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तीखुर
तिसरिहा
८४० तिसरिहा– संज्ञा, पु० (दे०) गैर, पराया, कोप, तेहा (ग्रा० ) क्रोध, बिगाड़, झगड़ा। तिहाई भाग लेने वाला।
संज्ञा, पु० दे० (सं० तृतीयांश ) तिहाई। तिसरत-संज्ञा, पु० दे० (हि. तीसरा ) तिहि, तेहि-सर्व०७० ( हि० तेहि ) उसको, तीसरा, अलग, तटस्थ, बिचवानी, तिहाई । उसे, उस । “ तिहि अवसर सुनि सिव-धनु का स्वामी।
भंगा"-रामा० । तिसाना*---अ. क्रि० दे० (सं० तृपा) तिहूँ तिहूँ।-वि० दे० (हि. तीन ) तीनों। प्यासा होना।
"अस सोभा तिहु लोकहुँ नाही'-स्फु० । तिसूत-संज्ञा, पु० (दे०) एक औषधि । तिहैया-संज्ञा, पु० दे० (हि० तिहाई) तिहाई, तिहरा, तेहरा-वि० (हि. तीन + हरा) तीसरा भाग।
तीन परत का, तिगुना, तिहराय। ती*-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्त्री० ) नारी, तिहराना-तेहराना-स० कि० (हि. तेहरा) | स्त्री, तिय। “किय भूखन तिय भृग्वन ती को" दो बार कर चुकने पर फिर तीसरी बार -रामा० अ० क्रि० (३०) थी. हती, इती।
करना तिबारा, तीन परत करना। तीन-संज्ञा, स्त्री० (सं० स्त्री+ अन्न) भाजी, तिहगवट-संज्ञा स्त्री० (हि. तेहरा) तिगुनाव, शाक, स्त्री का अन्न ।
तिगुना करने का भाव या काम । तीकट-संज्ञा, पु० दे० (सं० स्त्री + कटि) तिहरो-वि० दे० स्त्री० ( हि० तेहरा ) तीन नितम्ब. कटि का पिछला भाग। तह की, तीन रस्सियों की, तिगुनी, तीन तीक्षण-तीक्षन-वि० दे० (सं० तीक्ष्ण ) परत की।
पैना, तेज़, उग्र, प्रचंड, चरपरा, तीखा, तिहरे-सर्व० (दे०) तिहारे, तुम्हारे । वि०..
तीछन (ग्रा.)। "तीक्षन लगी नयन भरि तिगुने, तीन परत के।
श्राये रोवत बाहर दौरे"-- सूर० । तिहवार, तेहवार--संज्ञा, पु. दे० (हि. तीक्ष्या--वि० (सं०) पैना, तीव, उग्र, प्रचंड,
त्योहार) त्यौहार,पर्व,उत्सवतिउहार (ग्रा०)। चरपरा, तीखा । संज्ञा, स्त्री० तीक्ष्णता । तिहवारी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० त्योहार ) तीक्ष्ण दृष्टि --- वि० यौ० (सं०) सूक्षम दर्शी, त्योहार के दिन सेवकों का इनाम या पार- सूक्ष्म दृष्टि । तोषिक, त्यौहारी (दे०) तेतहारी। तीक्ष्णाधार तीक्ष्णधारा-- संज्ञा, पु० (सं०) तिहाई -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तृतीयांश ) तलवार, नदी । वि०-तेज या पैनी तीसरा भाग या खंड, खेतों की पैदावार, धारा या धार वाला। सिल।
तीक्ष्ण बुद्धि-वि• यौ० (सं०) बुद्धिमान । तिहायत, तिहाइत-संज्ञा, पु. द० (हि. जिसकी बुद्धि बहुत तेज़ या पैनी हो, विज्ञ । तीसरा ) तीसरा मनुष्य, तीसरा भाग लेने | तीक्ष्णा -- सज्ञा, स्त्री० (सं०) तारा देवी, जोंक, वाला, उदासीन, मध्यस्थ, निपत, पक्षपात. मिर्च, मालकँगुनी, वच, केवाच । रहित।
तीख, तीखा - वि० दे० (सं० तीक्ष्ण ) तिहारा-तिहारे-तिहारी*-सर्व० दे०
तीखा, तीक्षण, उग्र, प्रचंड, चोखा, चरपरा । (हि• तुम ) तुम्हारा, तुम्हारे।
स्त्री० तीखी। तिहारी*-सर्व० दे० (हि. तुम) तुम्हारी। तीखन-वि० दे० ( सं० तीक्ष्णा ) तीखा, "नगरी तिहारी तजि जै हौं घबरानी सुनि" पैना, तीक्षण ।
तोखुर--संज्ञा, पु० दे० (सं० तवक्षीर ) एक तिहाव, तिहावा - संज्ञा, पु० दे० (हि० तेह)। पेड़, उसकी जड़ का सत ।
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