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गरजना
गरमाना
गरियाना तप्त, उष्ण, तत्ता । यौ० गरमा-गरम- गरल-संज्ञा, पु. ( सं०) विष, जहर,..... उष्ण, तप्त, तत्ता, तीक्ष्ण, उग्र, खरा । यौ० | "गरल सुधा रिपु करै मिताई"-रामा० । गरमागरमी-परस्पर क्रोध में आना या गरहन-संज्ञा, पु० (दे०) ग्रहण (सं.)। सरोष विवाद करना । मुहा०-मिजाज गराँव--संज्ञा, पु० दे० (हि. गर-गला ) गरम होना-क्रोध आना, पागल होना। चौपायों के गले में बाँधी जाने वाली गरम होना ( पड़ना ) तेज़ पड़ना, दोहरी रस्सी । गेरवाँ (प्रान्ती० )। आवेश में आना, क्रुद्ध होना। (बाज़ार) गरा-संज्ञा, पु. ( दे० ) गला, गरो गरम होना-भाव तेज होना, चहल- (व.)। पहल होना, भीड़ होना। यो०-गरम | गराज - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गर्जन ) कपड़ा - शरीर गरम रखने वाला कपड़ा। गरज, गर्जन। अ० कि० (दे०) गराजनागरम मसाला-धनिया, जीरा, लौंग | इलाइची आदि, उत्तेजक वस्तु या बात । गराड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० गड़ या सं० उत्साह-पूर्ण । गरमा-गरमी-मुस्तैदी, कंडली ) काठ या लोहे का गोला जिसके जोश, क्रोधित होना, कहा-सुनी । यौ०
मध्यस्थ गड्ढे में रस्सी डाल कुयें से पानी गरम खबर ( चर्चा) ज़ोरों की ख़बर खींचते हैं, चरखी । संज्ञा, स्त्री० (सं० गंड = या चर्चा, अति कथित बात ।
चिन्ह ) रगड़ से पड़ी हुई गहरी लकीर, गरमाना-अ. क्रि० (हि. गरम ) गरम |
साँट, गरारी (दे०)। पड़ना, तेज़ पड़ना, उमंग पर आना,
गराना-स० कि० (दे०) गलाना स० मस्ताना, आवेश में आना, क्रोध करना,
क्रि० (हि. गारना ) गारने का काम झल्लाना, कुछ देर दौड़ने या परिश्रम करने
कराना, गारना, निचोड़ना, गाड़ना, काजल पर बदन में गरमी आना, अपने को
का फेंटना, रगड़ना, गरने या राशि करने गरम करना, घोड़े आदि पशुओं का तेज़ी
का काम कराना। पर आना। स० क्रि० (दे०) गरम करना, |
मरारा-वि० दे० (सं० गर्व+पार-प्रत्य० ) तपाना, प्रौटाना।
गर्व-युक्त, प्रचंड, बलवान । संज्ञा, पु० गरमाहट-संज्ञा, स्त्री० (हि. गरम+हट
(म० गरगरा ) कुल्ली, कुल्ला की औषधि । प्रत्य०) गरमी। गरमी-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) उष्णता, ताप,
संज्ञा, पु० (हि० घेरा ) पायजामें को ढीली जलन, तेज़ी, उग्रता, प्रचंडता । वि० गर
मोहरी, बड़ा थैला। मीला-गरम, क्रोधी, गरमी करने वाला।
गरास* -- संज्ञा पु० ( दे० ) ग्रास (सं.)। मुहा०-गरमी निकालना- गर्व दूर गरासना*-क्रि० सं०(दे०) ग्रसना (सं०)। करना । श्रावेश, क्रोध, उमंग, जोश, ग्रीष्म गरिमा-संज्ञा, स्त्री० (सं० गरिमन ) गुरुत्व, ऋतु, कड़ी धूप के दिन, एक रोग, श्रात- बोझा, भारीपन, महिमा, महत्व, गुरता शक, फिरंग रोग । मुहा०-गरमी चढ़ना, गवे, अहंकार, प्रारमश्लाघा, आत्मगौरव या पाना ( दिमाग में )--दिमाग़ पाठ सिद्धियों में से एक जिससे साधक बिगड़ना, क्रोध आना, पागल होना। अपने को यथेष्ट रूप से भारी कर गररा*--संज्ञा, पु० (दे०) गरी दे०)। सकता है। गरराना-अ. क्रि० दे० (अनु०) घोर ! गरियाना-अ० क्रि० दे० (हि. गारी+ ध्वनि करना, गंभीर स्वर से गरजना। माना-प्रत्य०) गाली देना।
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