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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चिहुँटी चिहुँटी - संज्ञा, स्त्री० ( ? ) चुटकी, चिकोटी । चिर - संज्ञा, पु० (सं० चिकुर ) शिर के बाल, केश | संज्ञा, स्त्री० चिहुरी- चिभुरी चाभ, डाढ़ । ६६५ चिन्ह -- संज्ञा, पु० (सं० ) वह लक्षण जिससे किसी वस्तु की पहचान हो, निशान, पताका, मंडी, दाग, धब्बा । वि० चिन्हित | चीं चींचीं -संज्ञा स्त्री० ( अनु० ) पक्षियों अथवा छोटे बच्चों का बहुत महीन शब्द । च पड़-संज्ञा, स्त्री० अनु० ) विरोध में कुछ बोलना । चीं चींटा - संज्ञा, पु० ( दे० ) चिउँटा । स्त्री० चींटी । चीक ( चीख ) - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चीत्कार ) बहुत ज़ोर से चिल्लाने का शब्द, चिल्लाहट | चीकट - संज्ञा, पु० दे० ( हि० कीचड़ ) तेल का मैल, तलछट, लसार मिट्टी। संज्ञा, पु० (दे० ) चिकट नामक पहाड़ । वि० बहुत मैला या गंदा । चीकन - वि० (दे० ) चिकना, फिसलन, चिकन (ग्रा० ) । चीकना (दे० ) । चीकना-चीखना --म० क्रि० (सं० चीत्कार) ज़ोर से चिल्लाना, बहुत जोर से बोलना । चीखना -- स० क्रि० दे० (सं० चपण ) स्वाद जानने के लिये थोड़ी मात्रा में खाना, शोर करना | संज्ञा स्त्री० चीख । चीख-चीखल - सं० पु० ( दे० ) कीचड़ । चीखुर - संज्ञा पु० (दे० ) गिलहरी, कठबिल्ली, चूहा, मूसा चीज़ - संज्ञा स्त्री० ( फा० ) सत्तात्मक वस्तु, पदार्थ, द्रव्य, आभूषण, गहना, गाने की चीज़, गीत, विलक्षण या महत्व की वस्तु । चीठ संज्ञा स्त्री० ( दे० ) मैल, कीचड़ | कि ं गूदरी चीठ ।” – कबीर । चीठा - संज्ञा पु० (दे० ) चिट्ठा | संज्ञा स्त्री० चीठी-चिट्ठी । "राम लखन की करवर चीठी" - रामा० । C भा० श० को० ०-८४ चीना चीड़-चीढ़ - संज्ञा पु० दे० (सं० चीड़ा ) एक ऊँचा पेड़ जिसके गोंद से गंधा-पिरोजा र ताड़पीन का तेल निकलता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " चीत - संज्ञा पु० दे० (सं० चित्रा ) चित्रा नक्षत्र | "हाथी चीत नखत के घाम थाहा । चित्त, चितावर, चीता । चीतना - सं० क्रि० दे० (सं० चेत ) ( वि० चीता ) सोचना, विचारना, चैतन्य होना, स्मरण करना, चेतना । स० कि० (सं० चित्र ) चित्रित करना या बेलबूटे बनाना । "श्रापुन चीती होय नहि" । चीतल - संज्ञा पु० दे० ( हि० चित्ती ) एक सफ़ेद चित्तीदार हिरन, चीता, अजगर की जाति का एक चित्तीदार साँप । चोता - संज्ञा पु० दे० (सं० चित्रक ) बाघ की जाति का एक हिंसक पशु, एक पेड़ जिसकी छाल और जड़ औषध के काम आती है । चितावर (दे० ) । संज्ञा पु० (सं० चित्त) चित्त, हृदय, होश | संज्ञा वि० ( हि० चेतना ) सोचा या विचारा हुआ । "मन का चीता कठिन है प्रभु चीता ततकाल"चीत्कार -- संज्ञा पु० (सं० ) चिल्लाहट, हल्ला, शोर, गुल चीख़ ! । चीथड़ा - चीथरा - संज्ञा पु० (दे०) चिथड़ा | चीथना - स० क्रि० दे० ( सं० चीर्ण ) चिथेड़ना, बकोटना, फाड़ना, नोचना, खरोचना, टुकड़े करना चीन - संज्ञा पु० (सं० ) झंडी, पताका, सीसा धातु, तागा, सूत, एक रेशमी कपड़ा, एक हिरन, एक साँवाँ, चेना, एक देश । चीनना - स० क्रि० (दे०) चीन्हना । " जामें तव रुचि चीनी " - ललित० । चीनांशुक - संज्ञा पु० (सं० ) चीन देश का रेशमी कपड़ा या लाल बनात । - चीना - संज्ञा पु० दे० (हि० चीन ) चीन देशवाली, एक साँवाँ, चना, चीनी कपूर । वि० चीन देश का । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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