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दोवान
दुःसंधान दीवान-संज्ञा, पु. (अ० राज-सभा, कचहरी, दुःकंत*-संज्ञा, पु० दे० (सं० दुष्यन्त)
मंत्री प्रधान, वजीर, गज़लों का संग्रह। अयोध्या के एक राजा, बुरा स्वामी या पति। दवान श्राम - संज्ञा, पु. यो. (अ.) दुःख दुख-संज्ञा, पु० सं०) कष्ट, क्लेश, सामान्य सभा ।
आध्यात्मिक, प्राधिभौतिक, आधिदैविक, ये दघानग्गना-संज्ञा, पु० यौ० 'फा०, बैठक,
दुःख के तीन भेद हैं। " श्रथ त्रिविधिदुःसभा-भवन ।
खाऽत्यन्त निवृत्तिरस्यन्त पुरुषार्थः"-सांख्यः। द वानवास - संज्ञा, पु० यौ०(अ. मुख्यपभा।
मुहा०-दुःख उटाना ( पाना, भोगना) दीव ना - वि० (फा० ) पागल, सिड़ी
कष्ट सहना । दुःख देना या पहुँनाना . दिगना । स्त्री. दीवानी दिवानी।
कष्ट पहुँचाना । दुःख बटाना-सहानुभूति दवानापन-संज्ञा, पु. ( फा० दीवाना + पन
प्रगट करना या बुरे समय में साथ देना। -प्रत्य०) पागलपन भिडीपन ।
दुःख भरना-बुरा समय काटना। विपति दीव न। - संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) दीवान का पद,
श्रापत्ति, संकट, पीड़ा. व्याधि, दर्द। वह कचहरी जहाँ धन के मामले निपटाये
दुःखद, दुःखदाता--वि० (सं० दुःखदातृ ) जावें । 'दीवानी करती दीवानी'-मै० श० ।
कष्ट या दुःख पहुंचाने वाला, दुग्बद, दुख दीवार- संज्ञा, स्त्री. (फा०) भीत, भीती,
दाता (दे०) दीवाल, दिवाल।
दुःबदायक-वि० (सं० ) कष्ट या दुःख दीवारगोर - संज्ञा, पु० (फ़ा०) दीपाधार जो
पहुँचाने या देने वाला। स्त्री० दुःबदायिका। दीवाल में लगाया जाता है। दीवाल पर
दुःखदायी-वि. (सं० दुःखदायिन ) दुःखलगाने का लैम्प । दीवाल-संज्ञा, पु० (फा० दीवार) दीवार, भीत।
दायक दुख देने वाला' स्त्री. दुःश्वदायिन । दवाली-सज्ञा, स्त्री० (सं० दीपावली) कार्तिक
दुःखप्रद-संज्ञा, पु० यो० सं० दुःख देनेवाला की अमावस, दिवाली, दिवारी।
दुःखमय- वि० (सं०) दुःख से भरा हुआ । दीसना-- अ० क्रि० दे० (सं० दृश =देखना)
दुःवांत - वि० यौ० (सं०) जिसके अंत में दृष्टि पड़ना. दिखाई देना।
दुःख का वर्णन हो । संज्ञा, पु. (सं०) दुःख दह *--वि० दे० ( सं० दीर्घ ) बड़ा, लम्बा ।
का जहाँ अन्त हो, क्लेश की समाप्ति, दुःख "दीह दीह दिग्गज के केशव कुमार मनौ " का अन्त, दुख की अन्तिम सीमा। -राम।
दुःखित- वि० (सं० ) पीडित, क्लेशित । दुंद-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्वन्द्र) झगड़ा, दुःविनी - वि० स्त्री० (सं०) दुखिया । उत्पात, युद्ध उपद्रव, जोड़ा, दो । संज्ञा, पु० दुःखी-वि. ( सं० दुःखिन ) क्लेश-युक्त, (सं० दुन्दुभि ) नगाड़ा।
दुख प्राप्त, दुग्वी । स्त्री. दुःम्बिनी। दुंदुभि दुंदुभी-संज्ञा, पु० (सं० वरुण, दुःशला-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) दुर्योधन की एक राक्षस जिसे बालि ने मारा था। संज्ञा, बहिन जो जयद्रथ को व्याही थी। स्त्री. (सं०) नगाड़ा। "दुदुभि अस्थि-ताल दुःशासन-वि० ( सं० ) जिस पर शापन दिखराये"- रामा०।
करना कठिन हो । संज्ञा, पु० (सं०, दुर्योधन दुंदुह संज्ञा, पु० दे० सं० डुडुभ) पनिहा साँप । ___ का छोटा भाई। दंबा --- संज्ञा, पु० दे० (फ़ा० दुम्बालः) बड़ी दुःशोल-वि० (सं०) बुरे स्वभाव वाला। पूँछ का भेंड़ा।
दुःशीलता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) दुष्टता । दुः-अव्य ० (सं०) नि दा. बुराई, कठिनता दुःसंधान- संज्ञा, पु. (सं०) काव्य का का घोतक, जैसे--दुर्जन, दुर्गम ।
एक रसांग।
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