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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EPANDONTINE N E गहाई ५७१ गांठ गहाईव -संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. गहना ) | स० क्रि० दे० (हिं० गाना का एक वचन गहने का भाव, पकड़, पकड़ा देना। विधि ) गायो। गहा-गडड-वि० (दे०) गहगड्ड, ढेर। गाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गो) गौ, गाय, गहाना-स० क्रि० दे० ( हि० गहना का प्रे० | धेनु । 'सुर. महिसुर, हरि-जन अरु गाई" रूप) धराना, पकड़ाना, देना। -रामा० । स० क्रि० सा. भू० (हि. गहागह-क्रि० वि० दे० (हि.) गहगह। गाना ) गाया का स्त्री० रूप। . गहासना-स० क्रि० दे० (हि. गरासना ) | गाऊँ-संज्ञा, पु० दे० (सं० ग्राम) ग्राम, गाँव, निगल लेना। "ौ चाँदहि पुनि राहु नगर, पुर, पुरवा । स० क्रि० (हि० गाना का गहासा"--प० । संभाव्य० ) गाना करूँ, गान करूँ । गहिरा-गहिरो-वि० दे० (हि. गहरा ) | गांग-वि० (सं०) गंगा सम्बन्धी, गंगा का। गंभीर, अथाह । ( स्त्री. गहिरी)। गांगेय-संज्ञा पु० (सं०) गंगा का पुत्र, भीष्म, गहिला-वि० ( दे० ) गर्व. घमंड । (स्त्री० कार्तिकेय या षडानन, ढल सी मछली, गहिली) "गहिली गवन कीजिये"- वि० । कसेरू। गहीर-वि० ( दे.) गंभीर, गहिरा ।...| गाँज - संज्ञा पु० दे० (फ़ा० गंज) राशि, ढेर । ..." सीतल गहीर छाँह" .. देव०। गाँजना-स० क्रि० दे० (हिं. गांज, फा० गहोला-वि० दे० ( हि० गहेला ) ( स्त्री० , गंज) राशि लगाना, ढेर लगाना। . गहीली) गर्व-युक्त घमंडी, पागल, पकड़ने गाँजा-संज्ञा पु० दे० (सं० गंजा ) भाँग की वाला । " परम गहीली वसुदेव-देवकी की जाति का एक पौधा जिसकी कली का चरस यह"-- उ. श० । "भये अब गर्व गहीले” | बनता है, एक मादक वस्तु । -विनय० । गाँठ -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ग्रन्थि ) ( वि. गहेजुआ-संज्ञा, पु० ( दे० ) छछू दर। गँठीला) गिरह ग्रंथि, रस्सी आदि का जोड़, गहेलरा-वि० (दे० ) पागल, मूर्ख, गँवार । बाँस आदि का जोड़ या गाँठी, गठरी, बोरा, गहेला-वि० दे० (हि. गहना -- पकड़ना । गट्ठा, अंग का जोड़ "ज्यौँ तोरे-जोरे बहुरि, एला-प्रत्य०) हठी, ज़िद्दी अहंकारी, घमंडी, गाँठ परत गुन माहि" वृ०। मुहा०---- मन या हृदय की गाँठ खोलना-दिल मानी, ग़रूरी, पागल, गँवार, अनजान, खोल कर कुछ बात कहना, मन में पड़ी हुई मूर्ख । ( स्त्री० गहेली)। बात का कहना, अपनी भीतरी इच्छा (साध) गहैया-वि० दे० (हि. गहना+ ऐया-प्रत्य०) का प्रगट करना, हौसला निकालना, पकड़ने या ग्रहण करने वाला, अंगीकार लालसा पूरी करना। मन में गाँठ पड़ना --- या स्वीकार करने वाला। पारस्परिक प्रेम में भेद पड़ना, मन-मोटाव गह्वर-संज्ञा, पु. ( सं० ) अंधकारमय कोई होना । मुहा०--गाँठ कतरना या काटना गृढ स्थान भूमि में छोटा छेद, बिल, विषम (मारना)---गाँठ काट कर रुपये आदि स्थल, दुर्भद्य स्थान, गुफा, कंदरा, गुहा, निकाल लेना, जेब कतरना । गाँठ कानिकुञ्ज, लता-गृह, झाड़ी, जङ्गल, वन । वि. पास का, पल्ले का। गाँठ से ( देना ) दुर्गम, विषम, गुप्त । पास से रुपया देना । गाँठ का पूरागा-स० क्रि० (दे० ) (हि० जाना का सा० । धनी, मालदार । लो० " आँख का अंधा भू० गया) गया, चला गया, जाता रहा। गाँठ का पूरा"। गांठ जोड़ना--- "जो तुम अवसि पार गा चहह"--रामा० विवाह आदि के समय स्त्री पुरुष के कपड़ों For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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