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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खीर खुटपन, खुरपना खीर--- संज्ञा स्त्री० दे० (सं० क्षीर ) दूध में | खुयार* -वि० (दे०) ख्वार ( फा०)। पकाया चावल । मुहा० --नीर चटाना- स्त्री० संज्ञा-खुवारी- बरबादी। बालक को अन्न-प्राशन में श्रन्न ( खीर ) खुव—वि० दे० (सं० शुष्क या तुच्छ ) खिलाना संज्ञा पु० (दे०) दूध। क्षीर | Vछा, ख़ाली।। (सं.)। | खुखड़ी-सुखरी-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) तकुए खीरा--संज्ञा, पु० दे० (सं० क्षीरक) ककड़ी पर चढ़ाकर लपेटा हुआ सूत या ऊन, कुकड़ी की जाति का एक फल । (दे०), नैपाली छुरी। खीरी ---- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तीर ) बाख, | खुगीर--- संज्ञा, पु० (फा०) नमदा, चारजामे गाय-भैंस प्रादि का प्रायन (दूध का स्थान, के नीचे का वस्त्र, जीन । मुहा०-खुगीर या थन का ऊपरी मांस), पिस्ता (मेवा) या की भरती-अति अनावश्यक लोगों या गाय । संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्षीरी) खिरनी।। वस्तुओं का संग्रह । खील-संज्ञा स्त्री० (हि. खिलना ) भूना | खुचर-खुचुर--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुचर) धान, लावा । संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) कील, ऐबजोई, व्यर्थ या झूठ दोष दिखाने का काम । फुड़िया में मवाद की गाँठ ।। खुजलाना-स० नि० दे० (सं खर्जु) नखादि खीला- संज्ञा, पु० दे० (हि. कील ) काँटा, से खुजली मिटाना. सहलाना। अ० क्रि० मेख, कील, खील । किसी अंग में सुरसुरी या खुजली लगना । खीली- संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० खील ) पान | संज्ञा, स्त्री० खुजलाहट-खुजली । का बीड़ा, कीलो। खुजानी-संज्ञा, स्त्री० (हि. खुजलाना ) खीवन-खीवनि- संज्ञा, स्त्री० (सं० क्षीवन) खुजलाहट, एक रोग या, सुरसुरी, खर्जन । मस्ती. मतवालापन । खुजाना- स० कि०, अ० कि० (दे०) खीस* --- वि० दे० (सं० किष्क) नष्ट, बरबाद, | खुजलाना, खजुश्राना ( दे० )। संज्ञा, स्त्री० (हि० खीज ) क्रोध, अप्रसन्नता । खुटक-संज्ञा, स्त्री० ( हि० खटकना ) संज्ञा, स्त्री० (हि० खिसियाना) लज्जा, हानि, । खटका, चिन्ता, शंका । खुरका-खटका । संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० कीश ) अोठ से बाहर " कह गिरधर कविराय, खुटक जैहै नहिं निकले दाँत ।..." कछू न ह है खीस" ताकी ।" -छत्र० । मुहा०-खोस कढ़ाना-- खुटकना-स० कि० दे० ( सं० खुड--- खुराड) निकालना (बाना ) श्रोठ से बाहर दाँत किसी वस्तु को ऊपर से तोड़ना, नोचना। निकालना, डरना, हँसना, आधीन होना, खुटचाल -संज्ञा, स्त्री० (हि. खोटी+ डराना। खीसा--संज्ञा, पु० दे० ( फा० कीसा ) थैला, | चाल ) दुष्टता, कुचाल, पाजीपन, उपद्रव । जेब, खलीता । स्त्री. अल्पा० खीसी. / वि० खुटचाली- दुराचारी, पाजी, नीच, खिलीसी पु० खिलीसा (दे० प्रान्ती०)। बदचलन, दुष्ट । खुदाना--स० क्रि० दे० (सं० क्षुण रौंदा हुया) | खुटना ---अ. क्रि० दे० ( सं० खुड ) कुदाना (घोड़ा। खुलना, टूटना। अ० क्रि० समाप्त होना, खुदी-- संज्ञा, स्त्री० (दे० ) खूद, घोड़े का | अलग होना, पुरा होना । ..." सोई जानै थोड़ी जगह में कूदना। जनु आयु खुटानी"- रामा० । खुबी-खं भी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) कान का | खुटपन, खुटपना-संज्ञा, पु० दे० (हि. एक भूषण, कील । खोटा+पन-प्रत्य० ) खोटाई, दोष, ऐब । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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