SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 920
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०१ दुःसह- वि० (सं०) जो कठिनता से सहा द्वितीया द्वीज, दूज (ग्रा०) । संज्ञा, पु. (सं. जा सके। द्विज) द्वितीया का चन्द्रमा, दूज का चाँद । दुःसाध्य- वि० सं०) जो कठिनता से सिद्ध हो। दुऊ-दोऊ* --- वि० दे० (हि. दोनों ) दोनों। दुःमाहम--संज्ञा, पु० (सं०) बुरा या अनु- दुकड़ा-दुकरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्विक+ चित साहस, पृष्टता, ढिठाई। डा-प्रत्य० ) एक साथ दो, जोड़ा, युग्म, दुःसाहसो-- वि० (सं०) बुरा या अनुचित छदाम । स्त्री० दुकड़ी, दुकरी। साहस करने वारा। दुकड़-दुकरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) दो दो दुःस्वप्न -संज्ञा, पु० (सं०) बुरा स्वप्न या बाधों से चारपाई की बुनावट, दो बूटियों सपना। वाला ताश, दुकी, दो घोड़े जुती बग्घी, दुःस्वभाव-संज्ञा, पु० (सं०) बुरी आदत या जोड़ी, दो का पाँसा, युग्म ।। टेंव, बदमिजाजी । वि० (सं०) बुरे स्वभाव दुकान-संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ्रा० अ० दुकान ) वाला। हह, हटिया, हट्टी । मुहा०-दुकान उठना दु-वि० दे० हि० दो दो का संनिप्त रूप. द्वै। (उठाना)-दुकान बन्द करना या तोड़ना। दुअन—संज्ञा, पु० दे० (सं० दुर्मनस् ) दुष्ट, दुकान बढ़ाना-दुकान बन्द करना। खल, बैरी, दैत्य । वि० (दे०) दोनों, दुहुन दुकान लगाना- दुकान की सब वस्तुयें दुहूँ (ग्रा.)। ठीक ठीक पानी अपनी जगह पर रखना, दुपा-संज्ञा, स्त्री० ( अ०) विनती, प्रार्थना, वस्तुएं फैलाना। याचना । महा०-दुआ माँगना-प्रार्थना, दुकानदार- संज्ञा, पु० (फा०) सौदा बेचने करना, अपीस, आशीर्वाद चाहना। दुआ वाला ढोंगी. दुकन्दार (दे०)। देना-शुभाशीष देना। मुहा०-दुश्रा दुकानदारी-संज्ञा, स्त्री० (फा०) दुकान पर लगना-असीस फलना, आशीष का माल बेचने का काम, ढोंग या पाखण्ड से फलीभूत होना। रुपया कमाने का कार्य । दुकन्दारी (दे०)। दुादस- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० | दुकाल~ संज्ञा, पु० दे० (सं० दुष्काल ) द्वादश ) बारह । स्त्री० दुादसी-- द्वादशी। अकाल, दुर्भिक्ष, सूखा। दुआब-दुप्राधा-संज्ञा, पु. (फा०) दो नदियों के मध्य का देश, द्वाब, द्वाबा। दुकूल-संज्ञा, पु० (सं०) धोती श्रादि वस्त्र, तौम या रेशमी कपड़ा, महीन वस्त्र, नदी दुपारी-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्वार ) द्वार, के दोनों किनारे, माता-पिता के वंश ।। दरवाज़ा। दुधागे-संज्ञा स्त्री० (हि. दुआर ) छोटा दुकेता- वि० दे० (हि. दुक्का + एलाद्वार, छोटा दरवाज़ा। वि० ( यौ० में ) द्वार प्रेत्य० ) जो दो हों, एक न हो। यौ०वाली-जैसे-बारह दुधारी। अकेला-दुकेला-एक या दो पुरुष । क्रि० दुाल- संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) चमड़ा, रकाब, वि. अकेले-दुकेले। तसमा। दुकेले-क्रि० वि० दे० ( हि० दुकेला ) दूसरे दुआली- संज्ञा, स्त्री० (फा० द्वाल-- तसमा) पुरुष को साथ लिये हुए। खराद घुमाने वाला चमड़े का तसमा। दुक्कड़-संज्ञा. पु० दे० (हि. दो+ कॅड़) दुइ-दुई-वि० दे० (हि० दो ) दो। “दुइ सहनायी के साथ बजने वाला एक बाजा के चारि माँगि किन लेहू "-राम। जो तबले सा होता है, नगड़िया. साथ दुइज*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० द्वितीय) | जुड़ी दो नावें । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy