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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डसन ७५८ डोड़ डसन-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दंशन ) काटने | डहरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. डगर ) मार्ग, की क्रिया, भाव या ढंग। पंथ, राह. डहारि (ग्रा०)। " रोकत डहरि डसना-स० क्रि० दे० (सं० दंशन) साँप महरि तेरो सुत ऐसो है अनियारो"-स्फु० । श्रादि विषधर कीड़े का काटना या बिच्छू डहरना-अ. क्रि० दे० (हि. डहर ) पादि का डंक मारना । "साँप हम को डसि | चलना, जाना, राह लेना। लीन्यो"-रत्ना०।। डहराना-स० क्रि० दे० (हि. डहरना) डसाना-स० क्रि० दे० (हि० डसना का चलाना, ले जाना। प्रे० रूप ) किसी विषैले जन्तु के द्वारा किसी उहरि-डहरिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. को कटवाना, डसवाना, दसाना (ग्रा०); डगर ) मार्ग, पंथ, राह । कि० (दे०) दसाना, बिछाना। डहार--संज्ञा, पु० दे० (हि. डाहना ) तंग इसौना--संज्ञा, पु० (दे०) विस्तर, बिछौना, करने या दुख देने वाला, डाहने वाला। दसना, दसौना (दे०)। डह-संज्ञा, पु० (दे०) बड़हर का पेड़ तथा डहक-संज्ञा, पु० (दे०) कंदरा, गुफा, खोह, __ फल या फूल । छिपने की जगह । डॉक-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दमक ) ताँबे डहकना-स० क्रि० दे० (हि. डाका) धोखा | श्रादि का बारीक पत्तर जो बहुधा नगीनों देना, छल करना, जट लेना, ठगना, भरोसा के तले रखा जाता है । संज्ञा, स्त्री० दे० या लालच दे फिर न देना । (प्रे० रूप ) (हि. डॉकना ) वमन, कै। संज्ञा, पु० दे० डहकाना । अ० क्रि० दे० (हि. दहाड़, (हि० डंका ) छोटा नगाड़ा । " दान डॉक धाड़) विलाप करना, विलखना, दहाड़ बाजै दरवारा"-प० । विच्छू आदि मारना । अ० क्रि० (दे०) फैलाना, छितराना। का डंक । “दै बीबी के डाँक "-वि०। डहकाना–स० क्रि० दे० (हि. डाका ) डाँकना-स० क्रि० दे० (सं० तक चलना) खोना, गँवाना, नष्ट करना । अ० कि. लाँघना, फाँदना, वमन या कै करना। (दे०) धोखे में आकर अपना धन खो देना, डाँग-संज्ञा, स्त्री० (दे०) पहाड़ के ऊपर की ठगा जाना । स० क्रि० (दे०) धोखा देकर जमीन, वन । संज्ञा, पु० कूद, फलाँग, लट्ठ । किसी की चीज़ ले लेना, ठग लेना, देने डाँगर-वि० (दे०) पशु, चौपाये, भैंसा। को कह कर न देना । ( पू० का० ) डहकि । डॉट-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दांति ) घुड़की, डपट, फटकार । डहडहा-वि० दे० (अनु०) हरा-भरा, डाँटना-स० क्रि० दे० (हि. डाँट) घुड़कना, ताज़ा, उसी समय का । (स्त्री० डहडही)। डपटना, डराने को ज़ोर से चिल्लाना । डहडहाह - संज्ञा, स्त्री. (हि. डहडहा ) डांट-डपट-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि.) डराने हरापन, ताज़गी, प्रफुल्लता, आनन्द । __ या धमकाने को घुड़कना, डपटना, तिरस्कार डहडहाना-अ० क्रि० दे० (हि. डहडहा ) करना। पेड़ों आदि का भली भाँति हरा-भरा | डाँठ-डाँठला—संज्ञा, पु० दे० (सं० दंड ) होना, प्रसन्न होना, लहलहाना। पौधे का डंठल । डहन-संज्ञा, पु० दे० ( सं० डयन ) पक्षियों डाँठी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) डंडा, डाली, डाँठ । के पंख, पर । अ० कि० जलन । डाँड... संज्ञा, पु० दे० (सं० दंड) डंडा, डहना-अ० क्रि० दे० (सं० दहन ) जलना, गदका, नाव खेने का बल्ला, सीधी रेखा, द्वेष करना, बुरा मानना । स० कि० (दे०) ऊँची मेंढ़, छोटा भीटा या टीला, सीमा, भस्म करना, दुख देना, दहना। जुरमाना, हरजाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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