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नवनीत, नौनीत
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नवाजना नवनीत, नोनीत (दे०) - संज्ञा, पु. (सं०) प्रतिपदा (परिवा) से नवमी तक की नौरातेंमक्खन नैनू । "साहत कर नवनीत लिये" जिनमें दुर्गा देवी के नव रूपों की पूजा --सूर०।
होती है। नवपदो संज्ञा, खी० यौ० (सं०) नौ चरण नवल-वि० (सं०) नया, नवीन, नूतन, वाला एक छंद (पि०)।
सुन्दर, युवा, स्वच्छ, उज्वल । “सोह नवल नवम-वि० (सं०) नवाँ । स्त्री० नवमी, तन सुन्दर सारो"-- रामा० । नौमी (दे०)।
नवल ननंगा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक नवमल्लिका–संज्ञा, स्त्री०। सं० ) चमेली, प्रकार की मुग्धा नायिका, नव यौवना।। निवाड़ी, मालती।
नवलकिशोर-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्री नघमालिका-सज्ञा, स्त्री० (सं०) नवमालिनी कृष्ण । “इन नयननि भरि देखि हौं, सुन्दर छन्द (पि०)।
नवलकिशोर"-- स्फु०।। नवमी-सज्ञा, स्त्री० (सं०) नौमी तिथि। नवल वधु-संज्ञा, स्त्री० यो० (सं० ) एक नवयज्ञ--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह यज्ञ जो मुग्धा नायिका ।
नवीन यज्ञ के निमित्त किया जाता है। नवला-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जवान स्त्री, युवती। नवयवक-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) तरुण, नशिक्षित-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नौपढ़ा, नौजवान । स्त्री. नवयुवती।
नौ सिखिया, अाधुनिक शिक्षा प्राप्त । नवयुवा --संज्ञा, पु० यौ० ( सं० नवयुवक )
नवसत -- संज्ञा, पु० यौ० (सं० नव । सत = तरुण, नौजवान ।
सप्त) सोलह शृंगार । वि० (दे०) सोलह । नवयौवना--संज्ञा, त्री० यौ० (सं०) नौजवान | नवसप्त-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सोलह शृङ्गार, स्त्री, मुग्धानायिका।।
सोलह । " सजि नव सप्त सकल हुति नारंग-वि० यो० (सं० नव+रंग हि०) दामिनी''-- रामा० ।
सुन्दर, नये ढंग का नवेला. नया रंग। नतसर--- संज्ञा, पु० यौ० (हि. नौ+ मृक-सं०) नवरंगी-वि० यो० (हि. नवरंग ई- नौ लरों या लड़ों का हार या माला। प्रत्य० ) हँसमुख, खुश मिजाज़. नये रंग वि० यो० दे० ( सं० नव + वत्सर ) नौयुवा, वाला, प्रति दिन नवीन श्रानन्द करनेवाला। नौ जवान । नघरत्न--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नौ जवाहिर, नवससि --संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं० नव जैसे-हीरा, मोती, मानिक, पन्ना, गोमेद- शशि ) नूतन चन्द्रमा, नया चाँद, द्वितीया मूंगा, पद्मराग, नीलम, लहसुनिया । विक्र. का चन्द्रमा। मादित्य की सभा के नवरत्न-कालिदाप, नवाई --संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नवना ) नम्र धन्वतरि, क्षपणक, अमरसिंह. शंकु, बैताल- होने का भाव । 18 वि० (दे०) नया, नूतन, भट्ट, वररुचि, घटसर्पर,वाराह मिहर, नवरत्नों | नबीन । का हार या माला।
नवागत-वि० यौ० (सं०) नवीन प्रागत, नघरस-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) काव्य के नव- नया आया हुआ। रस । “शृङ्गार हास्य करुणा, रौद्र, वीर भया- नवाज, शिवाज, नेवाज-वि० दे० (फा०) नकः। वीभत्स्याद्भुत विज्ञेय शान्तश्च दया या कृपा करने वाला। नवमो रसः'-सा द०।
नवाजना*- स० क्रि० दे० ( फा० नवाज ) नवरात्र · संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नौरात दया या अनुग्रह दिखलाना, कृपा या दया (दे०) नवदुर्गा, नौदुर्गा, क्वार और चैत-सुदी करना, निवाजना, नेवाजना (दे०) ।
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