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अनवान
अनपत्य अनडवान-संज्ञा पु० (सं०) बैल, साँड, किसी वस्तु के सम्बन्ध में साधारण अनिश्चय वृषभ, अन्डू (सं० )।
का वणन किया जाना। अनन-वि० (सं० अ-+नत) न झुका अनध्याय -संज्ञा, पु० (सं०) वह दिन हुआ, सीधा, अनेक क्रि० वि०-(सं. जिप में शास्त्रानुसार पढ़ने पढ़ाने की मनाही अन्यत्र ) दे० और स्थान, दूसरी जगह, है, जिस दिन पढ़ने का नागा हो, ऐसे दिन अन्यत्र और कहीं, (अन्तै, अन्ते--दे०) हैं - अमावस्या, परिवा, अटी , चतुदशी, " मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै " र पूणमा, छुट्टी का दिन ।
सूर० । “सुनत बचन फिर अनत अनन्नार--संज्ञा, पु० (पुर्न० अनानास ) निहारे '-- रामा।
रामबाँस का सा एक छोटा पौधा जिलके अनति- वि० (सं०) कम, थोड़ा, अति डंठलों के अंकुरों की गाँठ खटमीठीका उलटा, थोड़ा, संज्ञा स्त्री० नम्रता का और खाने योग्य होती है। अभाव, अहार, गर्व ।
अन्य वि० (सं० ) अन्य से सम्बन्ध अनदेखा--वि. पु. दे० (हि. अन न रखने वाला, एक निष्ठ, एक ही में लीन, देखना) बिना देखा हुअा, अदेखा, न देखा जैसे अनन्य भक्त, संज्ञा, पु० (सं०) विणु हुआ, स्त्री० अनदाबी, श्रदृष्ट, गुप्त, का एक नाम, जिसके समान दूसरा न हो, " देखी अनदेखी अनदेखी भई देखी सी" स्त्री० अनन्या। -रसाल ।
अनन्या संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक निष्ठा, अनद्यतन--संज्ञा, पु. ( सं० ) जो श्राज अन्य से सम्बन्ध रखने का अभाव । न हो, जो अद्यतन न हो, अनद्यतन
अनन्वय - संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्रकार का भविष्य -- संज्ञा पु. यौ० (सं०) संस्कृत
अलंकार, जिसमें एक ही वस्तु उपमान और में भविष्यकाल का एक भेद ।
उपमेय दोनों रूपों से कही जाती है। वि. अनद्यतनभून संज्ञा, पु० यौ० सं०) भूत
अन्वय-रहित, ( अन्-नहीं-- अन्वय-वंश) काल का एक भेद।
वंशहीन । अनधन --संज्ञा, पु० (दे०) धन धान्य,
अनन्धित-वि० (सं० ) असम्बद्ध, पृथक, सम्पत्ति, ऐश्वर्य ।
अयुक्त, अंडबंड। अनधिकार-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) अधिकार का प्रभाव, बेबपी, लाचारी, अयोग्यता, |
अनपच- संज्ञा, पु० दे० (हि० अन् +
पचना ) अजीर्ण, बदहज़मी, अफ़रा, अपच, अक्षमता, वि० अधिकार-रहित, अयोग्य,
अरुचि । अख्तियार न होना, यौ० अनधिकारचर्चा जिस विषय में गति न हो उसमें
मु० किसी वस्तु से अनपच या अजीर्ण टाँग अड़ाना।
होना, उस वस्तु से अरुचि, घृणा होना, अनधिकार-चेष्टा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०)
चित्त हट जाना। नाजायज़ इरादा।
| अनपढ़-वि० (हि. अन्पढ़ना) बेपढ़ा अनधिकारी-वि० (सं० अनधिकारिन् ) अपठित, मूर्ख, निरक्षर, अनपढ़ा (दे०) जिसे अधिकार न हो, अयोग्य, अपात्र, अशिक्षित, स्त्री० अनपढ़ी। स्त्री०-प्रनधिकारिणी ।
अनपत्य-वि० ( सं० अन् + पत्य ) अनध्यवसाय--संज्ञा, पु. (सं० ) अध्य- निस्सन्तान, निवंश, पुत्र-हीन, अपुत्र, वसाय का अभाव, अतत्परता, ढिलाई, | निपूता (दे०)। .
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