकुक्कुट: (पुं०) जलमुर्ग, मुर्गानी। जलकुन्तलः (पुं०) काई, सेवाल, सेवारज। जलकूपी (स्त्री०) झरना, कृप, कुआं, तालाब, भंवर। जलकूर्मः (पुं०) शिंशुमार, सूंस। जलकेलिः (स्त्री०) जलक्रीड़ा, जलविहार। शिव मोक्षते सुखे जले इति (जयो० १४/६०) शिवकेलि। जलकोशः (पुं०) सेवारज, सेवाल, काई। जलङ्गमः (पुं०) [जल+गम्+खच्] चाण्डाल। जलगत (वि०) जल से प्राप्त। जलगुल्मः (पुं०) १. कच्छप, कछुवा। २. बावड़ी। जलचर (वि०) जल के विचरण करने वाले जन्तु। जलचारणं (नपुं०) जल में चलने की ऋद्धि, जीव विराधना से रहित जल में गमन। 'जलमस्पृश्य जलोपरि गमनं जलचारणत्वम्' (जैन०ल० ४५८) जलचारिन् (वि०) जल में विचरण करने वाले जलतन्तु। जलजः (पुं०) शङ्ख। जलज (वि०) जल में उत्पन्न होने वाले। जलजं (नपुं०) कमल, वारिज, पद्म। (जयो० ३/१००) जलजन्तु (नपुं०) जलचर जीव। (दयो० ४२) जलजात (वि०) जल में उत्पन्न हुए कमल। (जयो० १/५८) जलजिह्वः (पुं०) मगरमच्छ। जलजीवः (पुं०) १. जलजन्तु, २. मछवाह, मछुआरा। जलजीविन् (पुं०) मछुआरा, मछवाह। जलज्योतिः (स्त्री०) जल तरङ्ग। जलतरङ्गः (पुं०) १. एक वाद्य विशेष। २. जल की लहरें। जलताडनं (नपुं०) जल का पीटना, जल का अपव्यय। जलत्यज (वि०) अम्बुदादातुं-जल पिलाने के लिए। (जयो० १२/१३१) जलवा (स्त्री०) छाता, आतपत्र। जलत्रासः (पुं०) जलातङ्क रोग, पालन कुत्ते क काटने पर होने वाला रोग, हड़कायापन। जलदः (पुं०) मेघ, बादल, वारिमुच। (जयो० वृ० १२/५१) जलदा (स्त्री०) जल देवी। (जयो० १२/१२१) जलदाया (वि०) जल पिलाने वाली। (जयो० १२/१२१) जलदानं (नपुं०) प्याऊ। (जयो० २०/२) जलदानत्व (वि०) जलप्रदान करने वाली, नीरद भाव वाली। जलदर्दुरः (पुं०) वाद्य यन्त्र। जलदेव (पुं०) जलदेव। जलदेवता (पुं०) जलदेवता। जलदेवी (स्त्री०) जलपरी। जलद्रोणी (स्त्री०) डोलची। जलधरः (पुं०) मेघ, बादल। जलधारा (स्त्री०) पानी की धार। जलधिः (०) समुद्र, सागर। (सुद० २२) जलधीश्वरा (स्त्री०) नन्दिनी, समुद्र पुत्री (सुद० १/२) (वीरो० २/१७) जलनकुलः (पुं०) ऊद बिलाव। जलनरः (पुं०) जल पुरुष। जलनिधिः (पुं०) समुद्र, सागर। (वीरो० ४/५१) जलनिर्गमः (पुं०) १. नाली, २. जलप्रपात, झरना, निर्झर। जलनीतिः (स्त्री०) काई, सेवारज, सेबाल। जलपटलं (नपुं०) मेघ, बादल। जलपतिः (पुं०) समुद्र, सागर। जलपथः (पुं०) जलयात्रा। जलपात्रं (नपुं०) मणिका, सुराही। (जयो० वृ० २/१३३) जलपारावतः (पुं०) जलकपोत। जलपित्तं (नपुं०) अग्नि, आग। जलपुष्पं (नपुं०) कमल। जलपूरः (पुं०) जल की बाढ़, पानी का विस्तार से फैलाव। वारिगण। (जयो० २०/३२) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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