________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनादरणीय
अनार्य प्राप्त वस्तु का अनादर सा सूचित किया | अनामय-वि० (सं० ) रोग-रहित, निरोग, जाय, ( काव्य शास्त्र)।
तंदुरुस्त, निर्दोष, बे ऐब, संज्ञा, पु० निरोअनादरगाोय-वि० (सं० ) जो श्रादर के गता, तंदुरुस्ती, स्वास्थ्य, कुशल-क्षेम । योग्य न हो स्त्री. पनादरगा'या।
अनाला संज्ञा, स्त्री. (सं० अनामिका ) अनादग्नि -वि० (सं० ) जिपका आदर न मध्यमा के बाद की अँगुली, वि० अप्रसिद्ध, किया गया हो, अपमानित, तिरस्कृत। बिना नाम का। अनादन-दि० ( सं० ) अपमानित, । अनामिका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) कनिष्ठा तिरस्कृत स्त्री० श्रन दूण।
और मध्यमा के बीच की अँगुली. अनामा । अनादि-वि० (सं०) आदि-रहित, उत्पत्ति- | अनायक-वि० ( सं० ) नायक-रहित, हीन. जिसका आदि या प्रारम्भ न हो, रक्षक-रहित, बिना स्वामी का। स्वयंभू नित्य, ब्रह्म, बहुत दिनों से जो अगयत वि० ( सं० ) अविस्तृत, अप्रशिष्ट परम्परा से चला आया हो ।
शस्त। अनादिष्ट-वि० (सं० ) अननुज्ञात, बिना
अनायत्त - वि० (सं० ) अनधीन, उच्छृखल, आज्ञा का, आदेश न दिया हुआ।
अवशीभूत । अनाद्यन्त-वि० (सं० यौ० अन् ।-आदि---
अनायास-क्रि० वि० (सं० ) बिना प्रयास अन्त ) जिसका आदि और अन्त न हो,
का, बिना श्रम, अकस्मात, अचानक, सहज, अनन्त, नित्य, शाश्क्त, सनातन, अनादि,
अयन, सौर्य । --"अनायासहि हिय धरब्रह्म।
कन"-रत्नाकर-हरि। अनाना*-स. क्रि० दे० (सं० आनयन ) मँगाना, आनना।
अनार-संज्ञा, पु. ( फ़ा० ) एक पेड़ और अनाप्त-वि० (सं० ) अपारक, अविश्वासी,
उसके फल का नाम दाडिम, (बुन्दे० ) अनिपुण, जो आप्त प्रमाण न हो, साधारण
अन्याय, ऊधम । ( सं० अन्याय ) अन्याय,
अनीति। जन का, अप्राप्त, अलब्ध, अविश्वस्त, असत्य, अनात्मीय, अबंधु, अनाड़ी।
अनारदाना-संज्ञा, पु० यौ० (फा० ) खट्टे अनाप-शनाप .. संज्ञा, पु० (सं० अनाप्त ) ।
अनार का सुखाया हुश्रा दाना, रामदाना। ऊटपटाँग, अटॉय, सटाँय आँय बाँय, अंड- अनारम्भ-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रारम्भ का बंड, व्यर्थ का, निरर्थक प्रलाप, अटसट,
अभाव, अनादि, बिना प्रारम्भ किया हुआ । असम्बद्ध बकबाद, कि० वि० -- अति अधिक,
अनारो वि० दे० (हि० अनार) अनार बेतादाद, परिमाण से अधिक।
के रंग का, लाल, वि० दे०-अनाड़ी नारीअनापा-वि० ( हि० नापना) बिना नापा
रहित, जिसके शरीर में नाड़ी की गति बंद हुश्रा, सीमा-रहित, (हि० अन् । पापा--
हो गई हो। घमंड )-आपा या घमंड से रहित । अनारोग्य-संज्ञा, पु० (सं०) अस्वस्थता, अनाम-वि० (सं० ) बिना नाम का, मरणावस्था। अप्रसिद्ध, नाम रहित, स्त्री० अनामा- अनार्य-संज्ञा. पु० ( सं० ) जो आर्य न हो, ख्याति विहीना।
अश्रेष्ठ, म्लेच्छ, जिनके प्राचार-व्यवहार, अनामक-संज्ञा, पु० (सं०) बवासीर, नीति-रीति, धर्म-कर्म आर्यो का जैसा न अर्श रोग, वि० नाम न करने वाला, नाम- था वे अनार्य कहलाये, दस्यु या दास, वि० रहित।
नीच, अनुत्तम ।
For Private and Personal Use Only