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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुनना धुश्राना १५८ धुएँ से भरा, काला, प्रचंड, घोर । क्रि० वि० । धुकना*- अ. क्रि० दे० (हि. झुकना ) (दे०) बहुत ज्यादा या बड़े जोर का। __ झुकना, लचना, लचकना, नवना, टूट पड़ना। धुआँना-अ० क्रि० दे० (हि. धुमाँ+ना धुकारना-स० क्रि० (हि. धुकाना) लचाना, -प्रत्य० ) अधिक धुएँ से किसी वस्तु का झुकाना, नवाना, गिराना, पटकना, ढकेलना, स्वाद, रंग या गंध का बिगड़ जाना। पछाड़ना। धुायँध-धुआँध वि० दे० (हि०धुमाँ + धुज-धुजा-धुजी -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गंध) धुएँ के तुल्य महकने वाला। संज्ञा, बजा) पताका, झंडा। स्त्री० (दे०) अजीर्णता या अनपच से पाने धुजिनी -संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ध्वजा) वाली डकार । चमू. सेना, अनीकिनी, अनी।। धुआँस-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० धुवाँस) धुडंगा, धुरंगा - वि० दे० (हि. धूर+ उरद की धोई हुई दाल या श्राटा। अंगी ) जिसके शरीर पर वस्त्र न हो, केवल धुक-संज्ञा, पु० (दे०) काला बतून बटने धूलही लिपटी हो । यौ०-नंगा-धडंगा। की सलाई। धुतकार-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दुतकार ) धुक्कड़-पुक्कड़, धुकुर-पुकुर- संज्ञा, पु० दे० दुतकार, फटकार,अनादर से हटाने का शब्द । (अनु०) भयादि से होने वाली घबराहट, श्रागापीछा, मन की अस्थिरता, स्त्री. धुक धुतकारना - स० कि० दे० (हि० दुतकारना) पुकी (दे०)। दुतकारना, ललकारना । धुकड़ी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) तोड़ा, थैली, धुताई - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० धूर्तता) रुपये रखने की थैली, बसनी। छल, धूर्तता. पाखंड, कपट, धूर्तताई (दे०)। धुकधुकी-संज्ञा, स्त्री० दे० अनु० धुकधुक से) धुधुकार-संज्ञा, स्त्री० दे० (धुधु से अनु०) छाती और पेट के मध्य का गदा, कलेजे की गरज, घोर शब्द, दहाड़। धड़कन, कंप, भय, डर, एक गहना।। धुधुकारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० धुधुकार ) "सुरगन सभय धुकधुकी धरकी"-रामा०। गरज, घोर शब्द, दहाड़ । “बाल धुधुकारी दै धुकना -अ० कि० दे० (हि. भुकना) दैतारी दै दै गारी देत"-कवि० । मुकना, लचना, नवना, गिर या टूट पड़ना, । धुन-(स०) स्त्रा० दे० ( हि० धुनना ) किसा झपटना। " तुलसी जिन्हें धाये धुके धरनी काम में लगे रहने का स्वभाव. प्रवृत्ति, लगन । धर, धौरे धकानि सों मेरु हले हैं"-कवि० । यौ० - धुन का पक्का (प्ररा)-जो कार्य धुकनी-संज्ञा, स्त्री० (हि. धौंकनी) धौंकनी, को पूर्ण किये बिना न छोड़े । मन की इच्छा धूनी। या उमंग, मौज, सोच-विचार ।मुहा० --धुन धुकानां --संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० धमकाना ) बाँधना (लगाना)--रटन लगाना । संज्ञा, गरजन, दहाड़ना, घोर शब्द, गड़गड़ाहट। स्त्री० ( सं० ध्वनि ) ध्वनि, धुनि, गाने का धुकाना*-स० क्रि० दे० (हि. धुकना) ढंग या तर्ज । "धुनकी पूरी है काम की पक्की"। नवाना, झुकाना, लचाना, गिराना, पटकना, धुनकना-स० क्रि० दे० (हि. धुनना) ढकेलना, पछाड़ना । स० कि० दे० (सं० धूम | रुई धुनना। प्रे० रूप-धुनकाना, धुन +करण ) धूनी देना। धुकार-धुकारी-संज्ञा, स्त्री. दे. (धु से धुनको-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० धनुष ) धनुहीं अनु० ) नगाड़ा बजाने का शब्द । " होत धुनने का धन्वाकार यन्त्र । धुकार दुंदुभिन की अरु बजत संख सहनाई" धुनना-क्रि० स० दे० (हि. धुनकी ) रुई | बेहनना, मारना, पीटना, बारम्बार कहना, कवाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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