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डंडा
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डगडगाना देने वाला, मालगुजारी या कर देने वाला, डक-संज्ञा, पु. (अं० डाक) जहाजों के करदी, करद।
___पाल का वस्त्र, मोटा कपड़ा । 'डक कुडगति डंडा-संज्ञा, पु० दे० (हि० दंड) मोटी सी छबै चली" .. वि० । छड़ी, सोंटा, डडवारा।
डकरना-अ० क्रि० दे० (सं० उद्गार) डकार डंडाकरन-डंडकारन -- संज्ञा, पु० दे० यौ० | लेना, खाकर तृप्त होना। " डकरी चमुंडा (सं० दंडकारण्य ) दंडक वन, विन्ध्याचल गोल कुंडा की लड़ाई में "- कालि० । से गोदावरी नदी तक का देश जो पहले ! डकराना- अ. क्रि० (अनु०) भैंसे या बैल उजाड़ जंगल था।
का बड़े ज़ोर से बोलना, डकराना, डकारना। इंडिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० डाँड़ी = रेखा)
डकार-संज्ञा, पु० दे० ( सं० उद्गार ) एक साड़ी, गेहूँ के बालों की सींक । संज्ञा, मनुष्य के भोजन से तृप्त होने पर मुँह से वायु पु० दे० (हि. डाँड़ ) कर वसूल करने
का शब्द । 'शत्रुन सँधार लई चंडिका वाला, डांडिया (ग्रा०)।
डकार है" । मुहा०- डकार न लेना-- डंडी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० डंडा ) पतली किसी का रुपया मार बैठना। उकार छड़ी, बेंट, दस्ता, मुठिया, तराजू के पल्ले
जाना-किसी के धनादि का अपहरण बांधने की लकड़ी, डाँडी, पौधे की पैड़ी, करना, हज़म करना ( उ० )। सिंह की पारसी का छल्ला, झप्पान सवारी पहाड़ों
गरज, दहाड़। पर) दडधारी सन्यासी । द० वि० (सं० दत) | डकारना-अ० क्रि० द० (हि. डकार ) पेट चुगुलख़ोर ।
भर भोजन के पीछे मुख से वायु का शब्द डेडारना-स० कि० दे० ( अनु० ) खोजना,
निकालना, डकार लेना, किसी का धन ढूंदना, तलाश करना।
मार बैठना, पचा डालना, सिंह का दहाड़ना। डंबर-संज्ञा, पु० (सं०) दिखावा, पाखड, डकैत - संज्ञा, पु. द. (हि. डाका+ ऐतश्राडम्बर, विस्तार, शामियाना, चंदोवा ।।
प्रत्य० ) डाका डालने वाला, लुटेरा, डाकू। " अम्बर-डंबर सांझ के, ज्यों बालू की
" मन बनजारा लादि चला धन काल डकैता भीत'-० । यो०-भंघ-डंबर- घेरी"-स्फु०। दलबादल, शामियाना । अम्बर-डंबर .
डकैती-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० डकैत) लूट शाम के प्राकाश की लाली।
या डाका मारने का काम, छापा । वस्था -संज्ञा, पु० द० ( सं० डमरु ) डकौतिया-संज्ञा, पु० दे० (हि० डाका+ गठिया, बात।
___ौतिया ) भडुरी, ज्योतिषी के वंशज जो ढुवाँडोल- वि० दे० ( हि• डोलना ) चंचल, दान लेते हैं, डाकू। अथिर, अस्थिर।
डग-संज्ञा, पु० दे० (हि. डॉकना ) पग, डंस-संज्ञा, पु० दे० (सं० दंश ) डाँस वन. फाल, कदम । " डग भई बावन की साँवन
मच्छड़, बिच्छू आदि के डंक चुभाने का की रतियाँ ।" मुहा०-डग देना-भागे स्थान । ' मसक डंस बीते हिम ग्रासा"- को पैर रखकर चलना। डग भरना या रामा।
मारना--तेज़ी से चलना, लम्बे पैर या डंसना-डसना-स० क्रि० दे० (सं० दंशन) कदम बढ़ाना।
साँप आदि विषैले जंतुओं का काटना, डगडगाना-अ० क्रि० द० (अनु०) काँपना, बिच्छू आदि का डंक मारना। " काम इधर-उधर, आगे-पीछे या दाँयें-बाँयें, भुजंग डेंसत जब जाही"--रामा०। हिलना, डगमगाना ।
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