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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .खुरीट ५३६ खूटना .खुरीट-वि० (दे० ) बुड्ढा, अनुभवी, खुशबू---संज्ञा, स्त्री० [फा० ) सुगंधि, चालाक, चाई। सौरभ । वि० खुशबूदार-सौरभीला । खुलना-अ० कि० दे० (सं० खुड, खुल = खुशमिजाज--वि० ( फा०) प्रसन्न चित्त । मदन ) अवराध या बद न रहना, आवरण खुशहाल-वि० (फा०) सुखी, सम्पन्न । का दूर होना, छाये या घेरे हुई वस्तु का खुशामद-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) चापलूसी, हटना, दरार होना, फटना या छेद होना, प्रसन्नतार्थ झूठी प्रशंसा । बाँधने या जोड़ने वाली वस्तु का हटना, । खुशामदी-वि० ( फा० खुशामद +ईजारी होना, रेल, सड़क, नहर आदि का प्रत्य० ) खुशामद करने वाला, चापलूस । तैय्यार होना, कार्यालय, दफ़्तर, दूकान खुशामदी टट्ट-संज्ञा, पु० यौ० (फा० आदि का कार्य चलने लगना, सवारी का +हि० ) खुशामद करने वाला निकम्मा । रवाना हो जाना, गुप्त या गूढ़ बात का खुशी-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) आनन्द, प्रगट होना, भेद ( मन की बात) बताना, प्रसन्नता। सजना, शोभा देना। खुश्क- वि० ( फा० मि० सं० शुष्क) सूखा, मुहा०-खुलकर-बिना रुकावट के, | रूखे स्वभाव का, नीरस, केवल, मात्र, बिना बिना सङ्कोच के, बिना डर । खुले आम, बाहिरी आमदनी के। खुले खजाने, खुले मैदान-सब के | .खुश्की-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) शुष्कता, सामने, छिपाकर नहीं। खुलता रंग- नीरसता, स्थल, रुखाई। हलका, सोहावना रंग। खुसाल-खुस्याल 8--वि० दे० ( फा० खलवाना–स० कि० (हिं. खोलना का खुशहाल ) आनन्दित. खश । स्त्री. संज्ञा. प्रे० ) दूसरे से खोलाना। खुस्याली । “ खूनी फिरत खुस्याल " खुला-वि. पु. ( हि० खुलना ) बंधन- | -वि०। रहित, बिना रुकावट, स्पष्ट, जाहिर, प्रगट । खुसिया-संज्ञा, पु. ( अ० ) अंडकोश । खुलासा-संज्ञा, पु. ( अ० ) सारांश । खुसुर-खुसुर-संज्ञा, पु० दे० ( अनु० ) वि० (हि. खुलना) खुला हुआ, स्पष्ट, धीरे धीरे बातें करना। अवरोध-हीन, क्रि० वि०-स्पष्ट रूप से। खुही-संज्ञा, स्त्री० (दे०) वर्षा से बचने खुल्लमखुल्ला-क्रि० वि० (हि० खुलना) को कम्बल या कपड़े की लपेट । प्रकाश्य रूप से, खुले प्राम। खू खार-वि० (फा० ) खून पीने वाला, खुधारी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा० रुवारी) ख़राबी, । भयंकर, क्रूर, निर्दय । संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) अपमान, बरबादी। खू खारी--क्रूरता, भयङ्करता। खुश-वि० ( फा० ) प्रसन्न, आनन्दित, खंच-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) जानु की नाड़ी। अच्छा ( यौगिक में)। खट-संज्ञा, पु० दे० (सं. खंड ) छोर, खुशकिस्मत--वि० (फा० ) भाग्यवान् । कोना, भोर, भाग । संज्ञा, स्त्री० (हि० खोट) खुशखबरी-संज्ञा, स्त्री. (फा०) सुखद कान का मैल। समाचार, अच्छी खबर। | खूटना*-अ० कि० दे० (सं० खंडन ) खुशदिल-वि० (फा० ) सदा प्रसन्न रहने । रुकना, बंद या समाप्त होना, टूटना, घट वाला, हँसोड़। जाना । स० कि० छेड़-छाड़ या पूछताछ खुशनसीब-वि० (फा० ) भाग्यवान् । । करना, रोकना, टोंकना, तोड़ना । खूटना, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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