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खिलाऊ
खीप खिलाऊ-वि० (दे० ) अपव्ययी, खिलाने बहुत खिसियाना "-रामा० । संज्ञा, पु० वाला।
खिसियाहट। खिलाड़ी-खिलाड़----संज्ञा, पु० (हि० खेल खिसी*-संज्ञा, स्त्री० ( हि० खिसियाना )
+आड़ी-प्रत्य०) खेल करने वाला कौतुकी, । लजा, ढिठाई । खेलने वाला, पटा बनेटी या कौतुक करने | खिसौहां ---वि० (हि. खिसाना ) लज्जित वाला, नट, जादूगर, खिलारी (दे०)।। या कुढ़ा या रिसाया सा, शमिंदा । खिलाना-स० कि० ( हि० खेलना ) खेल | खींच - संज्ञा, स्त्री० ( हि० खींचना ) खींचने करना, खेल में किसी को लगाना। स० कि० का काम । यौ० संज्ञा, स्त्री० खींचतान(हि. खाना का प्रे० रूप ) भोजन कराना। ( हि० खींचना-तानना) दो व्यक्तियों का स० कि० (हि. खिलना ) विकसित करना, पारस्परिक विरुद्ध उद्योग, खींचा, खींची। क्लिष्ट फुलाना।
कल्पना से किसी शब्द या वाक्यादि का खिलाफ़-वि० (अ.) विरुद्ध, उलटा, विप. अन्यथा अर्थ करना । खींचातानी (दे०) । रीत । संज्ञा, पु० खिलाफ़त ( श्राधुनिक ) | खींचना - स० क्रि० (सं० कर्षण) घसीटना, एक मुसलिम आन्दोलन ।।
कोष या थैले श्रादि से बाहर निकालना, खिलैय्या-वि० ( दे० हि० खेलना + ऐया)। छोर या बीच से पकड़ कर अपनी ओर खेलय्या, खेलाड़ी।
लाना, बलात् अपनी पोर लाना, ऐंचना, खिलौना-संज्ञा, पु० (हि. खेल ---ौना
तानना, किसी ओर ले जाना, प्राकर्षित प्रत्य० ) बालकों के खेलने की वस्तु । करना, सोखना, चूमना, अर्कादि को भपके खिलजी-संज्ञा, स्त्री० (हि. खिलना ) हंसी, से निकालना, किसी वस्तु के गुण या तत्व हास्य, मज़ाक । यो०-खिल्लीबाज़- को निकाल लेना, लिखना, रेखादि अंकित दिल्लगीबाज़ । संज्ञा स्त्री. (हि. खील) करना, रोक रखना, चित्रित करना। पान का बीड़ा, गिलौरी, कील, काँटा। महा० - चित्त खींचना (ध्यान, मन या खिसकना-अ० कि० (दे० ) खसकना, | प्राख ) मन को मोहित करना, आकर्षित फिसलना, सरकना, चुपके से चला कर मुग्ध करना। पीड़ा या दर्द खींचना, जाना । क्रि० प्रे० खिसकाना-खसकाना, ( औषधि से) दूर करना । हाथ खींचनाफिसलाना।
रोक देना या और कोई काम बंद करना। खिसना-- अ० क्रि० (दे०) नम्र या शरणा- खींचाखींची-खीचातानी-संज्ञा, स्त्री० गत होना।
यो० (दे० ) खींच-तान। खिसलना-अ० कि. (दे०, खिसकना। | खीज-संज्ञा, स्त्री० (हि० खीजना ) खीझ वि० खिसलहा (दे० ) संज्ञा, स्त्रो० (दे०) (दे० ) अँझलाहट। खिसलाहट ।
खोजना-अ० क्रि० दे० (सं० खिद्यते ) खिसाना*-अ० कि० (दे०) खिसियाना दुखी (क्रुद्ध होना, झुंझलाना । खीझना " हँस्यौ खिसानी गर गह्यौ वि०।
(दे०)। खिसारा-संज्ञा पु० ( फा) घाटा, हानि। खीन-वि० दे० (सं० क्षीण) क्षीण, हीन । खिसियाना ---अ० कि० (हि. खीस = दांत) | संज्ञा स्त्री० खीनता, खीनताई। लजाना, शरमाना, रिसाना, क्रुद्ध होना । खोप- संज्ञा, पु० (दे०) एक घना पेड़, खिसियाना (दे० ) " सुनि कपि-बचन | लजालु ।
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