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सिद्धान्त ।
अदीयमान
प्रदेस प्रदीयमान-वि० ( संज्ञा ) जो न दिया अष्टपूर्व-वि० (सं० ) जो पहिले न देखा जाये।
गया हो, अद्भुत, विलक्षण, धर्माधर्म की अदीह-वि० (सं० अदीर्घ ) जो दीर्घ या संज्ञा ( नैयायिक ) अदृष्ट धात्मा का बड़ा न हो, छोटा।
| धर्म (वैशेषिक ) बुद्धि-धर्म ( सांख्य-पातंअदीर-वि० ( दे०) सूचम, महीन, छोटा। जलि )। अदद -वि० (सं० अद्वन्द, प्रा० अद्वन्द) अदृष्ट-फल-संज्ञा, पु. ( सं०) पूर्व कृत द्वंद्व रहित, निडु, वाधा-रहित, शांत, | कर्मों के फल, सुख, दुख आदि, अज्ञात निश्चित, बेजोड़, अद्वितीय।
परिणाम । अदुनिय-वि० ( सं० अद्वितीय ) बेजोड़ | अद्दष्टवाद-संज्ञा, पु० (सं०) परलोकादि अद्वितीय ।
परोक्ष बातों का निरूपण करने वाला अदूजा-वि० (सं० अद्वतीय ) (स्त्री. अदुजी हि० अ+ दूजा ) बेजोड़, दूसरा नहीं, 'देव" अदृष्टवादी-संज्ञा, पु० (सं०) अदृष्टवाद अब पाल पूजी तू जी मैं अदजी बसी, दूजी का मानने वाला। तिय भूलें ह न देखत गोपाल हैं "... | अदृष्टार्थ-संज्ञा, पु० (सं०) वह शब्द-प्रमाण देव।
जिसके वाच्य या अर्थ का इस संसार में अदूर-क्रि० वि० (सं० अ+दूर ) पास, |
साक्षात् न हो सके, जैसे स्वर्ग, ईश्वर । समीप, दूर नहीं।
अष्टा -संज्ञा पु० (सं० ) जो देख न सके। अदरदर्शी-वि. (सं० ) जो दूर तक न
अदेख-वि० (सं० अ-हि० देखना ) जो सोचे, स्थूल बुद्धि, अननसोची, जो दूरं
देखा न गया हो, जो न देखा जाय, न देश न हो, ना समझ ।
देखने वाला, छिपा हुआ, अदृश्य, गुप्त,
अदृष्टअदूरदर्शिता-संज्ञा, भा० स्त्री. (सं० ) |
"ऊधौ तुम देखि हू अदेख रहिबो करौ"नासमझी।
रत्नाकर। प्रदूषण-वि० (सं०) निर्दोष, दूषण या प्रदेखो-वि० (हि. अ+देखी ) न देखी दोष रहित, शुद्ध, निष्पाप, दे० अदूरखन। गई जो न देख सके, डाही, द्वेषी, ईर्षालु प्रदूषित्त-वि. ( सं० ) निर्दोष, शुद्ध, बहु० व० अदेखे अदेखो, (ब्र०)। स्वच्छ, दे०-अदूखित ।
अदेय-वि० (सं० ) न देने के योग्य, जिसे अदृश्य-वि० (सं० ) जो दिखाई न दे, न दे सके, " अदेयमासीत् त्रयमेव भूपतेः" अलख, इन्द्रियों से जिसका ज्ञान न हो सके, __-रघु० । किसी का न्यास या धरोहर । अगोचर, लुप्त, ग़ायब, अलक्षित । अदेयदान-संज्ञा, पु० (सं० ) अयोग्य पात्र अदृष्ट-वि० (सं० ) न देखा हुआ, अन्त- को दिया गया दान, अपात्र को दान ।
नि, लुप्त, अगोचर, अलन, संज्ञा पु० (सं०) “तुम कहँ कछु अदेय जग नाहीं"-- रा. भाग्य, किस्मत, अग्नि और जल श्रादि से | अदेव-संज्ञा, पु. (सं० ) असुर, राक्षस, उत्पन्न होने वाली आपत्ति, दुर्भाग्य, प्रकृति- दैत्य । स्त्री० अदेवी----आसुरी, राक्षसी। जन्य उत्पात ।
प्रदेस* ---संज्ञा, पु. ( सं० आदेश ) आज्ञा, अदृष्टपुरुष-संज्ञा, पु० (सं० ) किसी कार्य प्रादेश, प्रणाम, दंडवत ( साधु ) में स्वयंमेव कूद पड़ने वाला, बिना बनाये। "ौ महेस कहँ करौं अदेसू"-५० बनने वाला।
संज्ञा, पु० अँदेस-अंदेशा, आशंका, संज्ञा,
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