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गंधिकारिणी ५४९
गऊ गंधिकारिणी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लाज- अनारी अजान । वि० (हि० गाँव - पार - वंती, लजारू औषधि ।
प्रत्य०) ( स्त्री० गवारी, गँवारिन) वि. गंधिपर्ण -- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सुगंधित | गवारू, गँवारी। पत्तों वाला छतिवन वृक्ष ।
गॅवारी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० गँवार ) गंधी- संज्ञा, पु. ( सं० गंधिन ) ( स्त्री० | देहातीपन, गँवारपन, मूर्खता, बे समझी, गंधिनी ) इत्र फुलेल का बेचने वाला, गँवार स्त्री । वि० (हि० गँवार + ई (प्रत्य॰) अत्तार, गँधिया घास, गँधिया कीड़ा। । गँवार का सा, भद्दा, बदसूरत । यौ० गवारीगधैला-गांधी - वि० (दे० गंध-+ एला- भाषा-- देहाती बोली। प्रत्य० ) बदबूदार
गँवारू वि० (दे० ) "गँवारी "। गँभारी-वि० ( सं० ) एक बड़ा पेड़, गॅस* - संज्ञा, पु० दे० (सं० ग्रंथि ) गाँठ, काश्मरी ।
द्वेष, बैर, मन में चुभने वाली बात, ताना, गंभीर-वि० (सं०) अथाह, नीचा, गहरा, चुटकी, गूंधना, फँसना, गाँस (दे०) घना, गहन, गूढार्थ, जटिल, भारी, घोर, । यौ० गांस-फांस..." जामैं गाँस-फाँस को सौम्य, शांत, गंभीर (दे०)।
बिसाल जाल छायो है।" रसाल । संज्ञा, गंभीर-वेदी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० गंभीर | स्त्री० (सं० कषा ) बाण की नोंक । -+विद् + णिन् ) मस्त हाथी। संज्ञा, स्त्री. गॅसना - क्रि० स० दे० (सं० ग्रंथन ) गंभीरता। पु० भा० गांभीर्य।
अच्छी तरह कसना, जकड़ना, गाँठना, गँव--संज्ञा, स्त्री० (सं० गम्य ) दाँव, घात, गूंधना, बुनावट में सूतों को खूब प्रयोजन, मतलब अवसर । " जिमि गर्दै मिलाना । क्रि० अ० बुनने में सूतों को तकइ लेउँ केहि भाँती"- रामा० । मौका, | अति घना रखना, ठसाठस भरना। उपाय, युक्ति, ढङ्ग।
गॅसीला--वि० (हि. गाँसी ) ( स्त्री० मुहा०-गव से--(दे० गँवही ) युक्ति से, गँसीली ) बाण के समान नोंकदार, ढङ्ग से, मतलब से, धीरे से, चुपके से। पैना, चुभने वाला, द्वेष रखने वाला, "उठेउ गँवहिं जेहि जान न रानी' रामा। फाँसदार। गँवई - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० गाँव ) ( वि० ग--संज्ञा, पु. ( सं०) गीता, गंधर्व, गुरु गँवाइयाँ ) गाँव की बस्ती। .. ... "गँवई | मात्रा, गणेश, गाने वाला, जाने वाला। गाहक कौन"-वि०।
गई करना क्रि० प्र० (हि० गई+करना) गँवर-मसला-संज्ञा, पु० दे० ( हि० गँवार छोड़ देना, क्षमा करना, माफ़ करना,
-अ.-मसल ) गँवारों की कहावत या | तरह देना, जाने देना। '...गई करि जाहु उक्ति।
दई के निहोरे"गवर-दल- संज्ञा, पु० दे० (हि. गँवार+ | गई-बहोर-वि० (हि० गया + बहुरि ) खोई दल सं० ) गवारों का समूह या झंड । गँवार- | हुई वस्तु को फिर से देने वाला, बिगड़े पन । वि० गँवारों का सा, मुर्खता। काम को फिर से बनाने वाला । " गई. गँवाना-क्रि० स० दे० (सं०-गमन ) खो बहोर ग़रीब निवाजू".-. रामा०।देना, खो डालना, ( समय ) बिताना या गऊ- संज्ञा, स्त्री. (सं० गो) गायी, गाय, खोना, पास के धन को निकल जाने देना। गौ, गैय्या (७०) । यौ० - गऊ-ग्रामगँवार-संज्ञा, पु० दे० (सं० ग्रामीण ) गांव भोजन का अग्रिमांश जो गाय को दिया का रहने वाला, देहाती, असभ्य, मूर्ख। जाय, गो ग्रास (सं०)।
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