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गांठगोभी ५७२
गाँसना के सिरे परस्पर बाँधना, गँठजोड़ा करना। उपवेद जिसमें साम-गान के ताल-स्वर (कोई बात) गाँठ में बाँधना-भली भाँति । श्रादि का वर्णन है । गन्धर्व-विद्या, गंधर्वयाद या स्मरण रखना, सदा ध्यान में । वेद, गान-विद्या, संगीत-शास्त्र, आठ प्रकार रखना । गाँठ से (जाना)-पास बना या । के विवाहों में से एक, जिस में वर और पल्ले से जाना । यौ० संज्ञा, पु०-गठकटा कन्या स्वेच्छानुसार प्रेम-पूर्वक मिल कर -गाँठ काटने वाला।
पति पत्निवत् रहने लगते हैं। गाँठगोभी- संज्ञा० स्त्री० यो० (हि० गाँठ+ गांधर्ववेद-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सामगोभी ) गोभी की एक जाति जिसकी जड़ में | वेद का उपवेद, संगीत-शास्त्र । खरबूजे सी गोल गाँठ रहती है।
गांधार-संज्ञा, पु. ( सं० ) सिन्धु नदी के गाँठदार-वि० (हि० गाँठ-+ दार-प्रत्य॰) । पश्चिम का देश, इस देश का निवासी
गठीला, जिसमें बहुत सी गाँठे हों। संगीत के सात स्वरों में से तीसरा स्वर, गांठना-स. क्रि० दे० (सं० प्रथन, या वर्तमान कंधार-प्रदेश । (स्त्री० गांधारी )। गंठन ) गाँठ लगाना, सीना ( जूता ), मुर्रा गांधारी-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) गांधार देश लगा कर या बाँध कर मिलाना, साँटना, फटी | की स्त्री या राज-कन्या, धृतराष्ट्र की स्त्री हुई चीज़ों को टाँकना या उसमें चकती और दुर्योधन की माता । जवासा, गाँजा। लगाना, मरम्मत करना, गूंथना, मिलाना, गांधिक-संज्ञा, पु. (सं०) गन्धसहित जोड़ना, तरतीब देना । मुहा०-मतलब पदार्थ। गांठना-काम निकालना । अपनी ओर | गांधी-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) एक छोटा हरा मिलना, स्वानुकूल करना, स्वपक्ष में करना, कीड़ा. हींग, एक घास । संज्ञा पु०-गंधीगर, गहरी पकड़ पकड़ना, वश में करना, गुजराती वैश्यों की एक जाति । वशीभूत करना, वार को रोकना। गांभीर्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) गहराई. गांडर-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गंडाली) गम्भीरता, स्थिरता, हर्ष, क्रोध, भय, मूंज की सी एक घास, गंडदूर्वा (सं०) आदि मनोवेगों से चंचल न होने का एक गहरा गढ़ा।
गुण, शान्ति का भाव, धीरता, गूढ़ता, गांडा-संज्ञा, पु० दे० (सं० काँड या खंड) गहनता। ( स्त्रो० गेंडी ) किसी पेड़, पौधे या गांव-गांव--संज्ञा, पु० दे० (सं० ग्राम ) डंठल का कटा हुआ छोटा टुकड़ा, जैसे- | वह स्थान जहाँ बहुत से किसानों के घर ईख का गाँड़ा, ईख का कटा हुआ छोटा हों, छोटी बस्ती, खेड़ा । यौ० गवई-गाँव । खंड, गँडेरी, गाँठे लगा हुआ अभिमंत्रित | गांस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि. गाँसना ) सूत की माला, गंडा । यौ० गंडा-ताबीज । रोक-टोक, बन्धन, वैर, द्वेष, ईर्ष्या, हृदय गाँडीव--संज्ञा, पु. (सं० ) अर्जुन का | की गुप्त या भेद की बात, रहस्य, गाँठ,
धनुष । संज्ञा, पु०-गाँडीवधर--अर्जुन । फंदा, गँठनि, या बरछी तीर का फल, गांती-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गाती। वश, अधिकार, शासन, देख-रेख, निगरानी, गांथना-सं० कि० दे० (सं० ग्रंथन ) अड़चन, कठिनाई, संकट ।
गूंथना, मोटी सिलाई करना, गूंधना। गाँसना--सं० क्रि० दे० (हि० ग्रंथन ) गांधर्व-वि० ( सं० ) गन्धर्व सम्बन्धी, परस्पर मिला कर कसना, गूंथना, सालना, गन्धर्व-देशोत्पन्न, गन्धर्व जाति का, एक छेदना, चुभोना, तान में कसना, जिससे अस्त्र-भेद । संज्ञा, पु० (सं० ) सामवेद का बुनावट ठस हो।
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