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ग़रज़मंद
गरम गहिरा और भारी शब्द करना, जैसे बादल ही जगह पर आने वाला, चक्कर लगाने का गरजना, मोती का चटकना, तड़कना, वाला । संज्ञा, पु० (फा० ) शब्दों के रूपफूटना। " घन घमंड नभ गरजहिं घोरा" | साधना, घूम-फिर कर सदा अपने स्थान रामा। वि० गरजनेवाला । संज्ञा० स्त्री०- , पर श्राने वाला कबूतर । गर्जन।
गरदानना-स० क्रि० (फा० गरदान ) शब्दों गरजमंद-वि० (फा० ) ( संज्ञा स्त्री० गरज- के रूपों का सिद्ध करना, श्रावृत्ति कहना, मंदी) गरजी (दे० ) जिसे ज़रूरत हो, उद्धरणी करना, गिनना, समझना, मानना । जिसे आवश्यकता हो, चाहने वाला, गरना अ० क्रि० (दे०) गलना, इच्छुक, स्वार्थी।
पिवलना गड़ना, एक क्रम से ऊपर-नीचे ग़रज़ी-वि० (दे०) गरजमंद । “गरजी | रखकर ढेर लगाना । अ० क्रि० दे० (सं० गरीबन पै गजब गुजारौ ना"।
गरण ) निचुड़ना, निचोड़ना। गरजू-वि० ( दे० ) गरजमंद, गरजी। । गरनाल-संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि. गर+ गरट्ट- संज्ञा, पु. ( सं० ग्रंथ ) समूह, झंड।। नली ) अति चौड़े मुँह वाली तोप, धननाल, गरद-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गर्द, धूल, मिट्टी।। घननाद । गरदन-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) गला. ग्रीवा | गरब*-संज्ञा, पु० दे० (सं० गर्व ) घमंड, ( सं० ) गर्दन । मुहा०-- गरदन | गर्व, हाथी का मद। " गरब करहु रघु उठाना-विरोध करना, विद्रोह करना। नन्दन जनि मन माँह"-तु०।। गरदन काटना-( मारना ) गला काटना, । गरबई-संज्ञा, स्त्री. (दे०) गर्वीलापन, मार डालना, बुराई करना, हानि पहुँ- घमंड, अभिमान । चाना । गरदन उड़ाना-गला काट | गरब-गहेला-वि० दे० (हि. गर्व+गहना) कर मार डालना । गरदनपर-ऊपर, ।
| गर्व धारण करने वाला, गर्वीला, अभिमानी, ज़िम्मे (पाप के लिये), गरदन मारना- | घमंडी। सिर काटना, मार डालना।
गरबना-गरबाना* + --अ० कि० दे० (सं० गरदन में हाथ देना या डालना-- गर्व ) घमंड में श्राना, अभिमान करना। गरदन पकड़ कर निकालना गरदनियाँ गरबाँहीं-- संज्ञा, स्त्री. यौ० (दे०) गलदेना । (दे०) बर्तन आदि का ऊपरी । बाँहीं। “दै गर-बाही जु नाहीं करी वह हिस्सा, पहिनने के कपड़ों के गले । ले| नाँहीं गोपाल को भूलति नाहीं"। में हाथ (बाह) डालन-भेंटना। गरबित-वि. ( दे० ) अभिमान-युक्त, गरदना-संज्ञा, पु० ( हि० गरदन ) मोटी घमंडी।
गरदन, गरदन पर लगने वाली धौल। गरबीला - वि० दे० (सं० गर्व ) (हि. गरब गरदनियाँ ---संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० गरदन + + ईला-प्रत्य०) जिसे गर्व हो, अभिमानी, इयाँ-प्रत्य०) किसी को कहीं से गरदन | घमंडी। पकड़ कर निकालने की क्रिया । बहु० व०- गरम-संज्ञा, पु० (दे०) गर्व (सं०) गर्भ गरदनों।
(सं०)। गरदा-संज्ञा, पु० दे० (फा० गर्द) धूलि, गरभाना-अ. क्रि० दे० ( सं० गर्भ ) मिट्टी, खाक, गर्द ।......" कटि के दरद गर्भिणी होना, गर्भ युक्त होना, धान, गेहूँ को गरद करि डारती"-कुं० वि०। आदि के पौधों में बालों का आना। गरदान-वि० (फा० ) घूम-फिर कर एक गरम-वि० दे० ( फा० गर्म ) जलता हुआ, भा० श० को०-७१
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