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चंटुआ
चेपली चेटुआ-संज्ञा, पु० दे० (हि. चिड़िया) “तब ना चेता केवला जब ढिग लागी चिड़िया का बच्चा।
बेर"-स्फु०। चे-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु०) चिल्लाहट, चेतावनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. चेतना) असन्तोष की पुकार, बकबक ।। किसी को होशियार करने के लिये कही चेकितान-संज्ञा, पु० (सं०) महादेव, गई बात, सतर्क होने की सूचना । एक प्राचीन राजा । " सृष्टकेतुश्चेकितानः | चेतिका*-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० चिति) काशिराजश्च वीर्यवान् "-गीता। मुरदा जलाने की चिता, सरा। चेचक संज्ञा, स्त्री० (फा०) शीतला रोग। चेदि-संज्ञा, पु० (सं०) एक प्राचीन देश, इस चेचकरू-संझा, पु० (फा०) शीतला के देश का राजा. इस देश का निवासी, चंदेरी। दाग़ वाला।
चेदिराज-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिशुपाल । नेट-संज्ञा, पु० (सं०) (स्त्री० चेटी या चेटिका) | चेना--संज्ञा, पु० दे० (सं० चणक ) कँगनी दास, नौकर , पति, स्वामी, नायक और
या साँवा की जाति का एक मोटा अन्न, नायिका को मिलाने वाला मैं डुवा, भाँड़। चेटक-संज्ञा, पु. (सं०) सेवक, दास, चेप-संज्ञा, पु० ( चिपचिप से अनु० ) कोई चटक-मटक, दूत, जादू या इन्द्रजाल की गाढ़ा चिपचिपा या लसदार रस, चिड़ियों विद्या । स्त्री० चेटकनी । स्त्री० चेटको।। __के फंसाने का लासा। चेटकी-संज्ञा, पु० (सं०) इन्द्रजाली, जादू चेपदार-वि० ( हि० चेप+दार फा०) गर, कौतुकी। संज्ञा, स्त्री० चेटक की स्त्री।
जिसमें चेप या लस हो, चिपचिपा । चेटी-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) दासी, चेटिका।।
।। चेर-चेरा -संज्ञा, पु० दे० (सं० चेटक ) चेड़क-चेड़ा-संज्ञा, पु० (दे०) दास, चेला।
नौकर, सेवक, चेला, शिष्य । (स्त्री० चेरी) चेत-अव्य० (सं०) यदि, अगर, शायद, | चेराई -संज्ञा, स्त्री. (हि. चेरा-+-ई ) कदाचित् ।
दासत्व, सेवा, नौकरी। चेत--संज्ञा, पु० (सं० चेतस् ) चित्त की
चेरी (चेरि )*-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) वृत्ति, चेतना। संज्ञा, होश, ज्ञान, बोध, सावधानी, चौकसी, स्मरण, सुधि । “उग्यौ
दासी । “चेरी छाँड़ि कि होउब रानी"
"चेरि केकई केरि"--रामा० । सरद राका ससी, करति न क्यों चित चेत"-वि० । विलो० अचेत।
चेल-संज्ञा, पु० (सं० ) कपड़ा, वस्त्र ।। चेतन-वि० (सं०) जिसमें चेतना हो।
चेलकाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. चेला ) संज्ञा, पु. प्रात्मा, जीव, मनुष्य, प्राणी,
चेलहाई। जीवधारी, परमेश्वर।
चेलहाई-संज्ञा, स्त्री० (हि० चेला + हाई चेतनता-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) चेतन का प्रत्य० ) चेलों का समूह, शिष्य वर्ग। धर्म, चैतन्यता, ज्ञानता।
चेला- संज्ञा, पु० दे० ( सं० चेटक ) धार्मिक चेतना-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) बुद्धि, मनो- उपदेश लेने वाला शिष्य, शिक्षा-दीक्षा
वृत्ति (ज्ञानात्मक ) स्मृति, सुधि, चेतनता, प्राप्त, शागिर्द, विद्यार्थी । स्त्री० चेलिन, संज्ञा, होश । अ० कि० दे० (हि० चेत+ चेली । “आपु कहैं तिनके गुरु हैं किधौं ना प्रत्य०) संज्ञा में होना, होश में आना, चेला हैं'–० श०। सावधान या चौकस होना । क्रि० स० चेवली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) रेशमी वस्त्र विचरना, समझना।
विशेष, चेली का बना वस्त्र ।
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