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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चूमना चंचे चूमना-स० क्रि० दे० (सं० चुंबन ) होंठों सिरा जो किसी दूसरी लकड़ी के छेद में उसे से (किसी दूसरे के) गाल आदि अंगों | जोड़ने के लिये ठोंका जाय, खाट का चूल । या किसी पदार्थ का स्पर्श करना या दबाना | चूलिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नाटक में चुम्मा या बोसा लेना, प्यार करना । यौ० नेपथ्य से किसी घटना की सूचना । चूमना-चाटना। चूल्हा---संज्ञा, पु० दे० (सं० चूल्लि) मिट्टी, चमा--संज्ञा पु० दे० (सं० चुंवन हि० चूमना), लोहे आदि का वह पात्र जिसमें नीचे भाग चूमने की क्रिया का भाव, चुंबन, चुम्मा। जला कर भोजन पकाया जाता है। यौ० चूमाचाटी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० चूमना चूल्हा-न्यौता-सब घर का निमन्त्रण । +चाटना) चूमचाट कर प्रेम दिखाने की मुहा०-चूल्हा जलना-भोजन बनना । एक क्रिया। चूल्हा फूकना-भोजन पकाना। चूल्हे चूर-संज्ञा, पु० दे० (सं० चूर्ण) किसी | में जाना या पड़ना-नष्ट-भ्रष्ट होना। पदार्थ के बहुत छोटे या महीन टुकड़े चूषण-संज्ञा, पु० ( सं० ) चूसने की क्रिया । जो उसे तोड़ने, कूटने आदि से हों, बुकनी। वि० चूषणीय । चूरा (दे०)। वि० तन्मय, निमग्न, चूष्य- वि० (सं०) चूसने के योग्य । तल्लीन, मद-विह्वल । यो०-चिन्ताचूर । | चूसना-स० क्रि० दे० (सं० चूषण ) जीभ नशे में बहुत मस्त। और होंठ के संयोग से किसी पदार्थ का चूरन-संज्ञा, पु० (दे० ) चूर्ण । "श्रमिय- रस पीना, सार भाग ले लेना, धीरे २ मूर मय चूरन चारू"- रामा०। शक्ति या धन आदि लेना। चूरना -स० कि० दे० (सं० चूर्णन) चूहड़ा--संज्ञा, पु० दे० (?) भंगी या चूर चूर या टुकड़े टुकड़े करना, तोड़ना, | मेहतर, चण्डाल, श्वपच, चहर (ग्रा.)। पीसना । स्त्री० चूहड़ी। चूरमा-संज्ञा, पु० दे० (सं० चूर्ण) रोटी चूहा-संज्ञा, पु० दे० (अनु० ~ +हाया पूरी के चूर और धी-चीनी से बना खाद्य प्रत्य० स्त्री. अल्प० वुहिया ), चूही श्रादि पदार्थ । एक छोटा जंतु जो प्रायः घरों या खेतों में चूरा--संज्ञा पु० दे० (सं० चूर्ण) चूर्ण, बिल बना कर रहता और अन्न आदि खाता बुरादा, चूर । चूर्ण-संज्ञा पु० ( सं० ) सूखा पिसा हुआ है। मूसा, मूस (दे०)। अथवा बहुत ही छोटे छोटे टुकड़ों में किया | चूहादन्ती-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० चूहा + हुआ पदार्थ, बुरादा, सफूफ, बुकनी, पाचक दांत ) स्त्रियों की एक पहुंची। औषधों का बारीक चूरन, तोड़ा-फोड़ा या | चूहादान-संज्ञा, पु. (हि० चूहा+फा० नष्ट-भ्रष्ट किया हुना। दान ) चूहों के फंसाने का पिजड़ा। स्त्री० चूर्णक- संज्ञा पु० (सं०) सत्त, सतुश्रा (दे०)। चूहेदानी। छोटे २ शब्दों से युक्त तथा लंबी समासों | चें-संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) चिड़ियों के बोलने से रहित गद्य-रचना, धान । का शब्द, चे, ची ची।चूर्णा--संज्ञा स्त्री० (सं० ) आर्या छंद का चंच-संज्ञा, पु० दे० (सं० चंचु०) एक देसवाँ भेद। प्रकार का शाक। चूर्णित-वि० (सं० ) चूर्ण किया हुआ। चंचें- संज्ञा, स्त्री. ( अनु०) चिड़ियों या चूल-संज्ञा, पु० (सं०) शिखा, बाल । संज्ञा उनके बच्चों का शब्द, चींची, व्यर्थ का स्त्री० ( दे.) किसी लकड़ी का वह पतला । बकना, बकवाद । भा० श. को०-१५ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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