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तमगुना
६१५
तमोपहा तमगुना-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० तमोगुणी) | तमामी-संज्ञा, स्त्री० (फा०) एक रेशमी तमोगुणी।
कपड़ा। तमचर-संज्ञा, पु० दे० (सं० तमीचर) राक्षस, तमारि-तमारी-संज्ञा, पु० यौ० (हि. तम+ उल्लू, तमीचर।
अरि) सूर्य । " तूल लौं उडैहौं ताहि देखत तमचुर-तमचूर, तमचोर-संज्ञा, पु० दे० तमारि के "-सरस०।। (सं० ताम्रचूड़ ) कुक्कट, मुर्गा । " भोर भये | तमाल-संज्ञा, पु० (सं० ) एक पेड़ जिसके बोले पुर तमचुर मुकुलित विपुल विहंग" | पत्ते तेजपात और छाल दालचीनी कहलाती -प्राग०।
है। " तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु तमतमाना-अ. क्रि० दे० (सं० ताम्र) छाय'-हरि० ।। क्रोध या धूप से मुख लाल हो जाना। तमाशबीन--संज्ञा, पु. ( अ० तमाशः+ फा० तमता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) तम का भाव, ।
वीन ) तमाशा देखने वाला, वेश्यागामी । अँधेरा।
संज्ञा, स्त्री० तमाशबीनी । तमप्रभ--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक नरक। । तमाशा-तमासा-संज्ञा, पु. (अ०) अनोखा तमस-संज्ञा, पु० (सं० ) अँधेरा, अज्ञान |
दृश्य, मन बहलाने वाली बात । मुहा०पाप, तमसा नदी।
तमाशा बनाना-अनोखी या साधारण तमसा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) टौंस नदो।
या मनोरंजक समझना। "प्रथम बास तमसा भयो"-रामा० ।।
तमित्र-संज्ञा, पु० (सं०) अँधेरा, क्रोध । तमस्विनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अँधेरी रात्रि,
तमिस्रा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) रात्रि । हलदी।
तमी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रात्रि । तमस्सुक-संज्ञा, पु. ( म०) टीप, ऋण
तमीवर--संज्ञा, पु० (सं०) राक्षस, चन्द्रमा । पत्र, दस्तावेज़ ।
तमीज़- संज्ञा, स्त्री० (अ.) विवेक, विचार, तमस्तति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अंधकार का
ज्ञान. बुद्धि, लियाकत कायदा ! समूह, घोर अंधकार ।
तमीश-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० तमी+ईश) तमहीद-संज्ञा, स्त्री० ( अ० ) भूमिका।।
चन्द्रमा, तमीस (दे०)। तमा-संज्ञा, पु० दे० (सं० तमस् ) राहु ।
तमोगुण-संज्ञा, पु० (सं०) तीन गुणों में
से एक। संज्ञा, स्त्री० रात्रि । संज्ञा, स्त्री० दे० (१० तम) लोभ ।
| तमोगुणी-वि० (सं०) तमोगुण-युक्त, अहं
कारी, क्रोधी। तमाकू, तमाखू-संज्ञा, पु० दे० (पुर्त-टुवैको) एक नशीला पौधा जिसके पत्ते चूने से खाये,
| तमान-संज्ञा, पु. (सं०) अंधकार-नाशक, सूंघे और चिलम में पिये जाते और
अग्नि, सूर्य-चन्द्रमा, विष्णु, ब्रह्मा, शिव, औषधि के काम में आते हैं, तम्बाकू।
दीपक, ज्ञान, गुरु । तमाचा-संज्ञा, पु० दे० (फा० तवानूचः )
तमोज्योति-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) जुगनु,
खद्योत। थप्पड़, थापर (ग्रा.)।
तमानुद- संज्ञा, पु. (सं०) अंधकार-नाशक, तमादी-संज्ञा, स्त्री० (अ.) किसी कार्य का
अग्नि, चन्द्रमा, सूर्य, दीपक, ब्रह्मा, विष्णु, निश्चित समय व्यतीत या टल गया हो।।
शिव, गुरु, ज्ञान। तमाम-वि० (अ.) सम्पूर्ण, समाप्त, ख़तम । तमोपहा-संज्ञा, पु० (सं.) अंधकार-नाशक, मुहा०—काम तमाम करना (होना) सूर्य, अग्नि, चन्द्रमा, दीपक, ब्रह्मा, विष्णु, -मार डालना ( मरना)।
शिव, ज्ञान, गुरु।
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