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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंडना ख-हिन्दी और संस्कृत की वर्ण-माला में स्पर्श खंजन ) खंजन पती । संज्ञा, स्त्री० खंजता । व्यञ्जनों के अंतर्गत कवर्ग का दूसरा अक्षर। खंजड़ी-संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) खंजरी। खं-संज्ञा, पु. ( सं० खन् ) शून्य स्थान, बंजन--संज्ञा, पु. (सं० ) शरत् से शीत बिल, छिद्र, आकाश, निकलने का मार्ग, काल तक दिखाई देने वाला एक प्रसिद्ध इंद्रिय, विन्दु, शून्य, स्वर्ग, सुख, ब्रह्मा, पक्षी, खंडरिच, ममोला, खञ्जन के रंग का मोक्ष । घोड़ा । 'खान मंजु तिरेछे नैननि" खंख-वि० दे० (सं० कंक) ठूछा, उजाड़, __- रामा० । वीरान । खंखर-(दे०)। खंजर - संज्ञा, पु० (का० ) कटार । बँखरा-संज्ञा, पु. ( दे. ) चावल आदि खंजरी--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० खंजरीट --- के पकाने का एक ताँबे का डेग। वि० एक ताल ) डफली सा एक बाजा। संज्ञा (दे०) छेददार, झीना। स्त्री० ( फा० खंजर ) धारीदार कपड़ा, खखार-संज्ञा, पु० (दे०) खखार । लहरियादार धारी। खंग-संज्ञा, पु० दे० (सं० खङ) तलवार, खंजरीट---संज्ञा, पु. ( सं० ) ममोला, गैंडा। खञ्जन । ....... खेलत खरीट चटकारे" बँगना-अ० कि० दे० (सं० क्षय) कम -सू० । खंजा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक वर्धि सम होना, घट जाना। खंगर-संज्ञा, पु. ( प्रान्ती० ) झामा, लोहे वृत्त । इसमें अंत लघु-युक्त २८ वर्ण सम चरणों में और अंत गुरु युक्त ३१ वर्ण का मैल । विषम में होते हैं। बँगारना-खंगालना-स० क्रि० (दे०) ° क्रि० (६०) खंड-संज्ञा, पु० (सं० ) भाग, टुकड़ा, देश, पीने से यों ही साफ़ करना, खाली करना। वर्ष, नौ की संख्या, समीकरण की एक खंघारना-(दे० प्रान्ती०)। क्रिया (गणि० ) काला नमक, दिशा, खगहा-वि० ( दे० खाँग+ हार प्रत्य०) खाँड, चीनी, अध्याय । वि० खंडित, अपूर्ण, निकले हुए दाँत वाला। संज्ञा, पु० गैंड़ा। लघु, छोटा । संज्ञा, पु० (सं० खड़) खाँडा। खंगी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बँगना) यौ० संज्ञा, स्त्री० (सं.) मंत्री या ब्राह्मण कमी, घटी। नायक तथा चार प्रकार की विरह के वर्णन खंगैल-वि० (दे०) बड़े दाँत वाला। से यक्त कथा, जिसमें करुण रस प्रधान बँचना-अ० क्रि० (हि. खांचना ) चिह्नित रहता है, और कथा पूरी नहीं रहती। होना, निशान पड़ना। खंड-काव्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) छोटा बँचाना-स० कि० (हि. खाँचना अंकित कथात्मक, प्रबन्ध काव्य, जिसमें काव्य के करना, चिन्ह बनाना, खींचना, जल्दी जल्दी समस्त लक्षण न हों, जैसे -- मेघदूत । लिखना । " रेख बँचाइ कहौं बल भाषी" | | खंडन-संज्ञा पु० (सं० ) तोड़ना, भंजन, . -रामा०। छेदना, किसी बात को अयथार्थ प्रमाणित बँचिया-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) खाँची, करना, ( विलो०-मंडन )। टोकरी । खचिया (दे०)। खंडना*-स० कि० दे० (सं० खंडन ) खंज-संज्ञा, पु० (सं० ) पैर जकड़ जाने टुकड़े टुकड़े करना, तोड़ना, बात काटना, का रोग, लँगड़ा, पंगु । संज्ञा, पु. (सं० । खण्डन करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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