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चकली-चकरी
चक्का काठ का गोल पाटा, चौका, चक्की, इलाका, | चकुला*-संज्ञा, पु० (दे०) चिड़िया जिला, व्यभिचारिणी स्त्रियों का अड्डा। का बच्चा, चेटुवा ।। वि० स्त्री० चकली वि० चौड़ा। | चकृत -वि० (दे० ) चकित । चकली-चकरी-संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० चकरा- वि० (दे०) बड़ी आँख वाला। चक्रहि चक्र ) घिरनी, गड़ारी, छोटा चकला, । चकोटना-स० कि० दे० (हि. चिकोटो) होरसा (प्रान्ती०)।
चुटकी से मांस नोचना, चुटकी काटना । चकलेदार-संज्ञा पु० (दे० ) किसी प्रदेश | चकोतरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० चन = का शासक या कर-संग्रह करने वाला।
गोला) एक प्रकार का बड़ा नींबू, चकोत्रा। चकवड़-संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र मर्द )
चकोर - संज्ञा पु० (सं०) एक बड़ापहाड़ी एक बरसाती पौधा, पमार, पवार । (ग्रा०)
तीतर जो चन्द्रमा का प्रेमी और अंगार चकोंडा।
खाने वाला प्रसिद्ध है । स्त्री० चकोरी चकवा - संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र वाक).
• ज्यौं चकोर ससि जोर तें, लीलै विषएक जल-पक्षी जिसके विषय में प्रवाद है कि
अंगार'"-वृन्द । “ देखहिं विधु चकोररात्रि को जोड़े से अलग पड़ जाता है, सुर.
समुदाई"- रामा०॥ खाब, चकवाह (ग्रा० ) स्त्री. चकवी ।
चकौंड-संज्ञा, पु० (दे०) एक बरसाती चकवाना*-4. क्रि० (दे०) चकपकाना।
पौधा जिसकी पत्तियों का रस दाद रोग का चकहा /*--संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र )
नाशक है, चकौंडा, चकौदा, चकउँड़ पहिया। चका -संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र) पहिया,
(ग्रा०)। चाका, चक्का, चाक, चकवा पक्षी।
चक-संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र ) चक्रवाक,
चकवा, चक्र, कुम्हार का चाक, चक्की, चकाचक-वि० (अनु०) सराबोर, लथ
पहिया। पथ । क्रि० वि० खूब, भरपूर ।
चक्कर- संहा, पु० दे० (सं० चक्र) पहिये के चकाचौंध-संज्ञा, स्त्रो० (सं० चक्र =
श्राकार की कोई (विशेषतः) घूमने वाली चमकना+चौं = चारों ओर--- अंध ) अत्यन्त
बड़ी गोल चीज़, मंडलाकार पटल या गति, अधिक चमक के सामने आँखों की झपक,
चाक, गोल घेरा, मंडल, परिक्रमण, फेरा, तिलमिलाहट, तिलमिली, चकचौह
पहिये सा भ्रमण, अक्ष पर घूमना । वि. चकचौंध (ग्रा०)।
चकरदार । मुहा०-चक्कर काटना चकाना*-अ० क्रि० (दे० ) चकपकाना,
(लगाना)-परिक्रमा करना, मँडराना, चकराना, आश्चर्य में आना।
चक्कर खाना, पहिये के समान घूमना, चकावू-संज्ञा, पु० दे० (सं० चक्र व्यूह)
भटकना, भ्रांत या हैरान होना। चलने एक के पीछे एक कई मंडलाकार पंक्तियों
में अधिक घुमाव या दूरी, फेर, हैरानी, में सैनिकों की स्थिति, व्यूह, भूलभूलैया । असमंजस, पेंच, जटिलता, दुरूहता । मुहा० चकित-वि० (सं० ) चपकाया हुआ, | -(किसी के) चकर में श्राना, पड़ना विस्मित, दंग, हक्का-बक्का, हैरान, घबराया —किसी के धोखे में प्राना, पड़ना । हुमा, चौकन्ना, सशंकित, डरा हुश्रा, कायर, सिर घूमना, घुमरी, घुमटा, पानी का भँवर, पाकुलित । " चितवति चकित चहूँ दिसि सीता"-रामा०।
| चक्का-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चक्र प्रा० चक)
जजाल
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