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पुमत्सेन
द्रुतविलंधित घुमत्सेन -संज्ञा, पु. ( सं०) सावित्री-पति द्रव्य -- संज्ञा, पु० (सं०) पदार्थ, वस्तु, चीज़, सत्यवान के पिता, शाल्व देश के राजा। पृथ्वी आदि । द्रव्य (वैशे०) सामान, सामग्री, धुलोक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) स्वर्ग लोक ।। धन । “द्रव्येषु सर्वे वशाः "-स्फु० । घुसद-वि० ( सं० ) स्वर्गवासी। संज्ञा, पु. गव्यत्व-संज्ञा, पु० (सं०) द्रव्य का भाव । (सं०) देवता, देव, सुर।
द्रव्यवान्-द्रव्यमान्-वि• (सं० द्रव्यमत् ) धत-संज्ञा, पु. ( सं०) जुश्रा, जुवाँ । यौ० धनी, धनवान । स्त्री० द्रव्यवती । द्यत-क्रीड़ा।
| द्रष्टव्य-वि० (सं०) देखने योग्य, दर्शनीय । द्योतक-वि० (सं०)प्रकाशक, बतलानेवाला। द्रष्टा- वि० (सं०) देखने वाला, दर्शक, पुरुष द्योतन-संज्ञा, पु. (सं०) प्रकाशित करने (साख्य) और भारमा (योग.)। “ तदा या बताने का काम, दिखाने का कार्य ।
द्रष्टुः स्वरूपेऽवस्थानम् "- योग० । 'दृष्टा वि० यातित, द्यातनीय।।
नित्यशुद्ध-बुद्धमुक्तस्वभावत्वात् ' सां० । घोहरा -संज्ञा, पु० दे० (हि. देवधरा) द्राक्षा -संज्ञा, स्त्री० (सं०) अंगूर, दान, किस
देवस्थान, देवालय, देहरा (ग्रा०)। मिस । “एलावक पत्रक दाक्षा"-भावः । घोस -संज्ञा, पु० दे० (सं० दिवस ) दिन । द्राघिमा-संज्ञा, पु० (सं० दाघिमन् ) अति "गई हुती पाछिले ठोस की नाँई"-मति। __ दोर्घ या बड़ा, दीर्घता। दुम्म-- संज्ञा, पु० दे० ( सं० मि० फा० दिरम) द्राव-संज्ञा, पु० (सं०) क्षरण, चलन, गमन, दिरम, चाँदी का एक सिक्का।
रस । यौ०-शंखदाव । द्रव--संज्ञा, पु० वि० ( सं० ) पतला, तरल, द्रावक-वि० (सं०) गलाने या पिवलाने पानी सा।
वाला, चित्त पर अपना प्रभाव डालने वाला। द्रवण-संज्ञा, पु० (सं०) रस, पानी सा पदार्थ,
द्रावण-संज्ञा, पु० (सं०) गलाने और पिघ. पतला, तरल । वि० द्रवणीय।
लाने की क्रिया का भाव । वि० द्रावणाय। द्रवण-संज्ञा, पु. (सं०) बहाव, गमन, गति, चित्त के कोमल होने की दशा । वि०वित ।
द्रावड द्राविड-वि० (सं०) द्रविड़ देश का
उत्पन्न या निवासी। वहाँ की भाषा। द्रवता, द्रवत्व-संज्ञा, स्त्री० (सं०) द्रव का भाव, तरलता।
द्राबड़ी-वि० (सं०) द्रविड़-सम्बन्धी । स्त्री० द्रवना-अ० कि० दे० (सं० दवण ) पिघ- द्राविडो-द्रविड़ भाषा । स्त्री० द्रविड़ा। लना, द्रवीभूत या दयाई होना, पसीजना। मुहा०-द्रावड़ी प्राणायाम-सीधी-सादी द्रविड-संज्ञा, पु० (सं० तिरमिक) एक प्रदेश,
बात को पेंचदार बना कर कहना। वहाँ के ब्राह्मण, भारत के प्राचीन वासी। द्रुत-वि० (सं०) शीघ्रगामी, जल्दी जल्दी द्रविण-संज्ञा, पु० (सं०) धन, लक्ष्मी, संपत्ति ।
चलने वाला, भागा हुश्रा, ताल की एक " स्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव".-1
मात्रा, दून। द्रवित-वि० (सं०) द्रवीभूत, बहता हुआ। द्रुतगामी-वि० (सं० द्रु तगामिन् ) तेज़ द्रवीकरण-संज्ञा, पु. (सं०) गलाना, पिघल चलने वाला, शीघ्रगामी । स्त्री० द्रुतगामिनी। लाना, कठिन को नरम करना।
द्रुतपद - संज्ञा, पु. (सं०) एक छद (पिं० )। द्रवीभत - वि० (सं०) पिधिला, गला, नर्म । द्रुतमध्या- संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक अर्धसम द्रवौ-द्रवहु-० कि० विधि (दे०) दया या छंद, (पिं० )। कृपा करो। "कस न दीन पै दवौ दया- द्रुतविलंवित-संज्ञा, पु० (सं०) एक छंद । निधि"-विन ।
"दुत विलंवित माह बभौ भरौ"~-पि। मा० श० को०-११८
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