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झकझेलना झंझर-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झज्झर) लपकना, एक बारगी कूद पड़ना, झपना, पानी रखने का मिट्टी का छोटा बरतन। । शर्मिन्दा होना । प्रे० रूप. मँपाना, झंझरा-वि० (अनु०) जिस पदार्थ में | मैंपवाना।
बहुत से छोटे २ छेद हों। स्त्री० मँझरी। फंपरी-संज्ञा, स्त्री० (हि० झाँपना ) पालकी झंझरी-झांझरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. का उहार । मैंझरा ) जिस वस्तु में बहुत से छोटे २ मँपान- संज्ञा, पु० (सं० झंप ) पहाड़ों की छेद हों, झरोखे की जाली। " झमकि सवारी, झप्पान ( प्रान्ती०)। झरोखे झूमि झाँझरी सों झाँकि झूकि'। | मैंपोला-संज्ञा, पु० दे० (हि० झापा + प्रोलाझंझा--संज्ञा, पु० (सं०) बड़ी वेगवान आँधी प्रत्य० ) छोटा टोकरा, झाबा । (स्त्री. या वायु । यौ० झंझावात-झंझावायु ।।
__ अल्पा० ) कँपोली, मैंपोलिया। झंझी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) फूटी हुई कौड़ी।।
कँवाकार--वि० दे० हि० झावला+काला) मँझोड़ना-स० क्रि० दे० (सं० झंझा)
काले रंग का, झाँवरे रंग का झांवर (ग्रा.)। किसी वस्तु को जोर से हिलाना, झकोरना, |
भँवराना-अ० क्रि० दे० (हि. झांवर )
काला २ होना, श्याम पड़ना, कुम्हिलाना। झकझोरना, झटका देना। झंझोरना।
| कँवा-संज्ञा, पु. ७० (सं० झामक ) झाँवाँ । झंडा--संज्ञा, पु० दे० (सं० जयंत ) पताका,
"सकुचति फूल गुलाब के, मँवाँ मँवावत निशान, बैरख, ध्वजा। (स्त्री० अल्पा०
पाय"-वि०। झंडी। “ झंडा ऊँचा रहे हमारा"
मँवाना-अ० कि० (सं० झामक) कुछ कुछ - स्फु० । मुहा० -झंडा ऊँचा होना
| या थोड़ा २ काला होना, मुरझाना, झाँवे प्रताप या आतंक फैलना, विजय होना।
से पैर भादि को रगड़ना-रगड़ाना । मुहा०-झंडा खड़ा करना-लोगों को
| फँसना-स० क्रि० दे० ( अनु० ) तलवे या इकट्ठा करना, लड़ने की तैयारी करना,
सिर में धीरे २ तेल मलना, धोखा देकर धन आधिपत्य जमाना | झंडा गिरना या
आदि हर लेना । संज्ञा, पु० (दे०) झांसा। झुकना-पराजय या दुखद बात होना । झंडा गाड़ना या फहराना-अधिकार
झ -- संज्ञा, पु० (सं०) तेज़ हवा, पाँधी,
वृहस्पति, शब्द । था विजय की सूचना देना, अधिकार
झाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० छाया) झाँई । जमाना।
झउपा-संज्ञा, पु० (हि. झाँपना) झाबा, मँडला-वि० दे० (हि. मंड+ऊला
झौवा, टोकरा। प्रत्य०) बिना मुंडन का लड़का, जिस पेड़ में
झक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) धुनि, सनक, घने पत्ते हों, घने बालों वाला।
अफ़सोस झक (ग्रा.)। वि० स्वच्छ । यौ० झंप-संज्ञा, पु० (सं०) छलाँग. उछाल ढका, | भकाभक । वि० भकी (दे०)। छिपा । वि० झपित । मुहा०-झंप देना झकझक-संज्ञा, स्त्री० (अनु०) नाहक -उछलना, कूदना, घोड़ों का गहना। झगड़ा, व्यर्थ लड़ाई. बकबक । " जलद पटल झपित तऊ"-०। झकझका--वि० दे० (अनु० ) साफ़, चमफँपन-वि० दे० (सं०) ढक्कन । “सब को कता हुआ।
झंपन होत है, जैसे वन का सूत"-स्फु०। झकझकाहट-संज्ञा, स्त्री० (अनु०) प्रकाश । कँपना-झोपना-म० कि० दे० (सं० झप) झकझेलना-स० क्रि० दे० (हि. झककिसी वस्तु को मूंदना, ढकना, छिपाना, । झोरना) बड़े जोर से हिलाना, झटका देना।
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