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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कौटिल्य कौटिल्य - संज्ञा, पु० (सं० ) टेदापन, कुटि - लता, कपट, चाणक्य । यौ० कौटिल्य शास्त्र - अर्थशास्त्र । कौटुम्बिक - वि० (सं० ) कुटुम्ब का, परिवार-सम्बंधी | ५०४ कौड़ा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० कपर्दक ) बड़ी कौड़ी | संज्ञा, पु० दे० (सं० कुराड ) आड़े में तापने के लिये जलाई हुई आग, अलाव । कौड़िया - वि० ( हि० कौड़ी ) कौड़ी के रंग का, स्याही लिए सफ़ेद | संज्ञा, पु० (दे० ) कौडिल्ला पक्षी, किलकिला । कौड़ियाला - वि० ( हि० कौड़ी ) कौड़ी के रंग का कुछ गुलाबी झलक वाला हलका नीला, कोकई। संज्ञा० पु० ( दे० ) को कई रंग, एक विषैला सांप, कृपण धनी एक goat जैसे फूलों वाला वृक्ष, कौडिल्ला पत्ती । कौड़ियाही संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० कौड़ी ) कुछ कौड़ियों की मज़दूरी । कौडिल्ला - संज्ञा, पु० ( दे० ) मछली खाने वाला कौडिया पक्षी । कौड़ी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० कपर्दिका ) एक घोंघे सा अस्थिकोश में रहने वाला समुद्री कीड़ा, उनका अस्थि - कोश, जो सब से कम मूल्य के सिक्के की तरह बर्ता जाता है' वराटिका, धन, रुपया-पैसा द्रव्य । वशवर्ती राजाओं में से सम्राट् द्वारा लिया जाने वाला कर, आँख का डेला, छाती के नीचे बीचोबीच पसलियों के मिलने की छोटी हड्डी, जंबे, काँख और गले की गिल्टी, कटार की नोक | मुहा०-कौड़ो काम का नहीं - निकम्मा, निकृष्ट, कौड़ी का या दो कौड़ी का - तुच्छ, निकम्मा, ख़राब, जिसका कुछ मूल्य न हो । कौड़ो के तोन तीन होना बहुत सस्ता होना, तुच्छ या नाचीज़ होना, बेकदर होना । कौड़ी कौड़ी चुकाना ( अदा करना, भरना ) पाई-पाई देना, सब ऋण चुका कर बेबाक़ कर देना । कौड़ी कौन कौड़ी जोड़ना - बहुत थोड़ा थोड़ा करके कष्ट से धन इकट्ठा करना । कौड़ी भरबहुत थोड़ा। कानीया भी ( फूटी ) कौड़ी - टूटी कौड़ी, अत्यंत अल्प द्रव्य । चित्त ( पट्ट) कौड़ी - ऊपर मुख किये कौड़ी का पड़ना ( विलोम - पट्ट ) | चित्ती कौड़ी - पीठ पर उभरी हुई गाँठों वाली कौड़ी ( जुए में काम देती है ) । " कौड़ी के न काम के ये आये बिन दाम के 'बेनी० । ..53 कौणप - संज्ञा, पु० (सं० ) रातस, पापी, धर्मी, कौन (दे० ) । कौण्डिन्य - संज्ञा, पु० (सं० ) कुंडिन मुनि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का पुत्र, चाणक्य | कौतुक संज्ञा पु० (सं० ) कौतिक, कौतिग, (दे० ) कुतूहल, श्राचर्य, विनोद, दिल्लगी, खेल-तमाशा | वि० कौतुको - (सं० ) कौतुक करने वाला, खेल-तमाशा या विवाह सम्बध कराने वाला, विनोदशील कौतु किया – संज्ञा, पु० ( हि० कौतुक + इया - प्रत्य० ) कौतुक या विवाह सम्बन्ध कराने वाला नाऊ, पुरोहित, कौनट, खिलाड़ी । ' तौ कौतुकियन्ह थालस नाहीं"कौतूहल - संज्ञा, पु० (सं० ) कुतूहल, लीला, कौतुक कौतूह (दे० ) । कौथ-संज्ञा, स्त्री० ( हि० कौन + तिथि ) कौन सी तिथि, कौन सम्बंध | कौथा - वि० ( हि० कौन + स्था – (स्थान) सं० ) किस संख्या का, गणना में कौन - रामा० । सा स्थान । कौन – सर्व० दे० (सं० कः, किम् अभिप्रेत व्यक्ति या वस्तु की जिज्ञासा सूचक प्रश्नवाचक सर्वनाम | मुहा०— कौन सा कौन, कौन होनाक्या अधिकार, मतलब रखना, कौन सम्बंधी या रिश्ते में होना । " कौन दिना कौन घरी कौन समै कौन ठौर, जाने कौन कौन को For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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