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दंड
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झगड़ा, उपद्रव, बखेड़ा, हुल्लड़, हलचल, इल्ला । यौ० दंगा-फसाद । दंड - संज्ञा, g० ( सं० ) सोंटा, दंडा, डंडा, छोटी लाठी, लाठी एक व्यायाम, एक प्रणाम, सज्ञा, जुरमाना, डाँड़, समय-विभाग (६० पल = १ दंड) | सुहा० - दंड भरना ( देना ) -- जुरमाना या, डाँड़ देना । दंड भोगना या भुगतना - सज्ञा अपने ऊपर लेना या काटना | दंड सहना - घटा सहना । डेका बाँस । डाँड़ी या तराज़ू चम्मच आदि की डंडी । चार हाथ की लंबाई । घड़ी | दंड यतिन कर भेद नहँ " नर्तक नृत्य समाज - रामा० । दंडक – संज्ञा, पु० (सं०) डंडा, दंड देने घाला, एक छंद-भेद ( पिं० ) एक वन, दंडकारण्य. एक दंड ( ६० दंड १ घड़ी) दंडक मैं कीन्ह्यो काल काल हू कौ मान खंड " – के० राम० ।
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दंडकला - संज्ञा स्त्री० (सं०) एक छंद । दंडकारण्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक वन, दंडकवन ।
दंड- दास - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जो जुरमाना म देने से दास हुआ हो । दंडधर, दंडधारी - पंज्ञा, पु० यौ (सं० ) यमराज, संन्यासी ।
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दंडन - संज्ञा, पु० (सं०) दंड देने का कार्य्यं । शासन | वि० दंडनीय, दंड्य, दंडित । दंडना - स० क्रि० दे० ( सं० दंडन ) दंड या सज्ञा देना, डाँड लेना ।
दंडनायक - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा, शासक, सजा देने वाला, सेनापति, यम । दंडनीति- संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) राजनीति, क़ानून, धार विद्याथों में से एक " श्रन्वी क्षिकी, त्रयी, वार्त्ता, दंडनीतिश्च शाश्वती । एता विद्याश्चतस्रस्तु लोकं संस्थिति हेतवाः रघु० टी० । दंडनीय - वि० (सं०) दंड देने या पाने
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दंतधावन
योग्य | "दंडनीय सोइ जो विरुद्ध नीति के करै ” – मन्ना० | दंडपाणि– संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यमराज, भैरव, जिसके हाथ में दंड रहे । दंडप्रणाम - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आदरार्थ
नमस्कार, दंडवत्, अभिवादन । दंडवत् - संज्ञा, स्त्री० (सं०) डंडे के समान भूमि पर लेट कर किया गया नमस्कार, साष्टांग प्रणाम, दंडौत (दे० ) । दंडविधि - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) अपराध सम्बन्धी नियम या व्यवस्था, राजनीति, कानून, दंड विधान, दंड व्यवस्था । दंडायमान - - वि० (सं०) सीधा खड़ा, खड़ा । दंडालय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्यायालय, कचहरी, प्रदालन |
दंडान्वय- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पूर्ण और सूम सीधा श्रन्वय ।
दंडिका - संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक वर्ण वृत्ति । छोटा दंडा, दंडी डंडी ( ग्रा० ) । दंडित - वि० पु० (सं० ) दंड प्राप्त, सजायाता, दंड पाया हुआ ।
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दंडी - संज्ञा, पु० ( सं० दंडिन् ) दंड धारण करने वाला, यमराज. राजा द्वारपाल, संन्यासी, शिव जी, जिनदेव, संस्कृत में काव्यादर्श और दशकुमार रचयिता एक कवि, चरित ।
दंड्य - वि० (सं० ) दंड पाने के योग्य | दंत - संज्ञा, पु० (सं० ) दाँत, दशन, रद । दंतकथा - संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं० ) पुष्ठ प्रमाण - रहित बात जो सुनी जाती हो, परंपरागत बात |
दंतच्छद --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रठ, श्रोष्ठ । दंतत - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० दंतक्षत ) दाँतों से काटने का घाव । कंत दंतछत
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जानि ”
मति० । दंतधावन -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दातौन,
दातून, दतून, दतुइन (ग्रा० ) ।
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