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जठर-व्याधि
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जनकारिन्
जठर-व्याधि (स्त्री०) उदरपीड़ा, गर्भ पीड़ा, गर्भाशय दु:ख। जडधीश्वरः (पुं०) मूर्ख। (वीरो० ९/८९) जठराग्निः (स्त्री०) पेट में स्थित अग्नि, आहार को पचाने जडप्रसङ्गः (पुं०) मूर्ख की संगति, मूर्खसमागम। (वीरो० वाली अग्नि।
५/१०) गतस्य जीवस्य जडप्रसङ्गम्। (वीरो० १८/३) जड (वि०) [ जलति घनीभवति-जल्+अच्] १. मूर्ख, अज्ञ, जडराशि (स्त्री०) जडता की प्रमुखता, मूर्खता का योग।
अनभिज्ञा, अज्ञानी। (जयो० वृ० २/१४८) (सुद० ३/४६) अस्मिन्निदानीमजडेऽपि काले रुचिः शुचिः स्यात्खलु जडान्तकरणं (नपुं०) विमूढमन। (जयो० वृ० २/१४२) सत्तमाऽऽले। (सुद० १/६) २. ठिठुरा हुआ, जमा हुआ। जडाशयः (पुं०) निर्विवेक, विवेक का अभाव, ज्ञानता का ३. गतिहीन, मन्दर, अपंग। ४. निश्चेतन, चेतना रहित, अभाव। (सुद० १/६) मूर्खहृदय महामूर्ख-कोई नवयुवती
विवेकशून्य। (जयो० १/४७), ५. उदासीन, संज्ञाशून्य। स्वयंवर मंडप में नवयुवकों को छोड़कर सबसे अन्त में जडकर्मन् (स्त्री०) उदासीन जन्य काम।
बैठे हुए बृद्ध मनुष्य का वरण करे तो उसे महामूर्ख कहा जडजं (नपुं०) १. जलज, कमल, २. जडता युक्त (जयो० जाएगा। १/४७)
जडाशयत्व (वि०) मूर्खता युक्त, अज्ञानता करने वाला, जडजात (वि०) जडता को प्राप्त होने वाले। जडस्य अज्ञस्य विवेकता से विमुख हुआ। (समु० ६/४०)
जातम् (जयो० १/५८) (सुद० ५/२) १. जहाज तोड़ने जडिमन् (पुं०) [जड+इमनिच्] १. जड़ता, मन्दता, बुद्धिहीनता। वाले। क्रियते विप्रवरिहादरो जडजातस्य समुत्सवतः। (सुद० २. मूर्छा, आसक्ति, संज्ञाहीनता। ३/२)
जतु (नपुं०) [जायते वृक्षादिभ्यः जन+उ+त] लाख। जडजाधिनामः (पु०) १. मूर्खनाथ, मूर्खाधिपति। 'जडजानां जतुकं (नपुं०) [जतु+कन्] लाख, महावर।
मूर्खाणा वाधिनाथ: स्वामी' (जयो० वृ० ८/७) २. जतुका (नपुं०) [जतुक+टाप्] १. लाख, चमगादड़ा कमलनाथ-जडजानां कमलानां अधिनाथ: स्वामी (जयो० जतुकी (स्त्री०) [जतुक ङीष्] चमगादड़। वृ०८/७)
जतुपरिणतिः (स्त्री०) लाख का परिणमन। (जयो० वृ० जडता (वि०) [जडतल्+टाप्] मूर्खत्व (जयो० २/१४६) १२/१०६)
अज्ञान, मूर्खता, आलस्यपना, बुद्धिहीनता, विपरिणाम. | जत्रु (नपु०) [जन्।रु] हंसुली, ग्रीवा हड्डी। निर्विचार-'जडतया विपरिणामतया निर्विचारतया' (जयो० जन् (अक०) उत्पन्न होना, पैदा होना, जन्म होना, निकलना, वृ० १/८५) 'सुमनस्ता जड़तायाश्च भवत्यन्तः' (सुद० फूटना, घटना। (जयो० वृ० १/२३)
जनः (पुं०) [जन्+अच्] १. प्राणी, मनुष्य। (जयो० वृ० • अज्ञता-'जडताया अपकारिणीमतः' (सुद० ३/३२)
१/१४) पुरुष, व्यक्ति-'भो भो जना वीरविभोर्गुणौघा जडत्व (वि०) मूर्खता, अज्ञानता।
-नसोऽनुकूलं स्मरतामोघा। (सुद० १/४) 'मुक्तौ जनः जडतातिगत (वि०) अज्ञानता से दूर हुआ, वारि से दूर, विज्ञ संसरणात्सुभोगः' (जयो०१/२२) २. जीवित प्राणी, जन्तु,
बना। (जयो० ६/११०) 'जडतातो अति गतो दूरवर्ती जनस्य (सम्य० १५५) जनः (सम्य० १५४) भवन्नपि' (जयो० वृ०६/११०)
जनकः (पुं०) १. पिता, जन्मदाता, तात। (जयो० वृ० ३/११६) जडतापकरणं (नपुं०) १. ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ मास। 'जडः 'रश्मिवेग-जनकोऽप्यथ माता' (समु० ५/२४) २. पूज्य,
प्रवरश्चासौ तापश्च जडतापस्तस्य करणाय ज्येष्ठो गुरुः बड़े-सोऽस्मेवजनकायासौ राजै राजा जिनाय या (सुद० ४/२०) ज्येष्ठमासः' (जयो० २२/१७) २. मूखता को दूर करने जनक (वि०) [जन्+णिच्+ण्वुल] पैदा करने वाला, जन्मदाता, वाली। जड़ताया मूर्खभावस्य करणाय विनाशनाय। (जयो० उत्पन्न करने वाला। वृ० २२/१७)
जनकात्मजा (स्त्री०) जनक राजा की पुत्री सीता। (जयो० जडधी (स्त्री०) जड़मति, मंदबुद्धि। पापिष्ठेन दुरात्मना जडधिया
मायाविना लोभिना। (मुनि० १८) वृद्धो वराको जडधी जनकसुता (स्त्री०) सीता। (सुद० ८८) रयेण जातोऽधुना विभ्रमसंयुतानाम्। (वीरो० ४/२३) जनकारिन् (वि.) कल्याणकारी।
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