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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध्वंसत घंसत-संज्ञा, पु० ( सं० ) नाश करने का | नाद, काव्य का एक अलंकार, “ आशय, कार्या, नाश होने का भाव, विनाश, क्षय। मतलब, गूदाशय । " ध्वनि प्रवरेव कवित सित, ध्वंसनीय ध्वस्त । बहुजाती"-रामा०। ध्वंसी--- वि० सं० ध्वंसिन् ) विनाशक, नष्ट- ध्वनित-वि० ( सं०) शब्दित, व्यंजित, भ्रष्ट या नाश करने वाला । स्त्री० ध्वंसिनी। वादित, गूढाशय का होना । ध्वज-पंज्ञा, पु. ( सं०) पताका, झंडा, वन्य-संज्ञा, पु० (सं०) व्यंग्यार्थ । निशान । वन्यात्मक-- वि० यौ० (सं०) ध्वनिमय, ध्वध्वजभंग-संक्षा, पु० यौ० (सं०) नपुंसकता | निस्वरूप, व्यंग-प्रधान ( काव्य० )। का एक भेद। 'चन्यार्थ--संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ध्वयार्थ ) ध्वजा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ध्वज ) झंडा. ध्वनि या व्यंजना से प्रगट अर्थ । पताका, निशान, एक छंद ( पि.)। ध्वस्त-वि० ( सं० ) गिरा-पड़ा, व्युत, टूटाध्वजिनी--संज्ञा, स्त्री० (सं०) सेना, फौज। फूटा, भग्न, नष्ट-भ्रष्ट, पराजित । श्वती-वि० (सं. ध्वजिन्) पताका या झंडावांत संज्ञा, पु० (सं० ) अँधेरा, अंधकार । वाला, निशान या झंडेदार, स्त्री० धजिनी। “ध्वान्तापहं तापहम्"---रामा० । ध्वनि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शब्द, धुनि, (दे०) वांतवर · संज्ञा, पु० (सं०) राक्षस, निशाचर। न--हिंदी-संस्कृत की वर्णमाला के तवर्ग का नंगा-बुच्चा-नंगा-चा-वि० दे० यौ० (हि. पाँचवा अक्षर या वर्ण, इसका उच्चारण : नंगा+बूचा - खाली) महा दरिद्र, या कंगाल, स्थान नासिका है। जिसके पास कुछ भी न हो, निपट नङ्गा । न -संज्ञा, पु. ( सं० ) उपमा, सोना, रन । नंगालुच्चा--वि० दे० यौ० (हि० नंगा-+ बुद्ध, बंध। (भव्य द०) नहीं, मत. निषेध लुचा) दुष्ट पुरुष, बदमाश, नीच प्रकृति का । वाचक शब्द। नग---संज्ञा, पु० (हि० नंगा) नंगापन, नग्नता नंगियाना - स० क्रि० ( हि० नंगा+इयानाछिपा या गुप्त अंग। यो नंगनाव- प्रत्य० ) नंगा करना, सब छीन लेना, शरीर पर निर्लज्जता का काम ! वनादि कुछ भी न रहने देना, धोती या नंग-धड़ग--वि० यौ० दे० ( हि० नंगा+ पैजामा छीन लेना, लँगोट या लंगोटी उतरा धडंग धड़ --अंग) वस्त्र रहित, दिगंवर, निरा लेना, निर्लज्जता या नीचता या असभ्यता या बिलकुल नंगा। नंगाधडंगा (दे०)। करना। नंगमुनगा --- वि० यौ० (हि० नंगा+नंगा) नंगा-संज्ञा, स्त्री० (हि० नंगा ) विवस्त्रा स्त्री नंगधडंग, विवस्त्र, निरा नंगा। लो०"नगमुनग चघाल सो'--"खूब पटती हैं या दिगंवरा स्त्री, वस्त्र-हीना, निर्लज्जा, दुष्टा। जो मिल जाते हैं दीवाने दो"। नंगेसिर-वि० यौ० (हि.) सिर खोले, नंगा-वि० दे० (सं० नग्न) वस्त्रहीन, दिगंवर। विवस्त्र, सिर । मुहा०-नंगे नाचनायौ०-अलिफ़ नंगा या नंगा मादरज़ाद । निर्लज्जता का काम करना । यौ०नंगेपेर । -बिलकुल नंगा, नंग-धड़ग, निर्लज्ज, पांजी, नंद-संज्ञा, पु. (सं०) हर्ष, प्रसन्नता, आनंद, लुच्चा, खुला । संज्ञा, स्त्री० (दे०) नंगई। परमेश्वर, एक निधि, पुत्र, लड़का, श्रीकृष्ण नंगा-झोली (झोरी)- संज्ञा दे० यौ० (हि० के पालक, एक गोप, बुद्ध के सौतेले भाई नंगा-+झोरना) कपड़ों की जाँच यातलाशी। मगध का एक राजवंश (इति०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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