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जंतर
जंतर- संज्ञा पु० दे० (सं० यंत्र) कल, श्रौज़ार, यंत्र, तांत्रिक यंत्र, चौकोर या लंबी तावीज़ जिसमें यंत्र या कोई टोटके की वस्तु रहती हैं, गले का एक गहना, कटुला । जंतर-मंतर - संज्ञा ५० यौ० दे० ( हि० यंत्र + मंत्र ) यंत्र-मंत्र, टोना-टोटका, जादूटोना मान मंदिर जहाँ ज्योतिषी नक्षत्रों की गति श्रादि का निरीक्षण करते हैं, श्राकाशलोचन, वेधशाला।
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जंतरी - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० यंत्र ) तार बढ़ाने का छोटा जाँता (सुनार) पत्रा, , तिथिपत्र, जादूगर, भानमती, बाजा बजाने वाला। जंतसार -- संज्ञा स्त्री० यौ० दे० (सं० यंत्र + शाला ) जाँता गाड़ने का स्थान, कलघर, जाँताघर |
जंता - संज्ञा पु० दे० (सं० यंत्र ) यंत्र, कल, तार खींचने का श्रौज़ार । स्त्री० जंती, जंतरी वि० (सं० यंत्र-यंता ) दंड देने या शासन करने वाला ।
जंती - संज्ञा स्त्री० ( हि० जंता ) छोटा जाँत, जँतरी । + - संज्ञा स्त्री० (हिं० जनना) माता | जंतु -- संज्ञा पु० (सं० ) जीव, प्राणी, जानवर
" जीव-जंतु जे गगन उड़ाहीं " - रामा० । यौ० - जीवजंतु - प्राणी, जानवर । जंतुघ्न - वि० (सं० ) जंतुनाशक, कृमिघ्न । जंत्र - संज्ञा पु० दे० (सं० यंत्र) कल, प्रज्ञार, तांत्रिक यंत्र, ताल |
जंत्रना – स० क्रि० दे० ( हि० जंत्र ) ताले के भीतर बंद करना, जकड़ना । संज्ञा स्त्री० (दे० ) यंत्रणा ।
जंत्र-मंत्र – संज्ञा पु० ( दे० ) जंतर-मंतर, यंत्रमंत्र | " तंत्र मंत्र टोना यादि झूठ ही लखात
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शाज रघु० । जंत्रित - वि० दे० (सं० यंत्रित ) यंत्रित, बंद, बँध 'हुआ 1
जंत्री - संज्ञा पु० दे० (सं० यंत्र ) बाजा, तिथिपत्र, जंतरी ।
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भान
जंद - संज्ञा पु० दे० ( फा० जंद ) फ़ारस का त्यंत प्राचीन धर्म-ग्रंथ, उसकी भाषा । जंदरा - संज्ञा ५० दे० (सं० यंत्र ) यंत्र, कल, जाँता, ताला ।
जंपना - स० क्रि० दे० (सं० जल्पन ) बोलना, कहना । 'यौं कवि भूषण जंपत है" जंबीर --- संज्ञा पु० (सं० ) जंबीरी नीबू मरवा, बन-तुलसी ।
जंबीरी नीबू - संज्ञा, पु० यौ० (सं० जंबीर ) एक खट्टा नीबू, जिसमें सुई चुभाने से गल जाती है, जँभीरी नीबू ।
जंबु - संज्ञा पु० (सं० ) जामुन ( फल ) | जंबुक संज्ञा पु० (सं०) बड़ा जामुन, फलंदा ( प्रान्ती० ) फरेंदा, केवड़ा, शृगाल, स्योर ।
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' जूथ जंबुकन ते कहूँ - वृं० जंबुद्वीप - संज्ञा पु० यौ० (सं० ) सात द्वीपों में से एक जिसमें भारत है ( पुरा० ) । जंबुमत् - संज्ञा पु० ( दे० ) जांबवान् । जंबू - संज्ञा पु० (सं० ) जामुन, कश्मीर का एक प्रसिद्ध नगर ।
तुप
जंबूर - संज्ञा पु० ( फा० ) जंबूरा, जमुरका, तोप की चरख. पुरानी छोटी तोप जो प्रायः ऊँटों पर लादी जाती थी, जंबूरक। जंबूरक- संज्ञा स्त्री० ( फ़ा० ) छोटी तोप, तोप का चर्ख, भँवर, कली । जंबूरची - संज्ञा पु० ( फा० ) तोपची, कची, वर्कन्दाज़ सिपाही । जंबूरा - संज्ञा पु० (फ़ा० जंबूर + भौंरा ) तोप चढ़ाने का चर्ख, भँवर - कड़ी, भँवर - कली, सुनारों का बारीक काम का एक औज़ार । जंभ - संज्ञा पु० (सं०) दाद, चौभड़ ( प्रान्ती० ) जेबड़ा, एक दैत्य, जँबीरी नीबू, जंभाई । जंभाई - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० जंभा ) निद्रा या आलस्य से मुँह के खुलने की एक स्वाभाविक क्रिया, जमुहाई (ग्रा० ) उवासी । जँभाना - प्र० क्रि० दे० (सं० जृंभण ) जँभाई लेना, जमुहाना जम्हाना ! ( ग्रा० )
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