________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तुपक
५४४
तुराना तुपक-संज्ञा, स्त्री० दे० ( तु. तोप) छोटो | तुरई, तुरइया--संज्ञा, स्त्री. दे० (सं० तूर)
तोप या बंदूक । “वीरतुपक चलावैहैं"-द्वि०। एक तरकारी, तोरई (दे०)।। तुपकिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (तु० तोप) छोटी तुरक, तुर्क-संज्ञा, पु० दे० ( सं० तुरुष्क )
बंदूक। संज्ञा,पु० (तु तोप) बंदूक चलाने वाला। तुर्किस्तान का निवासी, तुरुक (ग्रा०) । तुफंग-संज्ञा, स्त्री० दे० ( तु. तोप ) हवाई | तुरकटा--संज्ञा, पु० दे० (फा० तुर्क+टा बंदूक ।
हि० प्रत्य०) मुसलमान (अपमान-सूचक )। तुफान, तूफ़ान-संज्ञा, पु० दे० (अ० तूफान) तुरकान-तुरकाना-संज्ञा, पु० दे० (फा० ज़ोर की आँधी और पानी, तोफान (ग्रा०) तुर्क ) तुरकों के समान, तुरकों जैसा, तुरकों उपद्रव ।
का देश या बस्ती। (सी. तुरकानी)। "हूँ तुभना-अ० क्रि० दे० (सं० स्तोभन) चकित
तो तुरकानी हिंदुवानी हो रहूँगी मैं "या अचम्भित रहना, स्तब्ध रहना । ताज। तुम-सर्व० दे० (सं० त्वम्) तू का बहु वचन | तुकिन-तुरकिनि- संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० (आदरार्थं)।
तुर्क) तुर्क जाति की खी, तुरकानी। तुमड़ी-तुमरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तुंबिनी)। तुरकी-वि० दे० (फा०) तुर्क देश का, वहाँ
तूमड़ी. तोंबी, तुंबी,तोमड़ी,मौहर (बाजा) का घोड़ा, तुर्की की। संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) तुरतुमरा-सर्व० दे० (सं० युष्माकम् ) तुम्हारा । किस्तान की बोली। तुमरू-संज्ञा, पु० दे० (सं० तुवुरु ) धनियाँ,
| तुरग-संज्ञा, पु. (सं०) घोड़ा, चित्त । एक गंधर्व ।
(स्त्री० तुरगी) तुमल, तुमुर-संज्ञा, पु०, वि० दे० (सं० तुरत-अव्य० दे० (सं० तुर ) जल्दी, शीघ्र, तुमुल ) फौज़ की धूम, कोलाहल, शोर, तरंत । झटपट, तुरतै (ग्रा.)। युद्ध की हलचल, कठिन युद्ध, घोर। तुरपन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तुरपना) तुमुल-संज्ञा, पु. (सं०) कोलाहल, शोर, एक सिलाई । स० कि० (दे०) तुरुपना। विकट लड़ाई । वि० (सं०) घोर, सुदीर्घ ।। तुरमती- संज्ञा, स्त्री० (दे०) बाज़ सा पक्षी। तुम्ही -सर्व० दे० (सं० त्वम्) तुम, तुमको । तरय-- संज्ञा, पु० दे० (सं० तुरग ) घोड़ा। तुम्हारा, तुम्हार, तुम्हरा-सर्व० (हि. तरशी-तरसी-संज्ञा, स्त्री० (उ० दे०) खट्टातुम ) तुम का संबंध कारक, तुम्हरा, पन, खटाई। तिहारो, (व०)। तोहार, तोर, (अव०)। तरसीला-वि० (दे०) घायल करने वाला, त्वार (ग्रा.)।
पैना, तीखा, खट्टा । " फूल छरी सी नरम तुरंग-संज्ञा, पु० (सं०) घोड़ा, चित्त, सात
| करम करधनी शब्द हैं तुरसीले"-नारा० । की संख्या।
तुरही, तोरही-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तूर) तुरंगक-संज्ञा, पु० (सं०) बड़ीतोरई,(शाक)।। तुरंगम-संज्ञा, पु० (सं०) घोड़ा, चित्त, एक
तुरुही (दे०) एक बाजा, तूर्य (सं०)। वृत्त (पिं०)।
तुरा, तुरी-संज्ञा, स्त्री० (सं० त्वरा) जल्दी, तुरंज-संज्ञा, पु० (फा०) नींबु, चकोतरा या
उतावली । संज्ञा, पु. ( सं० तुरग) घोड़ा । बिजौरा नींबू ।
तुराई*- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तूलिका ) तुरंजबीन-संज्ञा, पु. यौ० (फ़ा०) नींबू के
गद्दा, शीघ्रता (हि० तुरा)। रस का शरबत ।
तुराना-अ० कि० दे० (सं० तुर) घबराना। तुरंत-क्रि० वि० दे० (सं० तुर) शीघ्र, झट- उतावली करना, आतुर होना । स० क्रि० पट। तुरंतै, तुरत, तुरतै (प्रा.)। । (दे०) तुड़ाना, तोड़ाना ।
For Private and Personal Use Only