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तनुज ८१२
तपना तनुज-संज्ञा, पु. (सं०) लड़का, पुत्र, बेटा। तन्ति, तन्ती-संज्ञा, पु० दे० (सं० तन्तु) तनुजा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लड़की, बेटी, कोरी, जुलाहा, तारवाले बाजे । पुत्री । “नहिं मानै कोऊ अनुजा तनुजा" तन्तुना-संज्ञा, पु० दे० (सं० तंतु ) ततुना, -रामा०।
(ग्रा०) तार। तनुत्राण- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अँगरखा, तन्नाना-अ. क्रि० (हि. तनना ) ऐंठना, कवच ।
खिंचना, अकड़ना, शेखी या शान दिखाना। तनुधारी-वि० यो० (सं०)शरीर या देहधारी तन्नी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तनिका ) जोती, प्राणी । " कहौ सखी श्रस को तनुधारी" जिस रस्सी में तराजू के पल्ले लटकते हैं वह -रामा० ।
रस्सी, नाव, खोंचा रखने का मोदा।। तनुमध्या, तनुमध्यमा-संज्ञा, स्त्री० यो० तन्मय-वि० सं०) मग्न, दत्तचित्त, तद्रूप, (सं०) वर्ण वृत्त, पतली कमर की स्त्री।
तदाकार। तनुराग-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देह पर लगाने |
तन्मयता-संज्ञा, स्त्री० (सं०)लिप्तता, मग्नता, का चन्दन, केसर श्रादि, अंगराग।
लीनता, तदाकारता, तद्रूपता । तनू-संज्ञा, पु० दे० (सं० तनु ) शरीर, देह, तन्मयो-संज्ञा, पु० (सं०) तदाकार, तद्रूप, काया।
मग्न, तत्पर । तनूज* --संज्ञा, पु० दे० (सं० तनुज) लड़का, बेटा, पुत्र ।
तन्मात्र- संज्ञा, पु० (सं०) उतनाही, पंचभूत।
संज्ञा, स्त्री. तन्मात्रा- पाँच तत्व । तनूजा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तनुजा) लड़की, पुत्री, बेटी। " आई तजि हौं तो ताहि
तन्वंगी-वि. यौ० (सं० तनु - अंगी) सुंदर
देह वाली, कोमलांगी। तरनि तनूजा-तरी"-पद्मा। तनेना-वि० दे० (हि. तनना+ एना-प्रत्य०)
तन्वी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक वर्ण वृत्ति । वि० खिंचा या तना हुआ, टेढ़ा या तिरछा,
दुबली पतली, कोमलांगी स्त्री।
| तप- संज्ञा, पु. ( सं० तपस् ) तपस्या, नियम, अप्रसन्न, क्रोधित । (स्त्री० तनेनी)
ज्ञान । “ यद् ज्ञानं तंतपः"। सत्यः । तनै-संज्ञा, पु० दे० (सं० तनय) पुत्र, लड़का,
गरमी । " तपसोध्यजायत् "- वेद । "तनै जजातिहिं जोबन दयऊ"-रामा० । तनैया- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तनया) लड़की,
" तपबल ब्रह्मा सृष्टि बनावत "-रामा० । पुत्री, कन्या।
यौ० तपलोक-(सं०) तपोलोक । तनोज - संज्ञा, पु० दे० (सं० तनूज ) रोवाँ, तपकना-अ० कि० द. ( हि० टपकना ) रोम, बेटा, पुत्र ।
व्याकुल होना, तड़पना, धड़कना, उछलना, तनोरुह-संज्ञा, पु० दे० (सं० तनुरुह) रोवाँ, । चूना, टपकना, गिरना।
रोम । “गोरी गोरे में तनोरुह सुहात तपती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सूर्य-पुत्री, यमुना। ऐसे"-स्फुट।
तपन, तपनि- संज्ञा, स्त्री० (सं०) ताप, जलन, तन्त-संज्ञा, पु० दे० (सं० तन्तु ) संतान, सूर्य्य। सूर्य-कान्तिमणि, ग्रीष्म ऋतु, कुटुंब, उपाय, औषधि, व्यवस्था, सुख-सिद्धि गरमी, आग, धूप, वियोगाग्नि । (सं० तंत्र) तंत्र।
तपना-अ० क्रि० (सं० तपन ) गरमी का तन्तनाना-अ० क्रि० (दे०) पिनपिनाना, __ फैलना या ज़्यादा होना, कष्ट सहन करना,
तनना, भन्नाना, तेज़ पड़ना, क्रोध से बकना। प्रताप या प्रभाव दिखाना, आतंक फैलाना, तन्तनाहट-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० तन्तनाना) तप करना, बुरा व्यय । " भीम सो तपत पिनपिनाहट, जलने की पीड़ा, तेजी। रसोई"-गि०।
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