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चीरपरिग्रहः
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चूडारनं
चीरपरिग्रहः (वि०) वस्त्रधारी, वल्कलधारी।
चुम्बनदानं (नपुं०) वटक दान, चूमने का आदान-प्रदान चीरि: (स्त्री०) १. अक्षी आवरण, आंख की पट्टी। २. झींगुर, परस्पर में चुम्बन करना। (जयो० १२/१२८) ३. झालर, गोट।
चुम्बिः (स्त्री०) चूमा, चूमना। क्षीरोदपूर्रादर-चुम्बितीरे' (सुद० चीरिका (स्त्री०) झींगुर।
२/११) चीर्ण (वि.) पालित, अनुष्ठित, बनाया गया, अधीत, विभाजित। | चुम्बिचन्द्र (वि०) चन्द्र की तरह चुम्बन। (जयो० २६/१३) चीलिका (स्त्री०) झींगुर।
चुम्बित (वि०) चूमा गया, आलिंगन किया गया, चुम्बन किया चीव (सक०) पहनना, ओढ़ना, ग्रहण करना, लेना, पकड़ना। गया। सुकपोले समुपेत्य चुम्बित:। (सुद० ३/१९) सञ्जायते चीवरं (नपुं०) १. वस्त्र, परिधान, कपड़ा, २. चिथड़ा, फटा चुम्बितं (सुद० वृ० १०३)
वस्त्र, जीर्ण वस्त्र। ३. वल्कल। ४. भिक्षुक परिधान। चुर (सक०) लूटना, चुराना, वहन करना, रखना, अधिग्रहण चीवरिन् (पुं०) भिक्षुक।
करना, धारण करना। चु (पुं०) चवर्ग। (जयो० वृ० १/३९)
चुरा (स्त्री०) १. चोरी, चौर्यकर्म। (जयो० १६/२५) (जयो० चुक्क (पुं०) चूक, छूटना।
२/१२५) २. चवर्ग एवं रा धनं यस्याः सा चुरा। चतुरता, चुक्कारः (पुं०) [चुक्क्+अच्] सिंह दहाड़, सिंह गर्जना। चिपुणता। (जयो० वृ० ११/७८) चुक्रः (पुं०) [चक्र+रक्] अमल वेंत।
चूरादूरः (पुं०) अचौर्य, अचौर्यव्रत। चोरी से दूर रहने वाला चुकं (नपुं०) अम्लता, खटास।
साधु नित्यं पादपकोटरादिषु वशेदन्यानपेक्षिष्वथा- प्युद्भिन्नाचुक्रा (स्त्री०) इमली का वृक्ष।
दितयोज्झितेषु च चुरादूरे चरः सर्वथा। (मुनि० ३) चुक्रिमन् (पुं०) [चुक्र+इमनिच्] खट्टापन।
चुरिः (स्त्री०) [चुर+कि] लघु कूप। चुचुकः (पुं०) धुंडी, अव्यक्त शब्द।
चुलूकः (पुं०) [चुल्+उकज्] हथेली भर जल, चुल्लु। चुञ्चुः (पुं०) प्रख्यात, प्रसिद्ध।
चुलुकायते-चुल्लु में समा गया। (जयो० १/१०३) चुण्टा (स्त्री०) पोखर, छोटा कूप।
चुलुकिन् (पुं०) [चुलुक इनि] सूंस, उलूपी। चुत् (अक०) चूना, टपकना, रिसना।
चुलुम्प (अक०) झूलना, डोलना, हिलना, दोलायमान होना. चुता (स्त्री०) गुदा।
आन्दोलित होना। चुद् (सक०) १. भेजना, प्रेरित करना, हांकना, धकेलना। २. चुलुम्पः (पुं०) [चुलुम्प+घञ्] पुचकारना, बच्चों को प्यार
प्रश्न करना, प्रस्तुत करना, प्रोत्साहित करना, निर्देश देना, देना। फेंकना।
चुलुम्पा (स्त्री०) [चुलुम्प+टाप्] बकरी। चुन्दी (स्त्री०) [चुन्द्+अच्+ङीष्] दूती, कूटनी।
चुल्ल (अक०) खेलना, क्रीड़ा करना। चुप् (अक०) चुप रहना, चलना, चुपचाप खिसकना। चुल्लि (स्त्री०) चूल्हा। (दयो० ९३) चुबकः (पुं०) ठोडी।
चुल्ली (स्त्री०) चूल्हा। चुम्ब (सक०) चूमना, चुम्बन करना, आलिंगन करना। अधरोष्ठं चूचुकं (नपुं०) घुण्डी, शब्द विशेष। (सुद० २/४५) चुम्बति (जयो० वृ० १२/७७)
चूडकः (पुं०) [चूडा+कन्] कूप, कुंआ। चुम्बः (पुं०) चूमना, चुम्बन।
चूडा (स्त्री०) १. बालों की चोटी, चुटिका। २. कलगी, मोर चुम्बकः (वि०) [चुम्ब+ण्वुल्] १. चूमने वाला, कामासक्त, कामुक। का उपरिभाग। ३. मुकुट, उष्णीष। ४. सिर, शिखर, चोटी, चुम्बकः (वि०) चुम्बक पत्थर, चकमक।
कूट, चौबारा। ५. चूलिका-अनुयोग विषयों का संग्रह। चुम्बतितरा (वि०) चूमता हुआ, चूमने में तत्पर हुआ। (जयो० चूडाकरणं (नपुं०) मुण्डन संस्कार। वृ० ४/५६)
चूडाकर्मन् (नपुं०) मुण्डन संस्कार। चुम्बनं (नपुं०) वटक, चूमना। (सुद० ९९) 'अतो वटकं चूडामणिः (स्त्री०) मुकुटमणि, सिरमोरमणि, शीर्षफूल।
चुम्बनमपि देहि' (जयो० १२/१२४) (सुद० १२३) 'सातिरेक- चूडार (वि०) शिखा युक्त, कलगीदार। चुम्बनादिचेष्टोप देष्टुश्च' (जयो० ० १/७८)
चूडारत्नं (नपुं०) चूडामणि, शीर्प फूल, श्रेष्ठ अलंकरण।
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