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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंध ५४८ गंधिका गंध (गंधि )-संज्ञा, स्त्री. (सं० गंध) होते हैं, मृग ( कस्तूरी), घोड़ा, वह महक, वास, सुगंध, अच्छी महक, सुगं- आत्मा जिसने एक शरीर छोड़ कर दूसरा धित द्रव्य जो शरीर में लगाया जाय, ग्रहण किया हो, प्रेत, एक जाति जिसकी लेशमात्र, अणुमात्र, संस्कार, संबंध । कन्याएँ गातीं और वेश्या वृत्ति करती हैं, जैसे- " उसमें सौजन्य की गंध भी विधवा स्त्री का दूसरा पति । नहीं है । " वि० यौ. गंधप्रिय (सं० ) गंधर्व नगर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गाँव गंधग्राही । संज्ञा, पु. यो० (सं०) या नगर आदि का वह मिथ्या आभास गंधवणिक-अत्तार, इत्रफरोश । जो श्राकाश या स्थल में दृष्टि-दोष से दिखगंधक-संज्ञा, स्त्री. (सं.) एक खनिज | लाई पड़ता है, झूठा ज्ञान, भ्रम, चन्द्रमा पदार्थ, जो पीले रंग का होता है और के किनारे का मंडल जो हलकी बदली में आग के छुलाने से शीघ्र जल उठता है, दिखाई पड़ता है, संध्या के समय पश्चिम इसके धुएँ से दम घुटने लगता है। वि० दिशा में रंग-बिरंगे बादलों के बीच में गंधकी। फैली हुई लाली, अंबर-डंबर । गंधकी--वि० (हि. गंधक ) हलका पीला गंधर्ष-विद्या संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) रंग, गंधक के रंग का । गाना, गान-विद्या, संगीत-कला। गंधगर्भ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०.) बेलवृक्ष । गंधर्व-विवाह-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) गंधद्विप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) उत्तम पाठ भाँति के विवाहों में से एक, वह हाथी। सम्बंध जो वर और कन्या अपने मन से गंधद्रव्य-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) चन्दन, फूल प्रादि ( पूजा में )। गंधपत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सफ़ेद गंधर्व-वेद-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) चार उपवेदों में से ( सामवेद का ) एक उपवेद, तुलसी, नारंगी, मरुवा, बेल ।। गंधबिलाव-संज्ञा, पु. यौ० (हि० गंध+ सङ्गीत-शास्त्र। बिलाव ) नेवले की भाँति का एक जंतु गँधाना–स० कि० दे० (हि० गंध ) बुरी जिसकी गिलटी से सुगंधित चेप निक महक, बदबू देना, बदबू करना, बसाना, लता है। दुर्गंध करना। गंधमार्जार-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) गंध- गंधाबिरोजा--संज्ञा, पु. ( हि० गंध+ बिलाव। बिरोजा ) चीड़ नामक पेड़ का गोंद, गंधमादन-संज्ञा, पु. ( सं०) एक विण्यात " चन्द्रस।" पहाड़, भौंरा, वानर, सेनापति । गंधार-संज्ञा, पु० (दे० ) गांधार (सं०) गंधवह-संज्ञा, पु० (सं० ) पवन, नासिका, कंधार, सात स्वरों में से तीसरा स्वर । कस्तूरी मृग । गंधारी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कंधार के गंधसार-संज्ञा, पु० (सं० ) चन्दन । राजा की पुत्री, दुर्योधन की माता, जवाँसा, गंधरब-संज्ञा, पु० दे० (सं० गंधर्व ) एक गाँजा। देव-जाति । गंधाश्मा-संज्ञा, पु. ( सं० ) गंधक, गंधर्व-संज्ञा, पु० (सं०) (सं० स्त्री० उपधातु । गंधर्वी) (हि. स्त्री. गंधर्विन ) देव-भेद, गंधिका-संज्ञा, स्त्री. ( सं०) पाहूबेर, एक प्रकार के देवता, ये गाने में बड़े निपुण | गन्धक । कर लें। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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